शाहकोट उपचुनाव सम्पन्न, अमरेन्द्र सरकार लेगी महत्वपूर्ण फैसले

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 May, 2018 05:32 PM

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पंजाब विधानसभा की शाहकोट सीट का उपचुनाव आज सम्पन्न हो गया है, जिसका नतीजा चुनाव आयोग द्वारा 31 मई वीरवार को घोषित कर दिया जाएगा। सरकारी हलकों से पता चला है कि 31 मई तक आदर्श आचार चुनाव संहिता लागू है तथा उसके हटते ही पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन...

जालंधर (धवन): पंजाब विधानसभा की शाहकोट सीट का उपचुनाव आज सम्पन्न हो गया है, जिसका नतीजा चुनाव आयोग द्वारा 31 मई वीरवार को घोषित कर दिया जाएगा। सरकारी हलकों से पता चला है कि 31 मई तक आदर्श आचार चुनाव संहिता लागू है तथा उसके हटते ही पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मंत्रियों के साथ लैजिस्टलेटिव असिस्टैंट्स की नियुक्तियां करने का है।

लैजिस्टलेटिव असिस्टैंट्स की नियुक्तियों का कार्य शाहकोट उपचुनाव के कारण पिछले एक महीने से रुका हुआ है। मुख्यमंत्री ने लैजिस्टलेटिव असिस्टैंट्स की नियुक्तियां करने के संबंध में राज्य के कानूनी विभाग से रिपोर्ट भी प्राप्त कर ली है तथा इन पदों को लाभ वाले पदों से अलग कर दिया गया है।लैजिस्टलेटिव असिस्टैंट्स के पदों को लाभ वाले पदों से अलग करने का उद्देश्य यह था कि कहीं कल को कोई व्यक्ति अगर अदालत में जाता है तो उस स्थिति में सरकार के फैसले पर कोई आंच न आए। बताया जाता है कि 16 से 20 लैजिस्टलेटिव असिस्टैंट्स की नियुक्तियां प्रस्तावित हैं तथा इस संबंध में मुख्यमंत्री ने संबंधित विधायकों की सूचियां भी तैयार कर ली हैं। इन विधायकों को मंत्रियों के साथ जोडऩे का उद्देश्य यह रहेगा कि उन्हें सरकारी कामकाज का अनुभव प्राप्त हो सकेगा तथा भविष्य में वह भी मंत्री पदों के लिए स्वयं को तैयार कर सकेंगे।

लैजिस्टलेटिव असिस्टैंट्स के साथ साथ राज्य सरकार के बोर्डों व कार्पोरेशनों में भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा मनोनयन किए जाने के आसार हैं। मुख्यमंत्री ने इससंबंध में अपने साथियों के साथ पहले ही विचार विमर्श किया हुआ है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री द्वारा बोर्डों व कार्पोरेशनों विधायकों को समायोजित किया जाना है। इन पदों पर उन लोगों की नियुक्तियां होंगी, जो संकट काल के दौरान मुख्यमंत्री अमरे्न्द्र सिंह के साथ खड़े रहे। अवसरवादी नेताओं को इन पदों से दूर रखा जाएगा परन्तु मुख्यमंत्री की यह कोशिश है कि अधिकांश विधायकों को किसी न किसी पद पर समायोजित कर दिया जाए। इससे एक तो निम्र स्तर तक सत्ता का विकेन्द्रीयकरण हो जाएगा तथा जिलों में कार्यकत्र्ताओं को अपने कार्य करवाने के लिए चंडीगढ़ जाना नहीं पड़ेगा। वह स्थानीय स्तर पर ही मुख्यमंत्री द्वारा मनोनीत नेताओं से संपंर्क करके अपने सरकारी कामकाज को संपन्न करवा लेंगे। इसलिए कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार के लिए जून महीना अत्यंत महत्वपूर्ण है जब मुख्यमंत्री खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां करेंगे, क्योंकि अभी तक इन पदों पर सरकारी अधिकारी ही कार्यरत थे।
 

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