OMG ! सेवा केंद्र का कारनामा ,लाभार्थी की जगह मृत को बना दिया आवेदक

Edited By swetha,Updated: 06 Jan, 2019 01:03 PM

sewa kendra jalandhar

देश की पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा कुछ साल पहले शुरू किए गए सेवा केन्द्र अपनी शुरूआत से ही विवादों से घिरे रहे हैं। आम जनता को घर के नजदीक ही सरकारी सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से खोले गए सेवा केन्द्र जनता के जी का जंजाल बनकर रह गए...

जालंधर (अमित): प्रदेश की पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा कुछ साल पहले शुरू किए गए सेवा केन्द्र अपनी शुरूआत से ही विवादों से घिरे रहे हैं। आम जनता को घर के नजदीक ही सरकारी सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से खोले गए सेवा केन्द्र जनता के जी का जंजाल बनकर रह गए हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देजनर प्रदेश की मौजूदा कांग्रेस सरकार ने सेवा केन्द्र चलाने वाली निजी कंपनी का एग्रीमैंट रद्द करके नए सिरे से कांट्रैक्ट देने की कवायद जरूर की। मगर उक्त सारी कार्रवाई मात्र दिखावा ही साबित हुई, क्योंकि एक बार फिर से पुरानी कंपनी बी.एल.एस. को ही सेवा केन्द्र चलाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई। कांग्रेस सरकार ने केवल पुरानी शराब को नई बोतल में डालने भर का काम किया जिसका आम जनता को कोई लाभ ही नहीं मिला, बल्कि परेशानियां पहले से भी दोगुनी हो गईं। 

अनट्रेंड व अन-प्रोफैशनल स्टाफ द्वारा किए जा रहे कारनामों की लिस्ट वैसे तो काफी बड़ी है, मगर हाल ही में जो मामला सामने आया है, वह बेहद हैरान करने वाला है। माडल टाऊन स्थित सेवा केन्द्र के स्टाफ की एक बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है। इसके बारे में सुन कर किसी के भी पैरों तले जमीन खिसक सकती है। माडल टाऊन सेवा केन्द्र में एक मृत महिला के डैथ सर्टीफिकेट की मल्टीपल कापियों के लिए आवेदन जमा करते समय वहां मौजूद स्टाफ ने मृतक के लाभार्थी की जगह उस महिला का नाम ही बतौर आवेदक दर्ज कर दिया जिससे काफी विकट परिस्थिति बन गई है।

क्या है मामला, कैसे आया सामने
माडल टाऊन के मेजर रोहित शर्मा गवर्नमैंट स्कूल में स्थित टाइप-2 सेवा केन्द्र (कोड नं. : पी.बी.-037-00212-यू010) में राजीव दुग्गल नामक एक व्यक्ति ने अपनी रिश्तेदार अवतार कौर के निधन के उपरांत डैथ-सर्टीफिकेट्स की मल्टीपल कापियों के लिए आवेदन जमा करवाया जिसके लिए उसे बकायदा तौर पर रसीद नं. 7400-21773-030119 तिथि 03 जनवरी, 2019 जारी की गई। पहली नजर में सब कुछ सामान्य प्रतीत हो रहा था, मगर कुछ देर बाद जब राजीव दुग्गल ने गौर से रसीद को देखा तो उसका सिर ही चकरा गया, क्योंकि रसीद के ऊपर आवेदक में उसके नाम की जगह मृतक महिला का नाम ही दर्ज किया गया था। 

दिसम्बर में हुआ था अवतार कौर का निधन
राजीव दुग्गल ने बताया कि गांव अकालगढ़, फगवाड़ा, जिला कपूरथला निवासी लगभग 75 वर्षीय अवतार कौर का निधन 20 दिसम्बर, 2018 को हुआ था जिसके बाद केयरमैक्स अस्पताल की तरफ से उनकी डैड बॉडी परिजनों को सौंपते समय एक सर्टीफिकेट भी जारी किया गया था जिसके आधार पर डैथ सर्टीफिकेट के लिए आवेदन दिया गया था। 

सामने आ सकती हैं कई कानूनी परेशानियां
एडवो. के.के. अरोड़ा का कहना है कि अगर किसी भी सेवा केन्द्र जैसी संस्था जो सरकारी जगह पर सरकार के ही अधीन काम कर रही है, द्वारा किसी व्यक्ति के निधन के पश्चात उसके ही डैथ सर्टीफिकेट के लिए आवेदन जमा करवाते समय उसे ही आवेदक दर्शाया जाता है तो भविष्य में उसके परिवार वालों के लिए कई तरह की कानूनी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। 

सेवा केन्द्र स्टाफ से फार्म भरवाने के लिए डाला जाता है दबाव
मृतक अवतार कौर के डैथ सर्टीफिकेट के लिए आवेदन जमा करवाने गए राजीव दुग्गल ने बताया कि माडल टाऊन स्थित सेवा केन्द्र में जब वह आवेदन जमा करवाने गए तो उन पर इस बात का दबाव बनाया गया, कि आपका आवेदन उसी स्थिति में स्वीकार किया जा सकता है जब आप सेवा केन्द्र में मौजूद स्टाफ के पास 100 रुपए अतिरिक्त जमा करवा कर फार्म भरवाएं, अन्यथा आपके आवेदन में कोई न कोई त्रुटि रह जाएगी और आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने डैथ सर्टीफिकेट की कापियां लेने के लिए 50 रुपए बतौर सरकारी फीस, 50 रुपए सेवा केन्द्र चलाने वाली निजी कंपनी के फैसीलिटेशन चार्ज और 100 रुपए अतिरिक्त केवल फार्म भरने के बदले में अदा किए जो कि निजी कंपनी द्वारा जबरदस्ती वसूले जा रहे जजिया टैक्स के समान ही है। वह इस संबंध में डी.सी. के पास लिखित रूप में शिकायत दर्ज करवाएंगे, साथ ही माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में कंपनी के खिलाफ याचिका भी दर्ज करेंगे।  

बिना सीरियल नंबर वाली रसीद करती है बड़े घोटाले की तरफ इशारा
राजीव से 100 रुपए बतौर फार्म भरने की फीस वसूल कर जो रसीद जारी की गई, उसमें 100 रुपए की राशि को बतौर फैसीलिटेशन चार्ज दर्शाया गया था, मगर रसीद के ऊपर कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं था कि 100 रुपए केवल एक फार्म भरने के बदले में लिए गए हैं। इतना ही नहीं, रसीद पर कोई सीरियल नंबर भी नहीं लिखा हुआ था और न ही किसी कर्मचारी ने कंपनी की मोहर लगाकर हस्ताक्षर किए थे। यह अपने आप में एक बड़े घोटाले की तरफ इशारा करता है, क्योंकि इस तरह से बड़ी आसानी से सरकार को चूना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, जी.एस.टी. की चोरी करके भी लाखों रुपए गैर-कानूनी ढंग से कमाए जा सकते हैं जिसकी गहन जांच करना बेहद जरूरी है।

जोनल हैड बोले- सरकार ने आंखें थोड़े ही मूंद रखी हैं... : राजीव दुग्गल 
राजीव दुग्गल ने कहा कि जोनल हैड सुनील शर्मा से जब बात की गई और बताया गया कि आपके सेवा केन्द्र ने 100 रुपए फार्म भरने के नाम पर लिए, मगर रसीद के ऊपर इस संबंधी कुछ भी नहीं लिखा था तो उन्होंने कहा कि कानूनन वह उक्त फीस वसूल सकते हैं। उनके एग्रीमैंट में साफ तौर पर इस संबंध में लिखा हुआ है। जब सरकार को इस फीस वसूले जाने की जानकारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बेहद हैरान करने वाला जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने आंखें थोड़े ही मूंदी हुई हैं, सरकार को सारी जानकारी है। एग्रीमैंट की कापी मांगने पर जोनल हैड ने साफ तौर पर मना करते हुए कहा कि वह ऐसे ही हर किसी को कापी नहीं दे सकते। 

बड़ी लापरवाही, जिम्मेदार कर्मचारी के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई : सुनील शर्मा
निजी कंपनी के जोनल हैड सुनील शर्मा ने इस बाबत बात करने पर कहा कि यह बहुत बड़ी लापरवाही है और संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी गलती को न दोहराया जा सके। जहां तक 100 रुपए फार्म भरने के लिए फीस लेने का सवाल है तो इसके लिए सरकार ने बाकायदा तौर पर मंजूरी प्रदान की है, यह बिल्कुल भी गैर-कानूनी नहीं है। इसका सारा ऑनलाइन रिकार्ड मेनटेन किया जाता है मगर हैड-आफिस में इस बात को लेकर सुझाव अवश्य भेजा जाएगा कि 100 रुपए वाली फीस की रसीद पर सीरियल नंबर भी डाला जाए। 

मामला बेहद गंभीर, जांच के बाद बनती कार्रवाई के लिए की जाएगी सिफारिश : डी.सी.
डी.सी. वरिंदर कुमार शर्मा ने कहा कि उक्त मामला बेहद गंभीर है। इस प्रकार की गलती की कोई गुंजाइश ही नहीं है, इसकी गहन जांच करवाई जाएगी। अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके लिए बनती कार्रवाई के लिए सिफारिश भी की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसा दोबारा न हो, साथ ही बिना सीरियल नंबर वाली रसीद को लेकर भी पड़ताल करके कार्रवाई की जाएगी। 

बिना सीरियल नंबर के रसीद काटना कानूनन अपराध : बी.के. विरदी
जी.एस.टी. विभाग के ज्वाइंट डायरैक्टर इन्वैस्टीगेशन बी.के. विरदी से जब इस संबंधी बात की गई तो उन्होंने कहा कि बिना सीरियल नंबर के रसीद काटना कानूनन अपराध है। इससे टैक्स चोरी का अंदेशा बना रहता है। इस मामले की गहन जांच की जाएगी। अगर कंपनी ने किसी कानून का उल्लंघन किया होगा तो उसके खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी। 

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