Edited By Vatika,Updated: 04 Nov, 2018 10:03 AM
विरासत में मिली सियासत के महारथी सेवा सिंह सेखवां के इस्तीफे ने अकाली दल और समूचे सियासी हलकों में भूचाल ला दिया है। सेवा सिंह सेखवां के इस्तीफे की खबर के साथ जहां मीडिया में बड़ी हलचल देखने को मिली, वहीं सेखवां की अकाली दल में प्राप्तियां और उनकी...
जालंधर: विरासत में मिली सियासत के महारथी सेवा सिंह सेखवां के इस्तीफे ने अकाली दल और समूचे सियासी हलकों में भूचाल ला दिया है। सेवा सिंह सेखवां के इस्तीफे की खबर के साथ जहां मीडिया में बड़ी हलचल देखने को मिली, वहीं सेखवां की अकाली दल में प्राप्तियां और उनकी असफलताओं की चर्चा भी छिड़ गई।
बादल सरकार में 2 बार मंत्री रहे
अकाली दल से बर्खास्त किए गए सेवा सिंह सेखवां बादल सरकार में 2 बार मंत्री भी रह चुके हैं। सेखवां पहली बार 1997 में कैबिनेट मंत्री बने थे। इसके अलावा 2009 में उपचुनाव जीतने के बाद बादल सरकार ने उनको शिक्षा मंत्री बनाया था।
सेखवां के सियासी सफर की शुरूआत
सियासत में आने से पहले सेवा सिंह सेखवां ने 14 साल तक बतौर अध्यापक सेवाएं दीं। सेखवां को सियासत विरासत में मिली, क्योंकि उनके पिता मशहूर सिंह सेखवां अकाली दल के चोटी के नेता थे और उन्होंने अकाली दल की टिकट पर & बार जीत प्राप्त की थी। मूलभूत सियासी आधार के कारण ही सेखवां ने अध्यापन के काम को छोड़ कर सियासत में छलांग लगा दी।
कब-कब लड़ा चुनाव और जीते
अकाली दल से 2 बार बर्खास्त किए गए सेवा सिंह सेखवां 6 बार अकाली दल की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं जिनमें से सिर्फ 2 बार ही वह जीत प्राप्त करने में सफल रहे थे। सेखवां ने पहली बार 1997 में अकाली दल की टिकट पर चुनाव लड़ा था जिसमें उन्होंने कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा को 6755 वोटों के साथ मात दी थी। दूसरी बार सेखवां को 2009 में जीत नसीब हुई जब उन्होंने उपचुनाव में फतेह जंग सिंह बाजवा को 12044 वोटों के बड़े फर्क के साथ हराया। इसके अलावा सेखवां ने अकाली दल की टिकट पर जितनी बार भी मतदान लड़े उनको हार का सामना करना पड़ा।