Edited By Vaneet,Updated: 31 Jul, 2019 07:42 PM
पाकिस्तान की धरती पर अमर शहीद उधम सिंह के शहादत के 79 साल बाद आज बुधवार को पहली ...
होशियारपुर(अमरेन्द्र): पाकिस्तान की धरती पर अमर शहीद उधम सिंह के शहादत के 79 साल बाद आज बुधवार को पहली बार शहीद भगत सिंह मैमोरियल फाऊंडैशन पाकिस्तान की तरफ से लाहौर हाईकोर्ट के डैमोक्रैटिक हॉल में फाऊंडैशन के संस्थापक एडवोकेट अब्दुल राशिद कुरैशी की अध्यक्षता में शहीदी दिवस मनाया गया। शहीदी दिवस समारोह में भारी संख्या में पाकिस्तान के सुप्रिम कोर्ट व लाहौर हाईकोर्ट के वकीलों ने शिरकत की। इस अवसर पर सभी ने अमर शहीद उधम सिंह के चित्र पर माल्यार्पण किया और वहां मोमबत्ती तथा अगरबत्ती जलाकर 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सभी वक्ताओं ने शहीद उधम सिंह को पाकिस्तान सरकार से शहीद का दर्जा देने की पुरजोर मांग की।
शहीद भगत सिंह के साथ उधम सिंह भी दोनों देश का नैशनल हीरो
इस अवसर पर मुख्यातिथि अब्दुल राशिद कुरैशी के साथ चेयरमैन इम्तियाज राशिद कुरैशी ने कहा कि महान क्रांतिकारी अमर शहीद उधम सिंह का जन्म देश विभाजन से पहले संयुक्त पंजाब में 26 दिसम्बर 1899 को हुआ था। उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने के लिए नरसंहार कराने वाले जनरल डायर को उस समय इंग्लैड में जाकर गोली मारी थी जिस पर अंग्रेजों ने अमर शहीद उधम सिंह को 12 जून 1940 को फांसी पर लटका दिया था। उन्होंने कहा कि शहीद उधम सिंह ने अपने प्राणों की आहूति देकर देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी अत: पाकिस्तान सरकार न सिर्फ उनके सम्मान में डाक टिकट व सड़क का नाम रखे, बल्कि पाकिस्तान में भी उन्हें शहीद का दर्जा देने की घोषणा करे। उन्होंने जोर देकर कहा कि शहीद भगत सिंह की ही तरह शहीद उधम सिंह भी वर्तमान भारत व पाकिस्तान दोनों ही देशों के लिए नैशनल हीरो है।
लाहौर में गूंज उठा शहीद उधम सिंह के नारे
लाहौर हाईकोर्ट के डैमोक्रैटिक हॉल परिसर में देश विभाजन के बाद पहली बार शहीद उधम सिंह के नारे से अदालत परिसर गूंज उठा। इस बात की जानकारी देते हुए इम्तियाज राशिध कुरैशी ने फोन पर जानकारी देते हुए कहा कि शहीदी समारोह में पाकिस्तान के सुप्रिम कोर्ट व लाहौर हाईकोर्ट के वकील राजा जुल्करनैन, सैय्यद मंजूर अली गिलानी, सैय्यद अलमस हैदर काजमी, मियां मोहम्मद बशीर, जलील अहमद खान, अल्लाबख्श गौंडल ने भी अपने अपने विचार रखते हुए कहा कि शहीद उधम सिंह ने अपनी जान की बेमिसाल कुर्बानी देश के आजाद होने से पहले दी थी तब देश का बंटवारा नहीं हुआ था।