Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Oct, 2017 12:23 PM
पंजाब के खिलाडिय़ों ने बढिय़ा खेल प्रदर्शन के बल पर खेल का मतलब पंजाब बनाया। पूरे भारत में ही नहीं, विश्व में पंजाब के खिलाडिय़ों ने अपनी अलग छाप छोड़ी है। चाहे वह कुश्ती में गामा पहलवान हो या धावक में मिल्खा सिंह हो जिन्होंने पंजाब और भारत का नाम...
बठिंडा (विजय): पंजाब के खिलाडिय़ों ने बढिय़ा खेल प्रदर्शन के बल पर खेल का मतलब पंजाब बनाया। पूरे भारत में ही नहीं, विश्व में पंजाब के खिलाडिय़ों ने अपनी अलग छाप छोड़ी है। चाहे वह कुश्ती में गामा पहलवान हो या धावक में मिल्खा सिंह हो जिन्होंने पंजाब और भारत का नाम रोशन किया। वहीं भारत में आज के लोकप्रिय खेल क्रिकेट में भी पंजाब के खिलाड़ी किसी मामले में पीछे नहीं हैं जिनमें युवराज सिंह, हरभजन सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू आदि प्रमुख हैं। हॉकी में भी पंजाब ने अपनी धाक जमाई हुई है। मगर कुछ वर्षों में देखने को मिला है कि यह क्रम धीरे-धीरे करके पंजाब से खिसक रहा है। वहीं पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा व अन्य खेल के मामले में पंजाब से आगे निकल रहा है। चाहे वह ओलिम्पिक खेल हो अथवा राष्ट्रमंडल के खेल हों, सभी में हरियाणा आगे निकलता दिखाई दे रहा है। आज स्थिति यह है कि पहलवानी में हरियाणा के ही खिलाडिय़ों का दबदबा बना हुआ है। आखिर ऐसा क्यों होता है, इसकी पड़ताल करने की कोशिश ‘पंजाब केसरी’ की मंडे स्टोरी में की गई है।
विदेशों में युवाओं का पलायन
बढ़ती बेरोजगारी ने भी युवाओं की खेल के प्रति रुचि कम करने ने अहम भूमिका निभाई है। युवाओं में जल्दी से जल्दी पैसा कमाने का पारिवारिक दबाव रहता है, जिस वजह से युवा विदेशों के तरफ रुख करने में दिलचस्पी लेने लगे हैं। कुछ कमाई करने के लिए जाते हैं तो कुछ पढ़ाई के लिए कनाडा और आस्ट्रेलिया के तरफ रुख करने लगते हैं। इस तरह से पंजाब की युवा प्रतिभा पलायन के शिकार हो चुकी है। विभिन्न उच्च कोटि के खिलाड़ी भी सुविधाओं के अभाव व सिफारिशी प्रणाली के चलते विदेशों का रुख करते हैं।
यशवीर गोयल सरकारी अनदेखी का हुआ शिकार
नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी की प्रतियोगिता में देश भर में यशवीर गोयल ने पहला स्थान हासिल करके अपनी क्षमता को साबित किया था यशवीर गोयल चाहते थे कि विश्व चैम्पियन बनें परंतु सरकार के अनदेखी का शिकार हुए उन्हें वियतनाम में हुए मुकाबले में अचीवमैंट अवार्ड से ही संतुष्ट होना पड़ा।
खेल में पंजाब से आगे निकल गया हरियाणा
हरियाणा की साक्षी मलिक ने रियो ओलिम्पिक में कांस्य पदक जीतकर अपने राज्य का ही नहीं पूरे भारत का नाम रोशन किया था। वहीं रियो ओलिम्पिक 2016 में भाग लेने गए खिलाडिय़ों में भी हरियाणा के खिलाड़ी पंजाब से ज्यादा थे। पंजाब के 14 खिलाडिय़ों का चयन हुआ था जबकि हरियाणा के 24 खिलाडिय़ों ने रियो ओलिम्पिक में भाग लिया था। पंजाब से कम कर्नाटक के 11 खिलाडिय़ों ने भाग लिया था।
खिलाडिय़ों को भविष्य की चिंता
खेल में अपना करियर बनाने वाले युवाओं की भी काफी कमी देखने को मिली है। खेलों में तैयारी करने के बाद अगर कहीं नौकरी न मिले तो एकाएक युवा बेरोजगार के हो जाता है जिस कारण वही युवा खेल में अपना करियर बनाने के सोचते हैं जो आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं।