Edited By Vatika,Updated: 12 Jul, 2018 03:33 PM
किसानों की आत्महत्या के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए पूर्व आदेशों पर एफिडेविट के रूप में दी अनुपालना रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि आत्महत्या मामलों में सिर्फ मुआवजा देना ही समस्या का हल...
चंडीगढ़(बृजेन्द्र): किसानों की आत्महत्या के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए पूर्व आदेशों पर एफिडेविट के रूप में दी अनुपालना रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि आत्महत्या मामलों में सिर्फ मुआवजा देना ही समस्या का हल नहीं है बल्कि कारणों का पता लगाकर उचित कदम उठाने की जरूरत है।
हाईकोर्ट के वर्ष 2014 के आदेशों पर वर्ष 2015 में सरकार द्वारा किसानों के मुद्दे को लेकर पॉलिसी लाई थी जिसके आधार पर सरकार ने जानकारी पेश की। एफिडेविट में जानकारी दी कि सरकार एक पॉलिसी लेकर आई है जिसके हिसाब से आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार के लिए 3 लाख का मुआवजा रखा गया है। वहीं, छोटे किसानों के लिए ऋण माफी योजना भी चलाई गई है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि इससे व्यथित किसान जो आत्महत्या कर रहे हैं, क्या उन्हें उनके परिवार के लिए आर्थिक मदद के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि समस्या के कारणों का पता लगा इलाज की जरूरत है। मुआवजा अंतरिम उपाय हो सकता है मगर स्थायी इलाज की जरूरत है। हाईकोर्ट ने कहा कि वर्ष 2015 में पॉलिसी बनाई गई थी उसके बाद क्या प्रगति हुई। सरकार की मांग पर हाईकोर्ट ने 15 अक्तूबर की तारीख तय कर कहा कि आत्महत्याओं को रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं या प्रस्तावित हैं, जानकारी दें। साथ ही चेतावनी दी कि उचित जवाब पेश करने में देरी बरती तो चीफ सैक्रेटरी या पिं्रसीपल सैक्रेटरी को भी सम्मन जारी किए जा सकते हैं।