लोकसभा चुनावों के बाद पंजाब में होगा विधानसभा उपचुनावों का महासंग्राम

Edited By swetha,Updated: 07 May, 2019 08:56 AM

raja warring and hardeep puri

लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद पंजाब में विधानसभा उपचुनावों का महासंग्राम होगा क्योंकि राज्य विधानसभा मिनी चुनावों के दौर से गुजरने जा रहा है । लोकसभा चुनाव नतीजों के आधार पर प्रदेश भर में 6 से 10 विधानसभा हलकों में उपचुनाव करवाए जा...

जालंधरचोपड़ा): लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद पंजाब में विधानसभा उपचुनावों का महासंग्राम होगा क्योंकि राज्य विधानसभा मिनी चुनावों के दौर से गुजरने जा रहा है । लोकसभा चुनाव नतीजों के आधार पर प्रदेश भर में 6 से 10 विधानसभा हलकों में उपचुनाव करवाए जा सकते हैं। 

आम आदमी पार्टी से इस्तीफे देकर कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों की संख्या में और ज्यादा इजाफा न हुआ तो पंजाब में कम-से-कम 6 विधानसभा उपचुनाव होंगे और अगर सुखबीर बादल फिरोजपुर से, परमिन्दर ढींडसा संगरूर से, अमरेन्द्र सिंह राजा वङ्क्षडग़ बङ्क्षठडा से और सिमरजीत सिंह बैंस लुधियाना से लोकसभा चुनावों में जीत हासिल कर लेते हैं तो पंजाब में एक साथ 10 उपचुनाव होंगे। इतनी बड़ी तादाद में उपचुनावों का होना एक रिकार्ड होगा। अगर सुखबीर, ढींडसा, बैंस और वङ्क्षडग़ हार गए तब भी 6 उपचुनाव निश्चित हैं। 

पंजाब में आप के 5 विधायकों ने पहले ही इस्तीफा दे दिया है और उनमें से 2 कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। भुलत्थ विधानसभा हलका का प्रतिनिधित्व करने वाले सुखपाल खैहरा ने अपना इस्तीफा देकर पंजाब एकता पार्टी का गठन किया है, मानसा से विधायक नाजर सिंह मानशाहिया इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।  दाखा से विधायक एच.एस. फूलका का इस्तीफा पैंडिंग है, जैतो से विधायक बलदेव सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया है, रोपड़ से ‘आप’ विधायक अमरजीत सिंह संडोया ने 2 दिन पूर्व ही अपना इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली है।  इसके अलावा होशियारपुर विधानसभा हलका से 2 मौजूदा विधायक कांग्रेस व भाजपा की टिकट पर संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं।  इनमें चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के डॉ. राज कुमार चब्बेवाल और फगवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के सोम प्रकाश शामिल हैं। मुकाबला मुख्य रूप से दोनों के बीच है जिसमें एक की जीत होगी। इसका मतलब यह है कि 2 में से एक सीट पर उपचुनाव होना निश्चित है, परंतु जो भी हो करीब 10 हलकों में उपचुनावों को करवाना सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए कोई आसान काम नहीं होगा।

राजनीतिक इतिहास को देखें तो 1 या 2 उपचुनाव करवाने सत्तापक्ष पार्टी के पक्ष में जाते हैं परंतु 6 से लेकर 10 के बीच उपचुनाव करवाना कैप्टन अमरेंद्र सरकार व पंजाब प्रदेश कांग्रेस के लिए खासा चुनौतीपूर्ण होगा। चूंकि लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय व विधानसभा चुनावों में प्रादेशिक मुद्दे हमेशा हावी होते हैं परंतु अगर पंजाब में विपक्ष लोकसभा चुनावों में अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो जाता है तो विधानसभा उपचुनावों को लोकसभा चुनावों के नतीजे व्यापक स्तर तक जरूर प्रभावित करेंगे। 

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