Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Nov, 2017 03:05 AM
इलैक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री के लिए बनाई गई लुधियाना एफुलैंट ट्रीटमैंट सोसायटी (लेट्स) की कारगुजारियों में किस कदर राजनीति घुसी हुई है, इसका उदाहरण कॉमन एफुलैंट ट्रीटमैंट प्लांट चलाने वाली कंपनी जे.बी.आर. ने पेश किया। लेट्स से परेशान कंपनी के चेयरमैन...
लुधियाना(धीमान): इलैक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री के लिए बनाई गई लुधियाना एफुलैंट ट्रीटमैंट सोसायटी (लेट्स) की कारगुजारियों में किस कदर राजनीति घुसी हुई है, इसका उदाहरण कॉमन एफुलैंट ट्रीटमैंट प्लांट चलाने वाली कंपनी जे.बी.आर. ने पेश किया।
लेट्स से परेशान कंपनी के चेयरमैन रजिन्दर सिंह ने ‘पंजाब केसरी’ से खुलकर बात की और कहा कि अगर लेट्स ने राजनीति बंद नहीं की तो वह सी.ई.टी.पी. का कॉन्ट्रैक्ट छोड़ देंगे। यदि ऐसा हुआ तो लुधियाना, जालंधर, मोहाली, अमृतसर, डेरा बस्सी, खन्ना, मंडी गोविंदगढ़ की 2,181 से ज्यादा इलैक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्रीज को ताले लग जाएंगे। राजिंदर सिंह ने बताया कि इसकी वजह से ऑप्रेटर कंपनी 2010 से घाटे में चल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेट्स के पदाधिकारियों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए उन्हें हमेशा रेट बढ़ाने से रोका।
जब भी पानी उठवाने के लिए रेट बढ़ाने संबंधी सदस्यों को पत्र लिखे गए तो लेट्स के तमाम तत्कालीन सी.ई.ओ., सैक्रेटरी व डायरैक्टरों ने अपनी कुर्सी पर बने रहने के लालच में उन पर रेट न बढ़ाने का दवाब बनाया कि अगर ऐसा हो गया तो सदस्य शोर मचाएंगे। इसके पीछे कारण यह था कि सभी पदाधिकारी सदस्यों से यह वायदा करके सत्ता में आते हैं कि पानी के रेट जल्द बढऩे नहीं दिए जाएंगे। नेताओं के लालच के कारण ऑप्रेटर कंपनी घाटे में जाती रही। यह घाटा आज बढ़कर 10 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
जे.बी.आर. ने लेट्स और पंजाब स्टेट इंडस्ट्रीयल एक्सपोर्ट कार्पोरेशन (पी.एस.आई.ई.सी.) के साथ साल 2007 में ट्राई पार्ट एग्रीमैंट किया था जिसके मुताबिक जे.बी.आर. ने लुधियाना सहित उक्त शहरों से इलैक्ट्रोप्लेटिंग और वायर ड्राइंग इंडस्ट्री का पानी उठवाकर उसे सी.ई.टी.पी. प्लांट में लाकर साफ करना होता है ताकि जहरीला पानी सीवरेज में न जा सके। 2010 के बाद से लेट्स के नेताओं ने आज तक रेट नहीं बढऩे दिए। अब अगर इंडस्ट्री को ताले लग गए तो प्रदूषण विभाग के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी समस्या खड़ी हो सकती है।
कारोबारी क्यों लेट्स में आने के लिए मचाते हैं आपाधापी
हाल ही में सी.ई.ओ. और अन्य पदाधिकारियों ने बिना सदस्यों को बताए चुपचाप स्वयं-भू को पदों पर घोषित कर लिया था। लेट्स एक ऐसा प्लेटफार्म है जो कारोबारियों को सरकार के नजदीक जल्द ले जाता है, इसके बदले में कारोबारी कई फायदे उठाते हैं इसीलिए लेट्स के नेता कुर्सी संभालने के लिए किसी भी हद पर जा सकते हैं। अपने लालच के लिए ऑप्रेटर कंपनी के साथ-साथ 2,181 इलैक्ट्रोप्लेटिंग व वायर ड्राइंग इंडस्ट्रीज का भविष्य भी अंधकारमय दिखाई दे रहा है।
2010 के बाद नहीं बढ़े रेट: राजिंदर सिंह
जे.बी.आर. के एम.डी. राजिंदर सिंह ने बताया उनकी कंपनी ने ट्राई पार्टी एग्रीमैंट में स्पष्ट किया था कि पानी उठवाने के रेट हर साल 5 फीसदी बढ़ाए जाएंगे। 2007 में पानी ट्रीटमैंट के लिए विभिन्न क्षमताओं के मुताबिक 30 पैसे से 50 पैसे रखा गया। यही रेट 2010 में बढ़ाकर 36 से 52 पैसे कर दिए गए लेकिन इसके बाद कभी रेट नहीं बढ़े। हर बार लेट्स के पदाधिकारियों से आग्रह किया गया कि बिजली, लेबर और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं इसलिए ट्रीटमैंट के चर्जिस भी बढ़ाए जाएं, लेकिन किसी ने नहीं सुना। कंपनी आज 10 करोड़ रुपए से ज्यादा के घाटे में आ चुकी है। सभी सी.ई.ओ. समेत पदाधिकारी मुझे अगले साल रेट बढ़ाने का झांसा देकर चुप करवा देते थे, लेकिन अब बस हो चुकी है। इसके बारे में डायरैक्टर इंडस्ट्री और पी.पी.सी.बी. के चेयरमैन काहन सिंह पन्नु को पत्र लिख दिया गया है। आज ये रेट बढ़कर कम से कम 96 पैसे से 1.25 रुपए तक होने चाहिए थे जो 52 पैसे तक ही अटके हुए हैं।