गुरूद्वारे की ड्योडी को गिराने के मामले में आप ने की SGPC प्रधान से इस्तीफे की मांग

Edited By Vaneet,Updated: 01 Apr, 2019 06:46 PM

sgpc chief asks for resignation of gurdwara ki dodi

पंजाब आम आदमी पार्टी (आप) ने तरनतारन के गुरुद्वारा दरबार साहिब की पौने 200 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक ड्योड़ी (प्रवेश द्वार) गिराए जाने पर अफसोस जाहिर करते कहा है कि बादल परिवार की सियासी सरपरस्ती में चल रही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सिख पंथ के...

चंडीगढ़: पंजाब आम आदमी पार्टी (आप) ने तरनतारन के गुरुद्वारा दरबार साहिब की पौने 200 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक ड्योड़ी (प्रवेश द्वार) गिराए जाने पर अफसोस जाहिर करते कहा है कि बादल परिवार की सियासी सरपरस्ती में चल रही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सिख पंथ के सिद्धांतों और ऐतिहासिक धर्म स्थलों का हद से ज्यादा नुकसान किया है।  

पार्टी प्रवक्ता प्रो. बलजिन्दर कौर तथा कुलतार सिंह संधवां आज यहां कहा कि श्री दरबार साहिब तरनतारन की ड्योडी सन 1839 में महाराजा रणजीत सिंह के पोते कंवर नौनेहाल सिंह ने बनवाई थी जिसे गिरा कर एस.जी.पी.सी के प्रतिनिधियों ने अपनी दिवालिया सोच जाहिर की है। उन्होंने एसजीपीसी के प्रधान गोबिन्द सिंह लोंगोवाल के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि बादलों की कठपुतली बनने में लोंगोवाल ने पिछले प्रधानों को भी पीछे छोड़ दिया है। लोंगोवाल अपनी लापरवाही का ठीकरा अब नीचे के आधिकारियों पर फोड़ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या एक मैनेजर स्तर का अधिकारी ऐतिहासिक ड्योडी को तोडऩे का फैसला कैसे ले सकता है। 

एस.जी.पी.सी की मंजूरी के बिना कार सेवक डयोडी की तोडफ़ोड़ करने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं। आप नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी धर्म निष्पक्ष पार्टी है और सभी धर्मों का बराबर सम्मान करती है और राजनीति के लिए धर्म के इस्तेमाल के सख्त खिलाफ है। बादल परिवार ने निजी स्वार्थों और अपनी राजनीति को चमकाने के लिए सिख पंथ की मिनी पार्लियामेंट एसजीपीसी का जितना दुरुपयोग किया गया है उसकी मिसाल अकाली दल और एस.जी.पी.सी के एक सदी पुराने इतिहास में कहीं नहीं मिलती।  

उन्होंने ड्योडी के तोडफ़ोड़ के लिए जिम्मेदार लोंगोवाल समेत मैनेजर और कार सेवकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाए तथा इस मामले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में हो तथा बादल परिवार और ‘कार सेवा’ वालों की भूमिका की जांच हो। गिराई गई दर्शनी ड्योडी की पुरातन तरीके के साथ मरम्मत और फिर निर्माण हो, क्योंकि ऐसी ऐतिहासिक इमारतों के साथ करोड़ों पंजाबियों खास कर सिखों की आस्था जुड़ी हुई है।  

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