रेल पैसेंजर का पीयूष गोयल का Tweet, शताब्दी के झटकों से हमें बचाओ

Edited By swetha,Updated: 18 Feb, 2019 11:07 AM

rail passenger

भारतीय रेलवे की उच्च श्रेणी की ट्रेन शताब्दी एक्सप्रैस सिर्फ नाम की ही शताब्दी रह गई है। वी.आई.पी. कही जाने वाली इस ट्रेन में लोग आम ट्रेनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा पैसे खर्च कर सफर करते हैं ताकि उन्हें सुखद और आरामदायक सफर मिल सके, परन्तु वास्तव...

जालंधर(गुलशन): भारतीय रेलवे की उच्च श्रेणी की ट्रेन शताब्दी एक्सप्रैस सिर्फ नाम की ही शताब्दी रह गई है। वी.आई.पी. कही जाने वाली इस ट्रेन में लोग आम ट्रेनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा पैसे खर्च कर सफर करते हैं ताकि उन्हें सुखद और आरामदायक सफर मिल सके, परन्तु वास्तव में शताब्दी के हालात पैसेंजर ट्रेन से भी बदतर हैं। सफर के दौरान यात्रियों को बार-बार झटके लग रहे हैं। ट्रेन में उनका खाना-पीना भी मुश्किल हो गया है। ऐसा नहीं है कि रेलवे विभाग को इस संबंध में जानकारी नहीं है लेकिन इसके बावजूद इसका स्थायी हल नहीं निकाला जा रहा। 

50 के करीब लगते हैं झटके
शनिवार शाम नई दिल्ली से चलकर अमृतसर की ओर आने वाली शताब्दी एक्सप्रैस (12013) में भी झटके लगने का सिलसिला जारी रहा। यात्रियों ने बताया कि पूरे सफर के दौरान करीब 50 बार उन्हें झटकों का सामना करना पड़ा जिस कारण उनका ट्रेन में खाना-पीना तक मुश्किल हो गया। झटकों से ट्रेन में सवार कई यात्रियों पर चाय और सूप भी गिर गया। 

रेलवे के दावे खोखले
ट्रेन के सी-6 कोच में सवार यात्री प्रदीप कुमार, गुलशन कुमार सहित कुछ यात्रियों ने झटकों के कारण कमर और गर्दन दर्द करने की भी शिकायत की। यात्रियों ने कहा कि रेल मंत्रालय द्वारा यात्रियों को सुख-सुविधाएं देने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन वे खोखले साबित हो रहे हैं। इतने झटके तो पैसेंजर ट्रेन में भी नहीं लगते, जितने शताब्दी एक्सप्रैस में लग रहे हैं। परेशान यात्रियों ने इस समस्या संबंधी रेल मंत्री को ट्वीट किया और ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज करवाई।

शताब्दी के झटकों को लेकर कोर्ट में भी दायर की जा चुकी है याचिका 
शताब्दी एक्सप्रैस में लगने वाले झटकों को लेकर जालंधर के एक यात्री द्वारा कोर्ट में याचिका भी दायर की जा चुकी है, जिसमें रेलवे की तरफ से कई उच्चाधिकारी भी कोर्ट में पेश हुए थे। कोर्ट ने पीड़ित यात्रियों को मुआवजा देने के भी निर्देश दिए थे। जानकारी के मुताबिक यह मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है। अगर अभी भी रेलवे विभाग ने शताब्दी में सफर करने वाले यात्रियों को झटकों से निजात नहीं दिलाई तो आने वाले दिनों में कई अन्य यात्री भी कोर्ट की शरण में जा सकते हैं। 

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