Edited By Updated: 01 Apr, 2017 01:06 PM
नवरात्रों के दौरान पाकिस्तान स्थित शक्तिपीठ हिंगलाज देवी धाम की यात्रा करने का स्वप्न इस बार भी भारतीयों के लिए साकार नहीं हो पाएगा। यह
अबोहर(भारद्वाज): नवरात्रों के दौरान पाकिस्तान स्थित शक्तिपीठ हिंगलाज देवी धाम की यात्रा करने का स्वप्न इस बार भी भारतीयों के लिए साकार नहीं हो पाएगा। यह स्थान ब्लूचिस्तान प्रांत के जिला लासवेला में हिंगोल नदी के किनारे स्थित है और इस दुनिया में स्थापित 51 शक्तिपीठों में इसे विशेष मान्यता प्राप्त है। ब्रह्मक्षत्रीय महासभा के संरक्षकों में शामिल भंवर लाल खत्री बताते हैं कि हिंगलाज देवी का विस्तृत इतिहास भले ही अभी तक अप्राप्य है लेकिन इसका उल्लेख देवी भागवत पुराण में मिलता है और इससे संबंधित छंद-गीत भी उपलब्ध हैं।
इस शक्तिपीठ की एक विशेषता यह भी है कि न केवल हिंदू बल्कि मुसलमान भी वहां दर्शन करने जाते हैं। इस विभाजन से पूर्व वहां जाने वाले हजारों श्रद्धालु भारतीय अब राजस्थान, गुजरात, पंजाब आदि प्रदेशों में बसे हुए हैं। मुसलमान इसे नानी का हज कहते हैं। वहां आयोजित होने वाले धार्मिक सम्मेलनों में हिंदू-मुस्लिम का भेद मिट जाता है। हाल ही में पाकिस्तान यात्रा पर गए श्री रामायण प्रचारणी सभा के सचिव राकेश नागपाल व लेखक परिषद अध्यक्ष राज सदोष ने बताया कि हिंगलाज देवी यात्रा का मुद्दा बोर्ड के अध्यक्ष सिदीक उल फारुख व उपसचिव फराज अब्बासके समक्ष उठाया गया था। भारतीय यात्रियों ने यह मांग दोहराई थी कि नवरात्रों के दौरान हिंगलाज देवी की यात्रा की भी अनुमति प्रदान की जाए।
यह यात्रा कराची स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर व सक्खर के मंदिर से प्रतिवर्ष शुरू होती है लेकिन ब्लूचिस्तान संवेदनशील प्रदेश होने के कारण फिलहाल भारतीय को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जाती। फारुख साहिब ने विश्वास दिलाया था कि विदेश मंत्रालय से इस बारे में बातचीत की जाएगी। उनका कहना था कि भारत और पाकिस्तान के बीच जिन तीर्थ यात्राओं के लिए लिखित सहमति कुछ दशक पूर्व हुई थी उनमें ङ्क्षहगलाज देवी यात्रा शामिल नहीं है इसलिए दोनों देशों की सरकारों को इस मामले पर विचार करना होगा।