गन्ना उत्पादकों के लिए पंजाब कैबिनेट ने लिए अहम फैसले

Edited By swetha,Updated: 02 Mar, 2019 03:03 PM

punjab cabinet meeting

पंजाब सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समिति के लगभग 2.85 लाख सदस्य कृषि मजदूरों और भूमिहीन किसानों के लिये कर्ज राहत/माफी योजना को आज सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान जिसके तहत लगभग 2.85 लाख लोगों को 520.55 करोड़ रूपये की राहत मिलेगी।

चंडीगढ़ः पंजाब सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समिति के लगभग 2.85 लाख सदस्य कृषि मजदूरों और भूमिहीन किसानों के लिये कर्ज राहत/माफी योजना को आज सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान जिसके तहत लगभग 2.85 लाख लोगों को 520.55 करोड़ रूपये की राहत मिलेगी। इनमें लगभग 70 प्रतिशत दलित हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंदर सिंह की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी प्रदान की गई। इस राहत में 388.55 करोड़ रुपए की मूल राशि है तथा इस पर 31 मार्च, 2017 तक सात प्रतिशत की दर से 78 करोड़ रुपए ब्याज तथा 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2019 तक इसी दस से 54 करोड़ रुपए ब्याज अतिरिक्त है। 

हाल ही में विधानसभा में पेश किये गये वर्ष 2019-20 के बजट में इस योजना के लिये सरकार ने राशि का प्रावधान किया था। उन्होंने कहा था कि राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार होने पर वह भूमिहीन किसानों और कृषि मजदूरों को भी कर्ज राहत योजना के दायरे में लाएंगे। योजना के तहत 31 मार्च, 2017 तक 25 हजार रुपए तक की मूल राशि के कर्ज ही राहत योग्य होंगे तथा जिस पर सात प्रतिशत की दर से सालाना साधारण ब्याज होगा। सरकारी, अद्र्ध सरकारी, राज्य और केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी/पैंशनर या आय कर दाता कर्मचार इस योजना के अंतर्गत कवर नहीं होंगे।  एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह योजना राज्य सरकार लघु एवं सीमांत किसानों के लिए अक्तूबर, 2017 में शुरू की गई दो लाख रुपए की कर्ज राहत योजना का हिस्सा है। सरकार की इस योजना से राज्य में अब तक लगभग 5.47 लाख लघु एवं सीमांत किसानों के करीब 4600 करोड़ रुपए के कर्ज माफ किये गये हैं।  

शहीद कुलविंदर के परिवार की सरकार करेगी पूरी मदद
पुलवामा के शहीद कुलविंदर के अभिभावकों को दस हजार रूपये पेंशन को मंजूरी  मंत्रिमंडल ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हाल ही में एक आतंकी हमले में शहीद हुये पंजाब के सीआरपीएफ के जवान कुलविंदर सिंह के माता-पिता के लिए प्रति माह 10000 रुपए पैंशन देने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। मुख्यमंत्री गत माह शहीद के अभिभावकों से आनंदपुर साहिब के निकट उनके रौली गांव स्थित घर जाकर मुलाकात की थी तथा उन्हें हर सम्भव सहायता देने का वादा किया था। कुलविंदर अपने मां-बास का इकलौता बेटा था। सरकार इसके अलावा कुलविंदर के अभिभावकों को सात लाख रुपए मुआवजा राशि तथा जमीन के लिए पांच लाख रुपए भी प्रदान करेगी। 

गन्ना उत्पादकों और निजी चीनी मीलों को दी राहत
गन्ना किसानों को 25 रुपए प्रति क्विंटल सब्सिडी मुहैया कराने को कार्योत्तर स्वीकृति  बैठक में राज्य सरकार ने गन्ना उत्पादकों और निजी चीनी मीलों को राहत प्रदान करते हुये 25 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी मुहैया कराने को कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की जो सीधे तौर पर गन्ना उत्पादकों (किसानों) के खातों में जायेगी। कुल 310 रुपए प्रति क्विंटल राज्य अनुमोदित मूल्य(एस.ए.पी.) में से शेष 285 रुपए प्रति क्विंटल की राशि निजी चीनी मीलों द्वारा पिराई सीजन 2018 -19 के लिए अदा की जाएगी। इसका उद्देश्य पिराई सीजन 2018-19 के लिए किसानों को गन्नों का समय पर भुगतान और मिलों की आर्थिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करना है।  

बटाला, कपूरथला और अबोहर को मिलेगा निगम का दर्जा
बटाला, कपूरथला और अबोहर शहर बने नगर निगम  बैठक में सिखों के प्रथम गुरू नानक देव जी के 550 वें प्रकाश पर्व पर राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र केे ऐतिहासिक शहरों के लोगों की अर्से से लम्बित मांग को पूरा करते हुये बटाला, कपूरथला, और अबोहर शहरों के नगर निगमों के रूप में अपग्रेड करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। इस फैसले से इन ऐतिहासिक शहरों में मौजूद ढांचागत और शहरवासियों के लिये बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जा सकेगा। इसके साथ ही राज्य में नगर निगमों का संख्या बढ़ कर अब 13 हो गई है।

उल्लेखनीय है कि पिराई सीजन 2018-19 के लिए सरकार ने चीनी मिलों को 15 नवम्बर, 2018 से चलाने के लिए फ़ैसला किया था। इस पर सहकारी चीनी मिलों ने तो पिराई शुरू कर दी लेकिन निजी क्षेत्र की किसी चीनी मिल ने पिराई प्रक्रिया शुरू नहीं की। इन मिलों के मालिक गन्ना खरीद केंद्र सरकार के निर्धारित मूल्य 275 रुपए प्रति क्विंटल के अनुसार करना चाहते थे। जबकि राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर एस.ए.पी. के आधार पर अगेती, मध्यम और पछेती किस्म के लिए क्रमवार 310 रुपए, 300 रुपए और 295 रुपए प्रति क्विंटल भाव निर्धारित किया था। निजी चीनी मिलों के इस रूख के कारण गन्ना उत्पादकों में रोष था जो राज्यभर में धरने पर बैठ गये थे। 

 

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