Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 09:21 AM
जमीनों/संपत्तियों के कलैक्टर रेट निर्धारित करने के लिए डिस्ट्रिक्ट कलैक्टर्स को स्वतंत्रता देने की बजाय पंजाब सरकार उन्हें विशेष रूप से कलैक्टर रेट निर्धारित करने के लिए निर्देश दे रही है।
चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): जमीनों/संपत्तियों के कलैक्टर रेट निर्धारित करने के लिए डिस्ट्रिक्ट कलैक्टर्स को स्वतंत्रता देने की बजाय पंजाब सरकार उन्हें विशेष रूप से कलैक्टर रेट निर्धारित करने के लिए निर्देश दे रही है।
इसे नियमों के विरुद्ध बताते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट ने वैल्यूर्स एसोसिएशन, लुधियाना की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार व इसके फाइनैंशियल कमिश्नर, राजस्व को 16 मार्च के लिए नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि पंजाब स्टाम्प्स (डीलिंग ऑफ अंडरवैल्यूड इंस्ट्रूमैंट्स) रूल्स, 1983 के नियम 3-ए डिस्ट्रिक्ट कलैक्टर्स को जिलों में इलाकों व श्रेणियों के हिसाब से जमीन/सम्पत्तियों की न्यूनतम मार्कीट वैल्यू निर्धारित करने तथा आगे यह जानकारी रजिस्ट्रिंग ऑफिसरों को प्रापर्टी ट्रांसफर के साधनों पर स्टाम्प ड्यूटी के लिए शक्ति प्रदान करता है।
3-ए में कई कारक होते हैं जिनको डिस्ट्रिक्ट कलैक्टर को कलैक्टर रेट निर्धारित करते वक्त ध्यान में रखना पड़ता है जिसमें संपत्ति की सड़कों से, बस स्टैंड से, रेलवे स्टेशन, फैक्टरियों, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, सरकारी ऑफिसों व शापिंग काम्प्लैक्सों से दूरी को भी ध्यान में रखना पड़ता है। वहीं कलैक्टर रेट निर्धारित करने के लिए डिस्ट्रिक्ट कलैक्टर को विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करना होता है जिनमें डिपार्टमैंट ऑफ पब्लिक वर्क, डिपार्टमैंट ऑफ रैवेन्यू एंड रिहैब्लिटेशन, पुडा, डिपार्टमैंट ऑफ लोकल गवर्नमैंट, डिपार्टमैंट ऑफ रूरल डिवैल्पमैंट एंड पंचायत, डिपार्टमैंट ऑफ हॉट्रीकल्चर/फोरैस्ट/टाऊन प्लानिंग/इंडस्ट्रीज शामिल हैं।
ब्लैक मनी को दिया जा रहा बढ़ावा
याचिका में उदाहरण पेश करते हुए कहा गया है कि फाइनैंशियल कमिश्नर, राजस्व ने 6 सितम्बर, 2017 को एक नोटीफिकेशन जारी की थी जिसमें सभी डिस्ट्रिक्ट कलैक्टर्स को शहरी इलाकों में संपत्तियों के कलैक्टर रेट 5 प्रतिशत घटाने के लिए निर्देश दिए गए थे। वहीं ग्रामीण इलाकों में 10 प्रतिशत रेट घटाने के निर्देश दिए गए थे।
याचिका में कहा गया है कि पंजाब सरकार द्वारा संपत्तियों के तय किए गए रेट मार्कीट वैल्यू के मुश्किल से आधे हैं। ऐसे में यदि किसी प्रापर्टी की मार्कीट वैल्यू 2 करोड़ है तो इसकी ट्रांसफर 1 करोड़ के लिए रजिस्टर्ड होगी। बाकी की 1 करोड़ ब्लैक मनी के रूप में देय होगी। ऐसे में जमीन से जुड़े व्यापार में ब्लैक मनी को बढ़ावा दिया जा रहा है।