बादलों के करीबियों पर शिकंजा कसना शुरु,पिछले 10 साल में बांटी गई ग्रांट की रिपोर्ट तलब

Edited By Updated: 26 Apr, 2017 12:57 PM

report of grants distributed in last 10 years

कैप्‍टन अमरेंद्र सिंह की सरकार ने पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उपमुख्‍यमंत्री सुखबीर बादल और उनके करीबी मंत्रियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

चंडीगढ़ः कैप्‍टन अमरेंद्र सिंह की सरकार ने पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उपमुख्‍यमंत्री सुखबीर बादल और उनके करीबी मंत्रियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। राज्‍य सरकार ने बादल पिता-पुत्र आैर पूर्व मंत्रियों सिंकदर सिंह मलूका व बिक्रम सिंह मजीठिया के हलकों में पिछले 10 साल में बांटी गई ग्रांट की रिपोर्ट तलब की है। इसके बाद सरकार इसकी जांच कराएगी।

बादल का विधानसभा हलका लंबी, मुक्तसर जिला, मलूका का हलका रामपुरा फूल और मजीठिया का हलका मजीठा खास तौर पर सरकार के निशाने पर हैं। पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने पंचायत विभाग के डायरैक्टर से रिपोर्ट मांगी है कि पिछले 10 वर्षों में इन हलकों के कौन से गांव को कितनी ग्रांट जारी की गई है, ताकि इन गावों में किए गए विकास कार्यों की पड़ताल की जा सके। 


पहले मंत्री ने यह आदेश दिए थे कि उन गांवों की जानकारी दी जाए, जिनमें पिछले 10 वर्षों में एक करोड़ रुपए से ज्यादा का फंड जारी किया गया है। विभाग यह जानकारी नहीं जुटा पाया। अब पंचायत मंत्री ने यह आदेश दिया है कि प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल, बिक्रम सिंह मजीठिया और सिकंदर सिंह मलूका के विधानसभा हलकों के गांवों को जारी फंड के आंकड़े जारी किए जाएं।


बाजवा ने बताया कि सिकंदर सिंह मलूका के हलके रामपुरा फूल को पंचायत विभाग की मोहाली एयरपोर्ट को बेची गई जमीन के पांच करोड़ रुपए जारी किए गए थे, इसकी जांच की जाएगी। कई गांवों में पंचायतों ने सरकारी फंड से टेंट खरीद लिए थे और बिना जरूरत के करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। कुछ विधानसभा हलकों में 700 करोड़ रुपये तक जारी किए गए थे। इनकी भी की जाएगी। 


गौरतलब है कि बादल सरकार पर उनके कार्यकाल के दौरान अपने हलके की चहेती पंचायतों को नियमों के विरुद्ध ज्यादा ग्रांट देने के आरोप लगे थे। विपक्ष ने इसे विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था।
 
स्थानीय निकाय विभाग में पिछले तीन वर्षों के दौरान दस करोड़ से अधिक लागत वाले विकास कार्यों का थर्ड पार्टी ऑडिट होगा। इस फैसले पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने  मुहर लगा दी है। थर्ड पार्टी ऑडिट करवाने की प्रक्रिया स्थानीय सरकार तीन दिन में पूरी कर लेगी। ऑडिट का काम मई के पहले हफ्ते में शुरू होगा। अहम बात यह है कि केवल थर्ड पार्टी ऑडिट ही नहीं बल्कि सोशल ऑडिट भी करवाया जाएगा। भ्रष्टाचार रोकने के लिए कामकाज की प्रक्रिया ऑनलाइन की जाएगी।
 

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