Edited By Updated: 22 Jan, 2017 10:22 AM
राजस्थान की सीमा पर गंगानगर के साथ लगते अबोहर विधानसभा सीट पर चुनाव काफी दिलचस्प होने वाले हैं। शराब व्यापारी, भीम टांक हत्याकांड में आरोपी और अकाली समर्थक शिवलाल डोडा ने चुनावी दंगल को रोचक बना दिया है।
अबोहर(गुरुपदेश भुल्लर): राजस्थान की सीमा पर गंगानगर के साथ लगते अबोहर विधानसभा सीट पर चुनाव काफी दिलचस्प होने वाले हैं। शराब व्यापारी, भीम टांक हत्याकांड में आरोपी और अकाली समर्थक शिवलाल डोडा ने चुनावी दंगल को रोचक बना दिया है। हालांकि अकाली प्रधान अशोक आहूजा ने गत दिनों डोडा के नामांकन वापस लेने को लेकर घोषणा कर दी थी लेकिन शनिवार देर शाम तक उनका नाम वापस तो नहीं हो सका लेकिन चुनाव आयोग की सूची में उन्हें चुनाव चिन्ह बाल्टी जरूर मिल गया है। अब वोटर्स में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहेगी कि अकाली दल अगर भाजपा के उम्मीदवार को समर्थन कर रहा है तो शिअद समर्थक डोडा की बाल्टी बैलेट में क्यों है।
यहां से नेता विपक्ष रहे पंजाब प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुनील जाखड़ लगातार चौथी बार मैदान में हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी डोडा आजाद प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी जाखड़ को कड़ी टक्कर दी थी। डोडा लगभग 9 हजार मतों के अंतर से हारे थे जबकि उस समय भाजपा उम्मीदवार विजय लक्ष्मी भादू की जमानत तक जब्त हो गई थी। डोडा ने अदालत की अनुमति के बाद इस बार भी आजाद उम्मीदवार के तौर पर कागज भरे थे।
इसके बाद जाखड़ और डोडा के बीच दिलचस्प मुकाबला होने के अनुमान लगाए जा रहे थे। बेशक अब डोडा के हट जाने के बाद दृश्य पूरी तरह बदल जाएगा। अब भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार के बीच सीधी टक्कर होने की उम्मीद है। बेशक ‘आप’ का उम्मीदवार भी मैदान में है। डोडा के आजाद चुनाव लडऩे के चलते शिअद की वोट उसकी ओर जा रही थी। शिवलाल के बेटे गगन डोडा का कहना है कि वह नामांकन वापस लेने गए थे लेकिन तकनीकी समस्या के चलते नहीं ले सके। इसी कारण उन्हें चुनाव चिन्ह भी मिल गया है। नामांकन वापसी की वह पहले ही घोषणा कर चुके हैं। हमारा समर्थन भाजपा को है।
नोटबंदी और कैप्टन पर पार्टियां आमने-सामने
जहां भाजपा नोटबंदी को मुद्दा बना रही है और ‘आप’ भ्रष्टाचार व नशों पर लगाम लगाने की बात कह रही है वहीं कांगे्रस शहर के विकास के लिए कैप्टन अमरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाने के लिए सरकार बनाने के नाम पर वोट मांग रही है। कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ का कहना है कि पार्टी के विपक्ष में होने के कारण ही यहां विकास रुका हुआ है। कैप्टन अमरेंद्र को लाकर ही शहरों और गांवों का विकास करवाया जा सकता है।
इस बार चुनाव आयोग भी ज्यादा सक्रिय
इस बार अबोहर हलके में चुनाव आयोग की कड़ी सक्रियता भी देखने को मिल रही है। आयोग चुनाव आचार संहिता ही लागू नहीं करवा रहा, बल्कि अधिक से अधिक मतदान के लिए भी मतदाताओं को जागरूक कर रहा है। शहरों और गांवों के मुख्य केंद्रों पर बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर वोट के महत्व को बताकर वोट करने के लिए प्रेरणा दी जा रही है। स्कूलों-कालेजों में भी चुनाव अधिकारी जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
औद्योगिकीकरण और विकास भी मुख्य मुद्देे
वोटरों से बातचीत में सामने आया कि विकास और औद्योगिकीकरण मुख्य मुद्दे हैं। वोटर सभी सरकारों को कोसते हैं कि यहां विकास नहीं हुआ। सफाई का बुरा हाल है। सड़कों और बुनियादी सुविधाओं की कमी है। नई इंडस्ट्री तो क्या लगनी थी पहले लगी फैक्टरियां भी बंद हो चुकी हैं। उल्लेखनीय यह है कि पंजाब के अन्य हलकों के मुकाबले यहां नशा बड़ा मुद्दा नहीं है। शहरियों ने अपने बलबूते पर ही हैल्थ क्लब स्थापित किए हैं।
कांग्रेस का रहा है दबदबा, आजाद प्रत्याशियों ने दी है टक्कर
हालांकि अबोहर सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन आजाद प्रत्याशी भी दोनों प्रमुख सियासी दलों भाजपा और कांग्रेस को कड़ी टक्कर देते रहे हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशी के तौर पर शिवलाल डोडा को 45 हजार से अधिक वोट मिले थे। इसके साथ वह दूसरे नंबर पर रहे जबकि पहले नंबर पर कांग्रेस के सुनील जाखड़ थे। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विजय लक्ष्मी भादू की जमानत तक जब्त हो गई थी। हालांकि अभी तक आजाद प्रत्याशी इस सीट से जीत हासिल नहीं कर पाया है लेकिन 15 में से 3 बार आजाद प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा है। वर्ष 2002 में भी आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे सुधीर नागपाल 30 हजार से अधिक वोटों के साथ कांग्रेस से हारकर दूसरे नंबर पर थे। इससे पहले वर्ष 1969 में भी आजाद प्रत्याशी परमानंद ने प्रमुख दलों को कड़ी टक्कर देते हुए दूसरा नंबर हासिल किया था। उन्होंने भारतीय जन संघ (बी.जे.एस.) के प्रत्याशी को हराया था।