रैफरैंडम-2020: CPI ने कहा- 'लंदन घोषणा-पत्र का दूसरा नाम है आतंकवाद की वापसी'

Edited By Vatika,Updated: 08 Aug, 2018 10:09 AM

referendum 2020

सिख रैफरैंडम-2020 की आलोचना करते हुए सी.पी.आई. राष्ट्रीय काऊंसिल सदस्य डा. जोगिन्द्र दयाल ने कहा कि इसके पीछे वही ताकतें काम कर रही हैं जिन्होंने पंजाब में आतंकवाद को बढ़ावा दिया था। उन्होंने कहा कि लंदन घोषणा-पत्र(सिख रैफरैंडम 2020) का दूसरा नाम...

जालंधर (बहल, सोमनाथ): सिख रैफरैंडम-2020 की आलोचना करते हुए सी.पी.आई. राष्ट्रीय काऊंसिल सदस्य डा. जोगिन्द्र दयाल ने कहा कि इसके पीछे वही ताकतें काम कर रही हैं जिन्होंने पंजाब में आतंकवाद को बढ़ावा दिया था। उन्होंने कहा कि लंदन घोषणा-पत्र(सिख रैफरैंडम 2020) का दूसरा नाम पंजाब में आतंकवाद की वापसी है।  
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अपने एक बयान में डा. दयाल ने कहा कि चाहे आर.एस.एस. और भाजपा का हिंदुत्व का आइडिया हो या खालिस्तान, हम दोनों का ही विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि सिख फॉर जस्टिस जैसी संस्था कनाडा और यू.के. जैसे देशों में बैठ कर रैफरैंडम-2020 की आड़ में पंजाब में खालिस्तान को पुनर्जीवित करने का षड्यंत्र रच रही है जिसे सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रैफरैंडम की मांग के पीछे आई.एस.आई. का हाथ है। उन्होंने कहा कि इस पंजाब ने बहुत कुछ खोकर शांति हासिल की है, जिसे इस राज्य के लोग गंवाना नहीं चाहते हैं, लेकिन विदेशों में बैठे कुछ लोग देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, जिनको मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
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लोगों की भावनाओं का फायदा उठाती रहीं अकाली और कांग्रेस सरकारें
अकाली दल और कांग्रेस की आलोचना करते हुए डा. दयाल ने कहा कि दोनों ने ही पंजाब में लंबे समय से चले आ रहे नदियों के जल विवाद को हल करने की दिशा में कुछ नहीं किया है। दोनों दलों ने केवल लोगों की भावनाओं का फायदा उठाने के लिए ही हर चाल चली है। वहीं पंजाब संकट से गुजर रहा है जिसके चलते युवा वर्ग कनाडा, आस्ट्रेलिया और दूसरे देशों में जाने को मजबूर हो रहा है। यही कारण है कि प्रदेश में खुशहाली लाने के खोखले दावे के चलते आप्रवासी भारतीय पंजाब में निवेश करने में कोई दिलचस्पी नहीं रख रहे। 
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ब्रिटेन की लैफ्ट विंग ग्रीन पार्टी खालिस्तानियों से मिली
भारत द्वारा ब्रिटेन में सिख रैफरैंडम-2020 का विरोध किए जाने के बावजूद ब्रिटेन की लैफ्ट विंग ग्रीन पार्टी ने रविवार को लंदन के तरफलगार स्क्वेयर में होने वाली रैफरैंडम-2020 रैली को अपना समर्थन देे दिया है। राजनीतिक पार्टी की सह-नेता ने रैफरैंडम-2020 के लिए लंदन घोषणा पत्र के पक्ष में अपना बयान दिया है जिसका मकसद प्रभुसत्ता सम्पन्न खालिस्तान राज्य बनाना है। इस रैली का आयोजन सिख फॉर जस्टिस की तरफ से किया जा रहा है। 

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हाऊस ऑफ कॉमन की एकमात्र निर्वाचित सांसद करोलीना लुकास ने कहा, ‘‘सिख लोगों को यह अधिकार है कि वे खुद के लिए यह निर्धारित कर सकें कि वे एक स्वतंत्र पंजाबी राज्य बना सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन सभी का समर्थन करती हूं जो लंदन घोषणा पत्र में शामिल हो रहे हैं और जो विश्वभर में रैफरैंडम-2020 के लिए संघर्षरत हैं और इसके लिए अभियान चला रहे हैं।’’ इस विवादास्पद रैली के लिए एक ब्रिटिश सांसद की तरफ से यह खुला समर्थन है क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने इस मामले पर अपने स्टैंड को दोहराया है जिसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। ब्रिटिश सरकार के प्रवक्ता ने पिछले महीने अपने बयान में कहा था कि ब्रिटेन के लोगों को रैली करने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। बशर्ते वे ऐसा कानून के तहत करें।
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भारत ने उस समय इस रैली का एक ज्ञापन के जरिए विरोध दर्ज करवाया था जब जुलाई में इस रैली की खबर आई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसे आशा है कि ब्रिटेन सरकार किसी ग्रुप को ऐसी रैली करने की अनुमति नहीं देगी जिसका मकसद घृणा फैलाना हो और जिससे हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ सकता हो। सिख फॉर जस्टिस ने कहा कि इस रैली का मकसद 2020 में नॉन-वाइडिंग रैफरैंडम के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना है ताकि पंजाब के सिख बाहुल्य राज्य को आजादी दी जाए। रैली के आयोजकों में एक और ब्रिटेन स्थित खालिस्तानी समर्थक परमजीत सिंह पम्मा ने कहा, ‘‘यह ब्रिटिश सिख समुदाय की सफलता है जिसमें 47,000 से अधिक ई-मेल अपने सांसदों को भेजकर लंदन घोषणा पत्र का समर्थन करते हुए आग्रह किया गया और भारत के इस हस्तक्षेप का विरोध किया।

सिख फार जस्टिस को लिखे पत्र पर सिख संगठनों में शाब्दिक जंग तेज
रैफरैंडम-2020 की स्पष्टता संबंधी सिख्स फार जस्टिस को शिरोमणि अकाली दल (अ) और दल खालसा द्वारा लिखे गए पत्र को लेकर सोशल मीडिया पर सिख संगठनों में शाब्दिक जंग तेज हो गई है।  दल खालसा (यू.के.) संगठन ने इस पत्र को पंथ विरोधी और खालिस्तानी विरोधी कार्रवाई बताते हुए दल खालसा के प्रधान हरपाल सिंह चीमा और पार्टी प्रवक्ता कंवरपाल सिंह को पार्टी से निकालने की घोषणा कर दी है।  दूसरी तरफ दल खालसा ने कहा है कि दल खालसा के वरिष्ठ नेता रहे भाई मनमोहन सिंह यू.के. के गत वर्ष निधन के बाद दल खालसा ने पार्टी में मामलों को चलाने के लिए किसी भी सदस्य को ब्रिटेन में नामजद नहीं किया है। उन्होंने कहा कि भाई मनमोहन सिंह के निधन के बाद यू.के. में अपने संगठन का ढांचा कायम नहीं करने का फैसला किया गया था।दल खालसा के सचिव रणवीर सिंह ने कहा कि ब्रिटेन में अब कोई दल खालसा यू.के. नहीं है तथा एस.एफ. ही हमारा प्रतिनिधित्व करता है। रणवीर सिंह ने स्पष्ट किया कि पंजाब में दल खालसा हरपाल सिंह चीमा के नेतृत्व में संप्रुभता के हक के लिए राजनीतिक संघर्ष कर रहा है। दल खालसा के संविधान मुताबिक हर फैसला पार्टी की प्रबंधकीय कमेटी करती है।   

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