किसान आंदोलन: पंजाब रोडवेज को 20 दिनों में हुआ 5 करोड़ से अधिक का नुकसान

Edited By Sunita sarangal,Updated: 16 Dec, 2020 05:35 PM

punjab roadways loss more than 5 crores due to farmer protest

रोजाना 25 लाख का घाटा पड़ने से विभागीय अधिकारी चिंतित, जम्मू-कश्मीर में पंजाब की बसों को एंट्री नहीं मिली

जालंधर(पुनीत): किसान आंदोलन के चलते दिल्ली बंद होने से बसों में यात्री संख्या 50 प्रतिशत कम हो चुकी है जिसके चलते पंजाब रोडवेज को रोजाना 25 लाख का वित्तीय घाटा उठाना पड़ रहा है जोकि विभागीय अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। पिछले 20 दिनों से दिल्ली बंद होने से विभाग को पंजाब के सभी 18 डिपूओं में 5 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। इस क्रम में आने वाले दिनों में भी दिल्ली के रास्ते खुलने की संभावना नहीं है, जिसके चलते विभाग को अभी और नुकसान उठाना पड़ेगा।

सर्दी के मौसम के चलते हिमाचल की सर्विस बेहद कम हो चुकी है, जिसके चलते पंजाब के सभी डिपूओं में हिमाचल के लिए आने-जाने वाले यात्रियों की तादाद में कमी दर्ज हुई है। वहीं, जम्मू-कश्मीर के लिए बस सर्विस बंद पड़ी है। अधिकारियों द्वारा प्रयास करने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में पंजाब की बसों को एंट्री नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते दिल्ली/हिमाचल/जम्मू कश्मीर के लोंग रूट से विभाग को इंकम नहीं हो पा रही।

अधिकारियों का कहना है कि हिमाचल के लिए कुछ बसें भले ही चलाई जा रही हैं लेकिन इन बसों की सीटें खाली रहती हैं। केवल यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सर्विस को बंद नहीं किया जा रहा। अधिकारियों का कहना है कि हिमाचल ने भी पंजाब के लिए अपनी सर्विस में कमी कर दी है क्योंकि हिमाचल से पंजाब आने वाले यात्री बेहद कम हैं।

अंबाला की बात की जाए तो यह रूट भी फायदेमंद साबित नहीं हो पा रहा, विभाग द्वारा बसें भले ही चलाई जा रही हैं, लेकिन इन बसों में पहले की तरह यात्री नहीं मिल रहे। वहीं हरियाणा रोडवेज द्वारा बीच-बीच में सर्विस को बेहद कम कर दिया जाता है।

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अधिकारियों का कहना है कि छठ पूजा के चलते यू.पी. के लिए यात्री संख्या में बेहद बढ़ौतरी देखी गई थी जिससे यह रूट बेहद फायदेमंद साबित हुआ था लेकिन अब इस रूट पर भी गिनती के मुसाफिर देखे जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड व यू.पी. के लिए बसें चलाने की संख्या कम की गई है।

वहीं पंजाब के भीतर चलने वाली बसों के मुसाफिरों के लिए सरकारी बसों के साथ-साथ प्राइवेट ट्रांसपोर्ट का विकल्प है जिसके चलते सरकारी बसों में मुसाफिरों की संख्या कम देखी जाती है। बताया जा रहा है कि रोडवेज के मुकाबले प्राइवेट बसें शाम के बाद भी चलती रहती हैं जिसके चलते उनमें मुसाफिर अधिक संख्या में देखे जा रहे हैं।

ट्रेनें चलने से बसों को नहीं मिल रहा अधिक रिस्पांस
बताया जा रहा है कि जब ट्रेने बंद थी तो यात्रियों के पास बसों में सफर करने के अलावा और कोई भी विकल्प नहीं था लेकिन अब ट्रेनें चलने के बाद यात्री बसों में सफर करने को महत्व नहीं दे रहे। इस क्रम में चंडीगढ़ ही एकमात्र ऐसा रूट है जिसमें बसों को महत्व दिया जाता है। बताया जा रहा है कि इस रूट पर चलने वाली बसों को मुनाफा होता है। इसके अलावा होशियारपुर व बार्डर के इलाकों वाले स्टेशनों में बसें सामान्य रूप से चल रही है।

बस अड्डे में मुसाफिर न मिलने से रास्ते में बसें कर रही इंतजार
बस अड्डे में काउंटर पर बसों को रोकने का टाइम निधार्रित है इसलिए बसें अधिक समय तक खड़ी नहीं हो सकती जिसके चलते जिन बसों को बस अड्डे के अंदर उम्मीद के मुताबिक यात्री नहीं मिल पाते वह रास्ते में यात्रियों का इंतजार करते हैं। रास्ते में बसें खड़ी करना बस के चालक दलों की मजबूरी बन चुकी है क्योंकि यात्री संख्या कम होने से कई बार बसें अपना खर्च भी नहीं निकाल पाती जिसके चलते परेशानी पेश आती है। चालक दल के सदस्य बताते हैं कि अब यात्रियों के लिए इंतजार करना पड़ रहा है क्योंकि बस अड्डे में यात्री संख्या बेहद कम है।

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