रावी नदी में रेत के लुटेरों ने खोद दिया वन्यजीवों का आशियाना

Edited By Vatika,Updated: 22 Jun, 2018 09:30 AM

sand mining

पंजाब में माइनिंग माफिया वन्यजीवों के आशियाने तक को खोखला कर रहा है। प्रदेश में रेत-बजरी की लूट इस कदर हावी है कि रावी नदी में स्थित कथलौर-कुश्लियन वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के इर्द-गिर्द खुदाई के चलते नदी के तल पर जगह-जगह गहरे तालाब बन गए हैं। इससे...

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब में माइनिंग माफिया वन्यजीवों के आशियाने तक को खोखला कर रहा है। प्रदेश में रेत-बजरी की लूट इस कदर हावी है कि रावी नदी में स्थित कथलौर-कुश्लियन वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के इर्द-गिर्द खुदाई के चलते नदी के तल पर जगह-जगह गहरे तालाब बन गए हैं। इससे सैंक्चुरी के नजदीक नदी का धारा प्रवाह अस्त-व्यस्त हो गया है। वह भी तब जबकि नैशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ ने सैंक्चुरी के 1 किलोमीटर दायरे में खुदाई पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बावजूद कानून से बेपरवाह माइनिंग माफिया ने सैंक्चुरी की बाऊंड्री के नजदीक तक खुदाई कर डाली। हैरत की बात यह है कि इलाके के वन्यजीव अधिकारियों तक ने इस खुदाई पर रोक लगाने का प्रयास नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद ईको सैंसटिव जोन में खुदाई
सैंक्चुरी के आसपास का इलाका ईको सैंसटिव जोन कहलाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश मुताबिक ईको सैंसटिव जोन में खनन से जुड़ी तमाम गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। 27 दिसम्बर, 2016 से पहले तक 10 किलोमीटर का दायरा ईको सैंसटिव जोन कहलाता था। बाद में पर्यावरण मंत्रालय ने पंजाब सरकार की सिफारिश पर 100 मीटर का दायरा जोन के तौर पर घोषित कर दिया। ईको सैंसटिव जोन के कारण ही जब सैंक्चुरी के करीब एक कि.मी. दूरी पर गांव खरखरा समीप नदी में खनन का सरकारी प्रस्ताव मंजूरी के लिए नैशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के पास आया तो इसलिए ठुकरा दिया था क्योंकि इससे वन्यजीवों के आशियाने पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता था।

कम पानी का फायदा उठाया
माइनिंग माफिया ने रावी नदी में कम पानी का सबसे ज्यादा फायदा उठाया। दरअसल 2001 में रणजीत सागर डैम बनने के बाद से रावी नदी में पानी का प्रवाह काफी कम हो गया है। डैम से जो पानी छोड़ा भी जाता है उसका ज्यादातर हिस्सा माधोपुर हैडवक्र्स के जरिए अपरबारी दोआब कैनाल व माधोपुर बैराज राइट कैनाल में निकल जाता है। बाकी बचा हुआ पानी रावी नदी में पहुंचता है इसलिए नदी का प्रवाह सिकुड़ गया है और नदी काफी धीरे-धीरे बहती है। इस कारण पाकिस्तान बॉर्डर तक नदी के किनारों का काफी हिस्सा सूखा हुआ दिखाई देता है। माइनिंग माफिया को इन्हीं सूखे हिस्सों ने ललचाया, जिसकी वजह से उन्होंने नदी को लूटने से गुरेज नहीं किया। इस संबंध में पठानकोट में वन्यजीव विभाग के डी.एफ.ओ. राजेश महाजन से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें सैंक्चुरी के आसपास माइनिंग के बारे में जानकारी नहीं है। वह जल्द ही इलाके का मुआयना करेंगे।

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