रोडरेज मामलाः सवालों का जवाब देने से क्यो भाग रहे हैं सिद्धू साहिब?

Edited By Vatika,Updated: 13 Sep, 2018 02:45 PM

पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। 30 साल पुराने रोडरेज मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से दायर की पुनर्विचार याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को नोटिस भेज कर जवाब भी मांगा है। जब...

चंडीगढ़ः पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। 30 साल पुराने रोडरेज मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से दायर की पुनर्विचार याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को नोटिस भेज कर जवाब भी मांगा है। जब इस बारे सिद्धू के साथ बातचीत करनी चाही तो सिद्धू मीडिया पर ही भड़क उठे और कहा सुप्रीम कोर्ट नोटिस भेजी जाए और आप अपना काम करें।

क्या है मामला
यह मामला साल 1998 का है। सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।
 

इस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है :          

  • 27 दिसंबर, 1988: नवजोत सिंह सिद्धू और रुपिंदर संधु के खिलाफ कथित तौर पर एक शख्स को पीटने के आरोप में मामला दर्ज। पीड़ित ने सिद्धू से पटियाला में बीच सड़क पर खड़ी कार हटाने को कहा था। पीड़ित की अस्पताल में मौत हो गई थी।           
  • 14 जुलाई, 1989: पंजाब पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत आरोप पत्र दायर किया।           
  • 22 जुलाई, 1989: सिद्धू और संधु के खिलाफ हत्या की एक अलग शिकायत दर्ज की गई।           
  • 25 सितंबर, 1990: पटियाला में सुनवाई अदालत ने संधु के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या के तहत आरोप तय किए।         
  • 30 अगस्त, 1993: सत्र न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया और सिद्धू को मुकदमे का सामना करने के लिए समन जारी किया।           
  • 22 सितंबर, 1999: सुनवाई अदालत ने सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी किया।            
  • 1 दिसंबर, 2006 : पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सुनवाई अदालत के फैसले को पलट दिया और सिद्धू व संधु को गैर-इरादतन हत्या का दोषी मानते हुए तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।           
  • 23 जनवरी, 2007: उच्चतम न्यायालय ने सिद्धू और सह-आरोपी की सजा के अमल पर रोक लगाई, उनके अमृतसर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में खड़े होने का रास्ता साफ।           
  • 12 अप्रैल, 2018: कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने उच्चतम न्यायालय में सिद्धू को दोषी ठहराने और तीन साल कैद की सजा के उच्च न्यायालय के फैसले का पक्ष लिया।           
  • 18 अप्रैल, 2018: उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सिद्धू और संधु की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।           
  • 15 मई, 2018: उच्चतम न्यायालय ने सिद्धू को कैद की सजा से छूट दी और जानबूझ कर चोट पहुंचाने का दोषी मानते हुए एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया।  

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