Edited By Vaneet,Updated: 21 Aug, 2020 09:16 PM
वर्षों पुराना सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा जहां अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है तो वहीं इस मुद्दे की वजह से हरिया...
चंडीगढ़: वर्षों पुराना सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा जहां अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है तो वहीं इस मुद्दे की वजह से हरियाणा और पंजाब की सियासत के समीकरण भी समय-समय पर बदलते रहे हैं। पंजाब की मालवा बेल्ट के 9 जिलों के लिए सतलुज-यमुना लिंक नहर जीवनदायिनी है और यह वहां के लाखों किसानों के जीवन से जुड़ा मसला है तो दक्षिण हरियाणा के लिए भी यह नहर काफी अहम है। ऐसे में दोनों ही राज्यों में जनमानस से जुड़े इस मसले पर जहां सियासी सरगर्मी बनी रहती है, वहीं यह एक ऐसा मुद्दा भी है, जिससे दोनों ही प्रदेश के नेताओं के रिश्तों में कड़वाहट भी पैदा होती रही है।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले तो शिरोमणि अकाली दल और इंडियन नैशनल लोकदल के चार दशक पुराने रिश्ते में दरार आ गई थी। दोनों ही दलों ने इस मुद्दे पर अपने सियासी रिश्ते तोडऩे तक का सार्वजनिक ऐलान कर दिया। इसी तरह से पंजाब में भी शिअद व भाजपा के बीच इस मुद्दे को लेकर कई बार परस्पर विरोधाभास की झलक देखने को मिली है। खास बात यह है कि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस हाईकमान के लिए इस मुद्दे पर न उगलते बनता है और न ही निगलते। इस अंतर्राज्यीय मुद्दे पर कई बार ऐसी स्थिति भी पैदा हुई कि हरियाणा के कांग्रेस व भाजपा के बड़े नेताओं ने एस.वाई.एल. को लेकर हरियाणा के हितों के लिए तो आवाज उठाई, जबकि पंजाब में कांग्रेस व भाजपा के स्टैंड को लेकर जब-जब सवाल किए गए तो वे पीछे हटते नजर आए।
इस प्रकार कुल मिलाकर एस.वाई.एल. के पानी ने पंजाब व हरियाणा के राजनेताओं के मजबूत रहे सियासी रिश्तों में दरार डालने का काम किया तो वहीं अनेक बार इन नेताओं को पंजाब को लेकर अपनी ही पार्टी में हास्यास्पद स्थिति का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा 1966 में हरियाणा गठन होने के बाद से ही चला आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने नवम्बर 2016 में हरियाणा के हक में फैसला दिया था।
एस.वाई.एल. पर बदलते रहे केजरीवाल के सुर
एस.वाई.एल. को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की वाणी दोनों ही राज्यों में बदलती रही है। पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले दिसम्बर 2016 में उन्होंने पंजाब के पक्ष में प्रतिक्रिया दी, जबकि हरियाणा के विधानसभा चुनाव के वक्त हरियाणा के पक्ष में बयान दिया था।