Edited By Vatika,Updated: 22 May, 2018 11:55 AM
प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह लगातार प्रदेश की राजनीति में पार्टी वर्करों व नेताओं से कटते जा रहे हैं। उनकी मनमानी भरी कार्यशैली के कारण न तो वर्कर खुश हैं और न पार्टी के नेता। कई बार इसकी शिकायत हाईकमान को भेजी जा चुकी है, मगर कोई असर...
जालंधर (रविंदर): प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह लगातार प्रदेश की राजनीति में पार्टी वर्करों व नेताओं से कटते जा रहे हैं। उनकी मनमानी भरी कार्यशैली के कारण न तो वर्कर खुश हैं और न पार्टी के नेता। कई बार इसकी शिकायत हाईकमान को भेजी जा चुकी है, मगर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है।
सबसे हैरानी की बात तो यह है कि शाहकोट उपचुनाव में प्रचार अभियान पूरी तेजी पकड़ चुका है। कांग्रेस पार्टी के कई नेता प्रचार अभियान में जुटे हैं। अकाली दल से खुद सुखबीर बादल और ‘आप’ से अमन अरोड़ा ने कमान संभाल रखी है, मगर कांग्रेस की तरफ से कैप्टन चुनावी मैदान से बाहर हैं। जब कांग्रेसी नेताओं को कैप्टन की जरूरत उपचुनाव प्रचार में है तो वह मनाली में छुट्टियां मनाने पहुंच गए हैं। विरोधी पार्टी के नेता भी कैप्टन की इस कार्यशैली को अपने चुनाव प्रचार अभियान का हिस्सा बना रहे हैं। पार्टी के भीतर कैप्टन की कार्यशैली को लेकर काफी नाराजगी देखने को मिल रही है।
वर्करों का कहना है कि एक तरफ उपचुनाव जीतने के लिए सभी दिन-रात एक कर रहे हैं तो दूसरी तरफ दिशा निर्देश देने वाले नेता ही मैदान से गायब हैं और वह मनाली में छुट्टियां मना रहे हैं। गौर हो कि पहले भी कैप्टन की मनमानी कार्यशैली को लेकर विधायकों में खासा रोष पाया जा रहा है। विधायकों को सी.एम. दरबार तक पहुंचने नहीं दिया जाता और न ही कोई विधायक खुलकर अपनी बात रख सकता है। सी.एम. दरबार में किसी भी विधायक के मोबाइल फोन तक अंदर ले जाने की मनाही है। पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को भी घंटों इंतजार करना पड़ा था और उनका मोबाइल फोन भी बाहर रखवा लिया गया था, जिसके बाद मामला काफी तूल पकड़ गया था।