Edited By Vatika,Updated: 19 Feb, 2019 11:12 AM
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने रोजाना भारतीय सैनिकों की आतंकियों द्वारा की जा रही हत्याओं पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि पाकिस्तान को इसके लिए सख्त जवाब देने का समय आ चुका है। यह जवाब सैनिक, राजनयिक, आर्थिक या तीनों को...
जालंधर/चंडीगढ़(धवन): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने रोजाना भारतीय सैनिकों की आतंकियों द्वारा की जा रही हत्याओं पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि पाकिस्तान को इसके लिए सख्त जवाब देने का समय आ चुका है। यह जवाब सैनिक, राजनयिक, आर्थिक या तीनों को मिलाकर दिया जा सकता है।
कैप्टन ने आज कुछ चैनलों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को तय करना है कि उसने किस प्रकार की कार्रवाई करनी है परन्तु इसे जल्द किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी युद्ध नहीं चाहता है परन्तु हमारे सैनिकों की हत्याओं को हम हल्के में नहीं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह स्वयं रोजाना हो रही हत्याओं से ऊब चुके हैं तथा ऐसा ही हाल आम जनता का भी है। पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि पुलवामा में आतंकियों ने हमारे 41 जवानों को मारा है तो उसका बदला लेने के लिए हमें 82 आतंकियों को मारना चाहिए। देशभर में पाकिस्तान के प्रति रोष व आक्रोश की लहर देखने को मिल रही है। सेना कश्मीरी नौजवानों को अपना दुश्मन नहीं समझती है परन्तु सैनिकों पर पत्थरबाजी को भी सहन नहीं किया जा सकता है। सेना को अब जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का सफाया कर देना चाहिए।
पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत जाना चाहिए कि अब बहुत हो चुका है। उन्होंने पुलवामा आतंकी कांड के लिए पाकिस्तान को प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पाकिस्तान की सेना यह सारे षड्यंत्र रच रही है तथा इमरान खान भी पाक सेना की उपज हैं। मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने अकालियों द्वारा विधानसभा की कार्रवाई में विघ्न डालने की निन्दा करते हुए कहा कि वह बजट सत्र के दौरान राजनीतिक लाभ लेने की कोशिशों में लगे रहे। पुलवामा में आतंकी हमले पर कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से उनका स्टैंड पूछा जाना चाहिए। सिद्धू एक क्रिकेटर हैं, जबकि वह (कैप्टन) एक सैनिक। दोनों की विचारधारा विभिन्न मामलों में अलग-अलग होती है। मंत्री को भी अब यह पता चल गया होगा कि पाक दौरे को लेकर उन्होंने कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास दिखा दिया। संभवत: सिद्धू ने मैत्री भावना से अपनी प्रतिक्रियाएं जाहिर की होंगी परन्तु वह दावे से कह सकते हैं कि सिद्धू की भावना राष्ट्र विरोधी नहीं थी। अकाली सकारात्मक विपक्ष की भूमिका अदा करें, रोजाना सदन में ड्रामे करना उनकी आदत बन चुका है।