शहर को चाहिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 10:39 AM

punjab corporation election

17 दिसम्बर को निगम चुनाव होने जा रहे हैं जिस कारण पूरा शहर चुनावी रंग में रंगना शुरू हो गया है। अक्सर चुनावों में पब्लिक हित के मुद्दे जोर-शोर से उठते हैं परन्तु हैरानी की बात है कि इस बार हो रहे नगर निगम चुनावों में अब तक पब्लिक हित के मुद्दे...

जालंधर(खुराना): 17 दिसम्बर को निगम चुनाव होने जा रहे हैं जिस कारण पूरा शहर चुनावी रंग में रंगना शुरू हो गया है। अक्सर चुनावों में पब्लिक हित के मुद्दे जोर-शोर से उठते हैं परन्तु हैरानी की बात है कि इस बार हो रहे नगर निगम चुनावों में अब तक पब्लिक हित के मुद्दे बिल्कुल गायब दिख रहे हैं।पिछले कुछ समय से प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में सबसे बड़े मुद्दे के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। शहरों में प्रदूषण की मुख्य जड़ वाहनों से निकलता जहरीला धुआं है जिस कारण इस समय जालंधर जैसे शहर को पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बेहद जरूरत महसूस हो रही है परन्तु अफसोस है कि इन निगम चुनावों दौरान पब्लिक हित का यह मुद्दा बिल्कुल इग्नोर है और शायद ही कोई उम्मीदवार या नेता इस बारे बात कर रहा हो।

कभी शहर में चलती थी सिटी बस सर्विस
2008 में अकाली-भाजपा सरकार ने जालंधर शहर में सिटी बस सॢवस की शुरूआत करके खूब वाहवाही लूटी थी। पी.पी.पी. मोड़ पर शुरू की गई इस बस सर्विस का लाभ शहरियों ने खूब उठाया और उन्हें कई साल मात्र 5-10 रुपए में आने-जाने का सुअवसर मिला। लेकिन लचर सरकारी सिस्टम के चलते बाकी योजनाओं की तरह सिटी बस सॢवस भी लापरवाही का शिकार हो गई और 2014 में इसे बंद करना पड़ा। तब से लेकर आज तक 4 सालों में सिटी बस सर्विस को दोबारा चालू करने के लिए कोई खास प्रयास नहीं हुए, सिर्फ फाइलों में योजनाएं बनीं।

अमरूत योजना में प्रावधान
-128 बसों की खरीद : 52 करोड़
-बस शैल्टर व इंटैलीजैंट ट्रैफिक सिस्टम : 12 करोड़
-फुट ओवरब्रिज, फुटपाथ व सबवेज : 41 करोड़
-मल्टीलैवल पार्किंग सिस्टम : 125 करोड़
-नॉन मोटराइंड ट्रांसपोर्ट क्षेत्र : 33 करोड़

शहर में हैं 12 लाख वाहन
एक सर्वे के अनुसार इस समय जालंधर शहर की सड़कों पर 12 लाख के करीब वाहन दौड़ते हैं जो बढ़ रहे प्रदूषण का मुख्य कारण माने जाते हैं। आटो रिक्शाओं की संख्या हजारों में है। टै्रफिक पुलिस ने शायद ही कभी किसी वाहन का प्रदूषण लैवल चैक किया हो। जो एयर क्वालिटी इंडैक्स 300 के पार जाने पर खतरनाक और कई मरीजों के लिए जानलेवा तक बन सकता है। पिछले दिनों वही इंडैक्स जालंधर में 1200 के पार चला गया था। हैरानीजनक है कि ऐसे स्थिति आने के बावजूद किसी जनप्रतिनिधि ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की जरूरत का मुद्दा उठाने की जहमत नहीं उठाई।

जवाहर लाल नेहरू मिशन में भी था प्रस्ताव
जब केंद्र में यू.पी.ए. की सरकार सत्तारूढ़ थी तब शहरी विकास के लिए जवाहर लाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन के प्रोजैक्ट में सिटी बस सर्विस को डाला गया था तब शहर में 128 बसें चलाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। उसके बाद केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार सत्ता में आई, जिसने आते ही जवाहर लाल नेहरू अर्बन मिशन को खत्म करके अमरूत (अटल मिशन फॉर रिजैनरेशन ऑफ अर्बन ट्रांसफार्मेशन) लागू कर दिया। इस स्कीम अधीन 128 सिटी बसों का प्रस्ताव डाला गया जो अभी तक फाइलों की धूल फांक रहा है।

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