Edited By Vatika,Updated: 16 Mar, 2019 08:14 AM
लोकसभा हलका खडूर साहिब जिसको शिरोमणि अकाली दल का गढ़ कहा जाता है, इस सीट पर लंबा समय अकाली दल के सांसदों ने इतिहास रचा है। इस हलके से 4 बार अकाली दल की सीट पर सांसद रहे जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा की किसी जमाने में तूती बोलती थी। कुछ समय पहले...
तरनतारन(रमन): लोकसभा हलका खडूर साहिब जिसको शिरोमणि अकाली दल का गढ़ कहा जाता है, इस सीट पर लंबा समय अकाली दल के सांसदों ने इतिहास रचा है। इस हलके से 4 बार अकाली दल की सीट पर सांसद रहे जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा की किसी जमाने में तूती बोलती थी। कुछ समय पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देते हुए अपनी अलग पार्टी अकाली दल (टकसाली) बना ली जिसके वह मौजूदा प्रधान हैं। कांग्रेस की तरफ से अभी तक किसी भी प्रत्याशी का ऐलान न करने से कांग्रेसी और हलके के लोग दुविधा में फंसे हुए हैं।
वहीं कांग्रेसी प्रत्याशी को जहां अकाली दल के गढ़ माने जाते खडूर साहिब हलके के लोगों को ब्रह्मपुरा के साथ तोडऩे के लिए कई यत्न करने पड़ेंगे। वर्णनीय है कि ब्रह्मपुरा ने इस हलके से पूर्व सेना प्रमुख जनरल जे.जे. सिंह को अपनी पार्टी से एम.पी. की टिकट दी है। अकाली-भाजपा गठजोड़ सरकार के समय उनके लड़के रविन्द्र सिंह ब्रह्मपुरा खडूर साहिब से 2 बार विधायक भी रहे।
टकसाली अकाली दल के गठन के बाद जहां शिअद (ब) प्रत्याशी बीबी जगीर कौर द्वारा लंबे समय से हलके में काबिज ब्रह्मपुरा धढ़े को किस तरह मात देनी है, उस संबंधी कई क्षेत्रों की चुनाव सरगर्मियां तेज की जा रही हैं। इसके अंतर्गत पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजिठिया, बीबी जगीर कौर, पूर्व विधायक हरमीत सिंह संधू ने ब्रह्मपुरा के भतीजे गुरिन्द्र सिंह टोनी को शिअद बादल में शामिल किया, वहीं अकाली दल टकसाली के प्रधान रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर बादल के चाचा के लड़के सुखइन्द्र सिंह बब्बी बादल को अपनी पार्टी में शामिल कर बादल परिवार को राजनीतिक जवाब देते हुए ‘नहले’ पर ‘दहला’ फैंका है।