पंजाब चुनाव 2022 : क्या कहते हैं राजनीतिक समीकरण, जानें

Edited By Sunita sarangal,Updated: 13 Feb, 2022 02:14 PM

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20 फरवरी को पंजाब के 2.12 करोड़ मतदाता अगली सरकार चुनने के लिए मतदान करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 16962 तथा शहरी क्षेत्रों में 7727 पोलिंग.........

 जालंधर(अनिल पाहवा): 20 फरवरी को पंजाब के 2.12 करोड़ मतदाता अगली सरकार चुनने के लिए मतदान करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 16962 तथा शहरी क्षेत्रों में 7727 पोलिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। कुल 1304 उम्मीदवार मैदान में हैं जिसमें लगभग 580 विभिन्न राजनीतिक दलों से संबंधित हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस को 77 सीट मिली और 29 सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। अकाली दल और भाजपा ने 18 सीटों पर विजय हासिल की और 62 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रहे। आम आदमी पार्टी 22 सीटों पर विजय रही और 26 सीटों से दूसरे नंबर पर रही। 2022 के चुनाव में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, किसान संयुक्त मोर्चा, भाजपा गठबंधन तथा अकाली दल गठबंधन मैदान में हैं। इस पंचकोणीय मुकाबले में विभिन्न नामी राजनीतिक दलों के ही लगभग 580 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 275 से 300 उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने की संभावना है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक दलों के कम से कम दो उम्मीदवार ऐसे होंगे जो जमानत बचाने के लिए जरूरी पोलिंग वोटों का 16.5 प्रतिशत भी हासिल नहीं कर पाएंगे। इस संबंध में रूरल मार्कीटिंग कंसल्टेंट राकेश झांजी से विशेष तौर पर बातचीत की गई। प्रस्तुत हैं उसके अंशः-

प्र. पंजाब में कौन सा वर्ग करता है मतदान को सबसे अधिक प्रभावित ?
उ. 
पंजाब के मतदाताओं में से लगभग 64 लाख दलित वोट, 57 लाख हिन्दू वोट तथा लगभग 50 लाख के करीब जाट सिख वोट है। यह तीनों ब्लॉक चुनाव परिणामों की दिशा तय करते हैं। पंजाब में कुल दलित वोट बैंक में से लगभग 44 लाख दलित सिख और 20 लाख दलित हिन्दू हैं। 2017 में कांग्रेस ने 41 प्रतिशत, अकाली दल व भाजपा ने 34 प्रतिशत तथा आप ने 19 प्रतिशत दलित सिख वोट प्राप्त किए। दलित हिन्दुओं के कांग्रेस ने 43 प्रतिशत, अकाली दल-बीजेपी ने 26 प्रतिशत, आप ने 21 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। अनुसूचित जाति के वोटरों को प्रभावित करने के लिए अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया है। दलित पारंपरिक रूप से पंजाब में कांग्रेस के पीछे खड़ा रहा है और दलित मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर कांग्रेस ने इस संबंध को और मजबूत करने की कोशिश की है। पंजाब का सामाजिक ढांचा इस प्रकार का है कि कोई भी बड़ा ब्लॉक एकजुट होकर किसी भी राजनीतिक दल को वोट नहीं डालता। आने वाले चुनाव में कांग्रेस को दलित वोटों का 40 से 50 प्रतिशत का समर्थन मिलता ही नज़र आ रहा है। शेष सभी वोट बाकी राजनीतिक दलों में विभाजित होने की संभावना है।

प्र. हिंदू वोट किस तरफ जाने की है संभावना?
उ.
2017 के चुनाव में कांग्रेस को 48 प्रतिशत, अकाली दल-भाजपा को 22 प्रतिशत तथा आप को 23 प्रतिशत हिंदुओं का समर्थन मिला था। पंजाब की सियासत का यह इतिहास रहा है कि जब भी भाजपा कमजोर हुई है उसका फायदा कांग्रेस को मिला है। अकाली तथा भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन टूटने से कांग्रेस को सियासी फायदा होने के आसार है। भारतीय जनता पार्टी को किसान आंदोलन की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है इसलिए वह खास तौर से हिन्दू आबादी वाले क्षेत्रों में ज्यादा मेहनत कर रही है। हिन्दू मतदाता हमेशा एकजुट होकर किसी एक पार्टी को वोट नहीं देते। 14 प्रतिशत हिन्दू मतदाता ही समय-समय पर अपनी पसंद को बदलते हैं। राज्य की 45 विधानसभा सीटों पर या तो हिन्दू बहुसंख्यक है या वह जीत व हार को प्रभावित कर सकते हैं। आम तौर पर देखा गया है कि पंजाब का हिन्दू वोटर उसी पार्टी को वोट देता है जो कट्टरपंथी विचारधारा की विरोधी होती है, जो पंजाब में उनके कारोबार को सुरक्षा दे सके और राज्य में भाईचारा और शांति बनाए रखे। 2022 के विधानसभा चुनाव में 80 प्रतिशत हिन्दू वोट बीजेपी, कांग्रेस तथा आप मे विभाजित होने की संभावना है। शेष 20 प्रतिशत और दलों को जा सकता है।

प्र. क्या सोच रहा है पंजाब का जाट सिख वोटर ?
उ.
पंजाब चुनाव का इतिहास यह बताता है कि जाट सिखों ने हमेशा अकाली दल को बड़ी संख्या में वोट दिया है चाहे चुनावों के नतीजे कुछ भी रहे हों। 2017 से पहले हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के पक्ष में औसतन 30 प्रतिशत तथा अकाली दल के पक्ष में औसतन 60 प्रतिशत जाट सिख वोट पड़ते रहे हैं। 2017 में आम आदमी पार्टी के आने से अकाली दल के इस वोट बैंक में भारी गिरावट आई। पिछले विधानसभा चुनाव में जाट सिख मतदाताओं में से 28 प्रतिशत ने कांग्रेस को अकाली दल को 37 प्रतिशत तथा आप को 30 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। आम आदमी पार्टी ने अकाली दल के इस वोट बैंक में बहुत बड़ी सेंधमारी की। 22 किसान संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा के नाम से बलबीर सिंह राजेवाल की अध्यक्षता में एक नई राजनीतिक पार्टी बना ली है जो कि चुनाव लड़ने जा रही है। किसान आंदोलन को ग्रामीण सिखों का खास कर जाट सिखों का भरपूर समर्थन मिला था। पंजाब में किसान संगठनों के ग्रामीण क्षेत्रो में लगभग 5 लाख सदस्य तथा 6 हजार के लगभग गांव लेवल की कमेटियां हैं। यह दल केवल किसानों के साथ एक पार्टी बनाकर चुनाव में कुछ विशेष सफलता प्राप्त कर सके। इसकी संभावना बहुत कम है क्योंकि पंजाब में कोई ऐसा चुनाव क्षेत्र नही हैं जिसमें हर वर्ग के लोग आपको ना मिले और ना कोई ऐसा राजनीतिक दल नहीं है जिसमें हर तरह के वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व ना हो।

प्र.  मालवा, माझा तथा दोआबा के दिल में क्या?
उ.
पंजाब की राजनीति में एक कहावत बहुचर्चित है कि जो मालवा जीत लेता है वह सरकार बना लेता है। 2017 के चुनाव में मालवा क्षेत्र में कांग्रेस ने 40, अकाली दल ने 9 और आप ने 18 विधानसभा क्षेत्रों में विजय प्राप्त की थी। माझा क्षेत्र से कांग्रेस को 22, अकाली दल व भाजपा को 3 तथा आप को कोई विजय प्राप्त नहीं हुई। दोआबा क्षेत्र में कांग्रेस को 15, अकाली दल व भाजपा को 6 तथा आप को 2 विधानसभा क्षेत्र में सफलता प्राप्त हुई थी। आने वाले चुनाव में बहुमत प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल को मालवा क्षेत्र में कम से कम 35 सीटें प्राप्त करनी होगी जो कि एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि मालवा में अकाली दल, आम आदमी पार्टी, संयुक्त किसान पार्टी तथा कांग्रेस का अपना-अपना एक सुरक्षित वोट बैंक है। बिना किसी लहर के या बिना किसी अंडर करंट के किसी एक दल का मालवा में 35 के आंकड़े को छूना आसान नहीं। आम आदमी पार्टी को बहुमत का आंकड़ा पाने के लिए पिछले चुनाव के वोट प्रतिशत में अपने पक्ष में 10 प्रतिशत की ऊपरी सेविंग की आवश्यकता है जबकि अकाली दल को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए अपने पक्ष में 12 प्रतिशत की ऊपरी सविंग की आवश्यकता है। एंटी इनकम्बेंसी और अंतर्कलह की वजह से कांग्रेस के वोटों में अगर 8 प्रतिशत की भी गिरावट आती है तो वह बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाएगी। पंजाब में विधानसभा चुनाव के मुहाने पर जिस तरह की राजनीतिक उठापटक मची है, उससे यह अनुमान लगाना बहुत कठिन है कि चुनाव में किसी भी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिल सकेगा या नहीं क्योंकि प्रदेश में सत्ता के इतने हितधारक हो गए हैं कि मतदाता का रुझान क्या होगा, अंदाजा लगाना मुश्किल है।  

2017 में क्षेत्र अनुसार राजनीतिक दलों को हासिल सीटें

पार्टी मालवा माझा दोआबा
कांग्रेस 40 22 15
अकाली दल व भाजपा 9 3 6
आम आदमी पार्टी 18 0 2


2017 में राजनीतिक दलों को हासिल जातिगत वोट का समीकरण

दलित - 23.9% 

हिंदू - 35%

जाट सिख - 41%

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