पंजाब कैबिनेट विस्तारः नहीं मिला वफादारी का ईनाम तो चली बगावत की बयार

Edited By Vatika,Updated: 22 Apr, 2018 08:35 AM

punjab cabinet expansion

13 महीनों से अधूरी सरकार चला रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के कैबिनेट विस्तार के साथ ही पार्टी में बगावत का दौर शुरू हो गया है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ उनके बुरे दिनों में भी खड़े रहने वाले कई नेता अब बागी सुर अपना रहे हैं। खास...

जालंध (रविंदर): 13 महीनों से अधूरी सरकार चला रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के कैबिनेट विस्तार के साथ ही पार्टी में बगावत का दौर शुरू हो गया है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ उनके बुरे दिनों में भी खड़े रहने वाले कई नेता अब बागी सुर अपना रहे हैं। खास तौर पर पार्टी में दलित व पिछड़ी श्रेणियों के नेता खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं। जिस तरह से कैबिनेट विस्तार में दलित नेताओं की पूरी तरह अनदेखी की गई है, उससे आने वाले दिनों में न केवल पार्टी का दलित वोट बैंक टूट सकता है बल्कि कई सीनियर दलित नेता पार्टी को अलविदा भी कह सकते हैं। 
 

पिछड़ी श्रेणियों से संबंध रखने वाले दोआबा के मजबूत सीनियर नेता संगत सिंह गिलजियां ने शुक्रवार को ही इसकी शुरूआत कर दी थी, जब उन्होंने खुद को नजरअंदाज किए जाने पर पार्टी के पदों से अपना इस्तीफा भेज दिया था। गिलजियां के बाद बगावती सुर दिखाए कैप्टन के खासमखास सुलतानपुर लोधी से विधायक नवतेज सिंह चीमा ने। चीमा उस दौर में भी कैप्टन के साथ खड़े रहे थे जब प्रदेश प्रधान प्रताप सिंह बाजवा थे और कैप्टन के खिलाफ पार्टी के भीतर एक लहर-सी चल रही थी। यही नहीं, चीमा ने अकाली दल के गढ़ को ध्वस्त कर कांग्रेस का किला सुलतानपुर लोधी में जमाया था मगर उनकी दावेदारी पर विचार तक नहीं किया गया। 

इन दोनों का अनुसरण करते हुए बल्लूआणा से विधायक व दलित नेता नत्थू राम ने भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और कैप्टन अमरेंद्र सिंह पर दलित नेताओं का अधिकार छीनने का आरोप लगाया। यही नहीं, कैप्टन अमरेंद्र सिंह को पहले भी नशे के मुद्दे पर घेरने वाले अमरगढ़ से विधायक सुरजीत सिंह धीमान ने न केवल नशे को लेकर कैप्टन पर दोबारा तगड़ा हमला बोला है बल्कि दलितों के हकों को भी छीनने का आरोप लगाया है। धीमान ने यह कह कर कि नशे पर लगाम लगाने में कैप्टन बुरी तरह से नाकाम रहे हैं, कैप्टन की न केवल कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सरकार की नशे को लेकर दिखाई जा रही गंभीरता की पोल भी खोली है। कुल मिलाकर दलित नेता जिस कदर बागी रुख अपना कर कैप्टन के खिलाफ चल पड़े हैं, उससे आने वाले दिनों में पार्टी के भीतर काफी कुछ बदलने की संभावना है। 

पंजाब केसरी ने पहले ही बगावत की जताई थी आशंका
पंजाब केसरी ने कुछ दिन पहले ही इस बात की आशंका जताई थी कि कैबिनेट विस्तार के साथ ही पार्टी में कई विधायक बगावत कर सकते हैं। कैबिनेट विस्तार के साथ ही यह संभावना बलवती हो गई है और आने वाले दिनों में यह दौर और तेजी पकड़ सकता है। 

कई सीनियर नेता बाजवा के संपर्क में, टूट सकती है पार्टी
कैप्टन की कार्यशैली व कैबिनेट में जगह न मिलने से नाराज कई सीनियर व दलित नेता पूर्व प्रदेश प्रधान प्रताप सिंह बाजवा के संपर्क में आ गए हैं। अगले कुछ दिनों में पार्टी के कई सीनियर नेता अगली रणनीति बना सकते हैं। इसमें इस्तीफे के दौर से लेकर कैप्टन के खिलाफ बगावत का झंडा भी बुलंद किया जा सकता है। अगर यह दौर तेजी से चला तो प्रदेश में पार्टी टूट की राह पर भी चल सकती है। 

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