देश की आबादी में महिलाओं का अनुपात घटा, रेप के मामलों में भारी वृद्धि

Edited By Vaneet,Updated: 10 Oct, 2018 08:48 PM

proportion women country population decreased heavy growth rap cases

केन्द्र व प्रदेश सरकारों द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं के साथ-साथ स्त्रीधन को बचाने के लिए 10 के करीब प्रभावी योजानाओं के बावजूद देश...

अमृतसर/लुधियाना(इन्द्रजीत/धीमान): केन्द्र व प्रदेश सरकारों द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं के साथ-साथ स्त्रीधन को बचाने के लिए 10 के करीब प्रभावी योजानाओं के बावजूद देश भर में पुरूषों की बजाय महिलाओं का अनुपात घटता जा रहा है। इसमें यदि पिछले 7 वर्ष का विश्लेषण किया जाए तो महिलाओं के अनुपात में आबादी की तुलना में 0.1 प्रतिशत का अंतर वर्तमान आबादी के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात साढ़े 13 लाख के करीब अंतर को ओर बढ़ा देता है। यही कारण है कि प्रशासनिक शक्तियों और राजनीतिक तंत्र का महिलाओं की सुरक्षा के लिए भरसक प्रयास करने के बावजूद महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में भी भारी वृद्धि हो गई है। महिलाओं के मामले में अदालतों द्वारा कानून को सख्त किए जाने यहां तक कि फांसी की सजा का प्रावधान रखने के बावजूद भी रेप के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे।

पिछले 8 वर्ष में बड़े रेप के मामले
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 में रेप के पूरे देश में 22 हजार 172 दर्ज किए गए, 2011 में 24 हजार 206, 2012 में 24 हजार 923 इसमें आगे चलते हुए वर्ष 2015 में रेप के मामले 34 हजार 657, 2016 में 36 हजार 859 मामले दर्ज हुए है हालांकि वर्ष 2017 में इसका कोई आंकड़ा सरकार ने प्रस्तुत नहीं किया लेकिन वर्तमान समय में 2018 के जून के बाद मिले ताजा आंकडों में 106 रेप के औसत मामले बीते वर्ष से प्रति दिन आ रहे है। इस लिहाज से वर्तमान समय में देश भर में वाॢषक औसत के मुताबिक 38 हजार 690 मामले सामने आए है। कुल मिलाकर पिछले 7 वर्षों में रेप के मामले 75 प्रतिशत बड़ गए है।

10 में से 4 मामले होते है अवयस्क के
बड़ी बात है कि वर्तमान समय में आने वाले दुष्कर्म के मामलों में 10 में से 4 मामले कम उम्र लोगों के होते है वहीं दूसरी ओर 1973 से लेकर 2013 तक के आने वाले वाले मामले अप्राकृतिक दुष्कर्म के मामलों में 17.2 प्रतिशत की कमी आई है जबकि दूसरे रेप के मामले उसी अनुपात से बढ़ गए।

आबादी में घटा स्त्रीधन का अनुपात
वर्ष 2011 में केन्द्र सरकार द्वारा कारवाई गई जनगणना (मर्दम शुमारी) के मुताबिक देश की जनता 121 करोड़ 19 लाख थी। इसमें पुरुषों की आबादी 51.5 प्रतिशत थी जबकि महिलाएं 48.5 के अनुपात पर थी वहीं नए घटनाक्रम में 6 अक्तूबर 2018 को 4 दिन पूर्व मिली जानकारी के मुताबिक देश की जन संख्या 136 करोड़ 60 लाख 24 हजार 361 बताई जा रही है। इसमें पुरुषों की संख्या 70 करोड़ 53 लाख 14 हजार 444 (51.6 प्रतिशत) वहीं महिलाओं की गणना 66 करोड़ 7 लाख 9 हजार 917 (48.4 प्रतिशत) है। पिछले 7 वर्षों में महिलाओं के अनुपात में 0.1 की कमी आ जाने से 13 लाख 66 हजार का अन्तर महिलाओं की संख्या में ओर कमी ला रहा है और दुष्कर्म के मामलों का तो यह हाल है कि अकेले पंजाब के लुधियाना में ही ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष की अपेक्षा 83 प्रतिशत दुष्कर्म के मामले अधिक बढ़ चुके है जबकि पंजाब सरकार के पास दुष्कर्म के मामलों का सीधे तौर पर कोई आंकड़ा नहीं है लेकिन देश के आंकडों ने पंजाब की भी पोल खोल दी है। वहीं दिल्ली जैसे पढ़े लिखे क्षेत्रों में 2011 की अपेक्षा 2016 के बीच रेप के मामलों की गिनती 277 प्रतिशत बढ़ गई है।

देश के कानून में तबदीली आ जाने के कारण आने वाले समय में दुष्कर्म के मामले घटेंगे क्योंकि पहले समय में लिव इन रिलेशन के उपरांत महिला की शिकायत पर शादी का झांसा देने के आरोप में केस दर्ज कर दिया जाता था वहीं महिला की अनुमति से की गई शादी को भी परिवार जन दबाव डाल कर दुष्कर्म का केस बनवा देते थे। दूसरी और अपनी मर्जी से प्रेमी प्रेमिका के पकड़े जाने पर बदनामी के डर से महिला पक्ष वाले भी 376 का मामला दर्ज करवाते थे लेकिन नए कानून में परिवर्तन आ जाने के कारण इसमें काफी अन्तर आएगा क्योंकि एक तिहाई से अधिक उपरोक्त मामले इन्हीं कारणों से दर्ज होते थे। वहीं ऐसे मामलों के हट जाने के बाद रेप के सही मामलों को सुलझाने में पुलिस को पर्यापत समय भी मिल जाएगा और दबाव भी घटेगा।

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