साल 2018: पंजाब की राजनीति में मचा रहा घमासान, जानें मुख्य मुद्दे

Edited By Vatika,Updated: 25 Dec, 2018 05:23 PM

punjab politics 2018

साल-2018 में पंजाब की राजनीति में काफी उथल-पुथल रही। राज्य की मुख्य पार्टियां शिरोमणि अकाली दल, भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में इस साल अंतर कलह रहा। अकाली जहां बेअदबी व बहबल कलां गोलीकांड के मामले को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहा वहीं इसका...

चंडीगढ़: साल-2018 में पंजाब की राजनीति में काफी उथल-पुथल रही। राज्य की मुख्य पार्टियां शिरोमणि अकाली दल, भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में इस साल अंतर कलह रहा। अकाली जहां बेअदबी व बहबल कलां गोलीकांड के मामले को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहा वहीं इसका विघटन भी हो गया। टकसाली अकालियों ने बादल अकाली दल को अलविदा कहकर शिरोमणि अकाली दल टकसाली का गठन किया। कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया। कांग्रेस द्वारा चुनावी वायदे पूरे ना करने से लोग उससे नराज है।


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वहीं #me too के मामले में केंद्रीय मंत्री चन्नी के फंसने से पार्टी की किरकिरी हुई। इसके अलावा मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा 'कौन हैं कैप्टन'मेरा कैप्टन राहुल' के बयान से सिद्धू के बयान से कांग्रेस की फूल खुलकर सामने आई। मगर कांग्रेस हाईकमान के हस्तक्षेप से कैप्टन और सिद्धू के बीच यह मामल सुलझ गया। भाजपा का आंतरिक कलह कई दिलों में देखने को मिला। शवेत मलिक को भाजपा प्रधान बनाने से कई नेता नराज हुए। कई जिलों में भाजपा के पुराने कार्यकत्र्ता व नेता सक्रिय राजनीति से अलग होकर बैठ गए। गुरदासपुर लोकसभा के उपचुनाव आपसी फूट रही जिस कारण पार्टी सीट से हार गई। सबसे बुरा हाल आम आदमी पार्टी का हुआ। विधानसभा विपक्ष के नेता खैहरा को हटाकर आप प्रमुख हरपाल चीमा को बनाए जाने से आप की बगावत खुलकर सामने आई कि आप 2 फाड़ हो गई। एकतरफ केजरीवाल के विश्वासपात्र भगवंत मान और दूसरी तरफ सुखपाल खैहरा गुट।

कांग्रेस के विवाद

  • कैबिनेट मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी इस साल 'मी -टू' विवाद में फंस गए। उन पर महिला आई. ए. अफ़सर ने अश्लील मैसज भेजने के आरोप लगाए, जिसके बाद चन्नी विरोधियों के निशाने पर आ गए। चन्नी ने बाद में इस मामले में माफी भी मांगी थी। 
  • पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के शपथ समारोह में शामिल हुए कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू उस समय विवादों में आ गए, जब उन्होंने पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को गले लगा लिया था, जिससे भारत में सिद्धू का चारो तरफ विरोध किया गया।
  • पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबियों के मामले में कैप्टन सरकार की तरफ से जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन बनाया गया, जिसकी रिपोर्ट पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई, जिसमें सामने आया कि बहबल कलां और बरगाड़ी गोलीकांड बादलों के इशारे पर हुआ है। इसके बाद पूरे पंजाब और देशों -विदेशों में बादलों का विरोध शुरू हो गया।
  • मुख्मंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच करतारपुर कॉरीडोर के मामले पर तीखापन देखने को मिला, जहां सिद्धू पाकिस्तान चले गए, वहीं कैप्टन ने जाने से इंकार कर दिया तो सिद्धू बाद में 'कौन कैप्टन' का बयान देकर विवादों में फंस गए।

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अकाली दल की मुसीबत

  • शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता और राज्यसभा मैंबर सुखदेव सिंह ढींडसा ने इस साल पार्टी के सभी पद से इस्तीफ़ा दे दिया। चाहे उन्होंने अपना इस्तीफ़ा देने का कारण ख़राब सेहत को बताया लेकिन राजनीतिक गलियारों मुताबिक उन्होंने पार्टी की नीतियों से दुखी होकर इस्तीफ़ा दिया।
  • ढींडसा के बाद अकाली दल के सीनियर नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने भी पार्टी के पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में इन टकसाली नेताओं की अकाली दल के प्रति नफरत खुलकर सामने आई तो इन नेताओं ने अलग अकाली दल बनाने का ऐलान कर दिया।
  • बेअदबी मामलों और गोलिकांड की घटना पर अकाली दल इतना बुरी तरह घिर गया कि उन्हें माफी मांगने के अलावा  कोई होने सुझाव नहीं सूझा। इसके लिए समूची अकाली लीडरशिप ने श्री अकाल तख्त साहिब जाकर माफी मांगी और पाठ के भोग करवाए।

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आप में क्लेश

  • आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से भुलत्थ के विधायक सुखपाल खैहरा को विपक्ष पद से हटा दिया गया। पार्टी की तरफ से ऐसा पार्टी के खिलाफ गतिविधियों कारण किया गया, जिसके बाद आप नेता हरपाल चीमा को विपक्ष का नेता बनाया गया।
  • सुखपाल खैहरा को हटाते ही आप में क्लेश बढ़ गया और पंजाब की खुदमुख्यतयारी के लिए पार्टी के 8 विधायक कंवर संधू, नाजर सिंह मानशाहिया, मास्टर बलदेव सिंह, जगदेव सिंह कमालू, पिरमल सिंह हिस्सोवाल, जयविशन रोड़ी और रुपिंदर कौर रूबी ने पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया, जबकि जयकिशन रोड़ी ने दिसंबर महिने में घर वापसी कर ली।
  • आप को उस समय कुछ राहत मिली जब जस्टिस जोरा सिंह ने पार्टी का हाथ थाम लिया। बता दें कि बेअदबी की घटनाओं पर अकाली दल ने एक आयोग का गठन किया था और इसके प्रमुख जस्टिस जोरा सिंह ही थे।

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