Edited By swetha,Updated: 07 Jul, 2019 01:00 PM
पंजाब में लगातार गिरता जा रहा भू-जल पंजाब सरकार तथा कृषि माहिरों के लिए चिंता का विषय बन हुआ है।
जालंधरःपंजाब में लगातार गिरता जा रहा भू-जल पंजाब सरकार तथा कृषि माहिरों के लिए चिंता का विषय बन हुआ है। सरकार अब पानी की बर्बादी को रोकने के लिए पुख्ता कदम उठाने के साथ-साथ धान की बजाए मक्की की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेगी। पंजाब कृषि विभाग ने मक्की की खेती के तहत वर्तमान 1.08 हेक्टेयर से 2 लाख हैक्टेयर भूमि लाने के लिए अभियान शुरू किया है। इससे आशा है कि पिछले वर्ष की तुलना में 7,60,000 मीट्रिक टन मक्का (मकई) का उत्पादन होगा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3,46,000 मीट्रिक टन अधिक होगा।
धान की तरह मक्की की फसल को अधिक पानी की अधिक आवश्यकता नहीं होती। दिन ब दिन गिरते जा रहे भू-जल के कारण पंजाब के लिए इसकी खेती लाभदायक होगी। आपको बता दें कि 1 किलो धान के उत्पादन के लिए औसतन 3,700 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, शीतकालीन मक्की की फसल को समान मात्रा में फसल के लिए लगभग 1,222 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।पंजाब कृषि विभाग ने धान पर निर्भर जिलों में कुछ किसानों को मुआवजा देने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है, जो धान से मक्का में बदल जाएगा। विभाग का मानना है कि इस परिवर्तन से धान की पराली जलाने की समस्या को रोकने में भी मदद मिलेगी। विभाग मक्की के बीज पर 90 रुपए प्रति किलो की सब्सिडी भी दे रहा है।