अकाली-भाजपा सरकार के शासनकाल में दर्ज झूठे मामले में सांसद बिट्टू अदालत से बरी

Edited By swetha,Updated: 27 Aug, 2019 09:05 AM

ravneet singh bittu

अकाली-भाजपा सरकार के शासनकाल में वर्ष 2011 में राजनीतिक रंजिश के चलते चंडीगढ़ में दर्ज किए झूठे मामले में माननीय अदालत ने सोमवार को  लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को बरी कर दिया।

लुधियाना(रिंकू): अकाली-भाजपा सरकार के शासनकाल में वर्ष 2011 में राजनीतिक रंजिश के चलते चंडीगढ़ में दर्ज किए झूठे मामले में माननीय अदालत ने सोमवार को  लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को बरी कर दिया। 

वर्णनीय है कि चंडीगढ़ पुलिस ने सैक्टर-11 स्थित पुलिस स्टेशन में सांसद बिट्टू के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा-144 का उल्लंघन करने व पी.जी.आई. के बाहर रोष प्रदर्शन कर सरकारी प्रापर्टी को नुक्सान पहुंचाने के आरोप में 17 मार्च 2011 को आई.पी.सी. की धारा 188 के तहत झूठा मामला दर्ज किया था, जबकि बिट्टू कभी पी.जी.आई. गए ही नहीं थे। 

करीब साढ़े 7 वर्ष तक चंडीगढ़ की अदालत में चली लंबी कानूनी प्रक्रिया में रवनीत बिट्टू के वकील एडवोकेट तरमिन्द्र सिंह ने जहां मजबूती से रखी दलीलों में सरकारी पक्ष के आरोपों को कोरा झूठा बताकर राजनीतिक रंजिश साबित किया, वहीं सरकारी पक्ष चंडीगढ़ में मामला दर्ज करने वाले दिन वहां धारा-144 लागू होने, बिट्टू की पी.जी.आई. में मौजूदगी, सरकारी प्रापर्टी की तोडफ़ोड़ सहित लगाए अन्य आरोप ही साबित नहीं कर पाया। सरकारी पक्ष की तरफ से बिट्टू के खिलाफ लगाए आरोप साबित न करने पर चंडीगढ़ की अदालत में माननीय न्यायाधीश सचिन कुमार त्यागी (जे.एम.आई.सी.) ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने खुद पर दर्ज मामले में साफ बरी होने पर कहा कि कानून ने उन्हें इंसाफ देकर पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के शासनकाल में हुई धक्केशाही व नाइंसाफी की पोल खोलकर रख दी है कि गठबंधन शासनकाल में कैसे विपक्षी नेताओं पर झूठे मामले दर्ज कर उन्हें तंग करने के प्रयास हुए।  

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