पंजाब कैबिनेट विस्तार: नए चुने मंत्रियों में से कोई दलित चेहरा नहीं

Edited By Vatika,Updated: 21 Apr, 2018 01:29 PM

punjab cabinet

कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार में आज शुक्रवार को 9 नए मंत्रियों के नामों पर मोहर लगार्इ गर्इ लेकिन इनमें से एक भी दलित चेहरा नहीं है, खासकर जालंधर और होशियारपुर से 2-2 विधायक आरक्षित सीटों से चुने गए हैं।

जालंधर (बहल/सोमनाथ/रविंदर): कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार में आज शुक्रवार को 9 नए मंत्रियों के नामों पर मोहर लगार्इ गर्इ लेकिन इनमें से एक भी दलित चेहरा नहीं है, खासकर जालंधर और होशियारपुर से 2-2 विधायक आरक्षित सीटों से चुने गए हैं। वहीं अब की बार चुने गए मंत्रियों में मालवा और माझा से भी किसी दलित विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। इसके चलते दलित वर्ग में कैप्टन सरकार के प्रति काफी रोष पाया जा रहा है। 

दोआबा के दलित विधायकों को हमेशा मिलता रहा है महत्व
कांग्रेस सरकार में हमेशा दोआबा के दलित विधायकों को महत्व मिलता रहा है। पिछली बार जब कैप्टन मुख्यमंत्री बने थे तब चौधरी जगजीत सिंह को स्थानीय निकाय जैसा बड़ा विभाग दिया गया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह  बादल की सरकार में भगत चूनी लाल को मंत्रिमंडल में शामिल कर दोआबा को सम्मान दिया गया था। उससे पहले बादल सरकार में ही चौ. स्वर्णा राम को मंत्री बनाया गया था। 

पंजाब की सत्ता का केंद्र रहा है दलित मतदाता
दोआबा में दलित समुदाय की 42 प्रतिशत के करीब आबादी है। वहीं पूरे पंजाब में दलित आबादी 36 प्रतिशत है। दलित समुदाय के 34 से 35 प्रतिशत के करीब मतदाता हैं। इसको हमेशा से कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक माना जाता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोआबा की 23 सीटों में से 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दोआबा को हमेशा पंजाब की सत्ता का केन्द्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दोआबा के हाथ में सत्ता की कुंजी है। 

दलितों की उपेक्षा समुदाय में गलत संकेत
राजनीतिक माहिरों का कहना है कि दोआबा में दलित समुदाय की उपेक्षा कांग्रेस को लोकसभा में महंगी पड़ सकती है। हालांकि दोआबा से किसी दलित विधायक को मंत्री न बनाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि अधिकांश विधायक नए हैं लेकिन माहिरों का कहना है कि कैप्टन सरकार की उपेक्षा का दलित समुदाय में गलत संकेत गया है।

कई बड़े नाम कर दिए गए नजरअंदाज
कैबिनेट विस्तार में कई बड़े नामों को कैप्टन ने नजरअंदाज कर दिया। दोआबा से परगट , संगत सिंह गिलजियां व नवतेज चीमा पर शाम सुंदर अरोड़ा का नाम भारी पड़ा। वहीं माझा में राजकुमार वेरका पर भारी सुखजिन्द्र रंधावा व सुखविन्द्र सरकारिया पड़े। लुधियाना में तो स्थिति बेहद विस्फोटक रही। 

जालंधर के हाथ खाली, रुक सकता है विकास का पहिया
कैप्टन की टीम में एक बार फिर से जालंधर के हाथ पूरी तरह से खाली रहे। उम्मीद थी कि सुशील रिंकू, सुरिन्द्र चौधरी या परगट सिंह में से किसी एक को कैबिनेट की शोभा बनाया जा सकता है मगर जालंधर को पूरी तरह से नजरअंदाज कर कैप्टन ने जालंधर वासियों का दिल पूरी तरह से तोड़ दिया है। जालंधर से कोई मंत्री न लेने के कारण आने वाले दिनों में जिले के विकास का पहिया भी रुक सकता है। 

सिद्धू को फिर दिया कैप्टन ने झटका
कैबिनेट विस्तार में जालंधर से स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के खासमखास परगट सिंह का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा था। यहां तक कि परगट सिंह के खेमे ने इसको लेकर खुशियां भी मनानी शुरू कर दी थी। मगर ऐन आखिरी वक्त पर कैप्टन ने परगट सिंह का नाम कटवा कर सिद्धू को एक बार फिर तगड़ा झटका दिया है। 

दलित विरोधी चेहरा सामने आया: कोटली
बसपा के वरिष्ठ नेता सुखविन्द्र कोटली ने नए मंत्रिमंडल में दोआबा को कम प्रतिनिधित्व दिए जाने पर कैप्टन सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पंजाब में चुने गए नए मंत्रियों में अनुसूचित जाति से एक भी विधायक को मंत्री नहीं बनाए जाने से कैप्टन सरकार का दलित विरोधी चेहरा सामने आया है। 

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