तहसील में धड़ल्ले से चल रहा लाल लकीर की रजिस्ट्रियों का खेल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Oct, 2017 05:40 PM

property dispute

जालंधर की तहसीलों में पिछले कुछ समय से लाल लकीर की रजिस्ट्रियों को लेकर धड़ल्ले से बहुत बड़ा खेल चल रहा है।

जालंधर(अमित): जालंधर की तहसीलों में पिछले कुछ समय से लाल लकीर की रजिस्ट्रियों को लेकर धड़ल्ले से बहुत बड़ा खेल चल रहा है। तहसील सूत्रों की मानें तो बिना पटवारी की रिपोर्ट और अधूरे दस्तावेजों के साथ ही लाल लकीर में आने वाले रकबे की रजिस्ट्रियां की जा रही हैं जिसमें लाखों-करोड़ों रुपए की जालसाजी और फर्जीवाड़े की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

इस पूरे गोरखधंधे में कुछ प्रापर्टी डीलर, वसीका नवीस व अष्टामफरोश शामिल हैं जो आपसी मिलीभगत से अपने ऊंचे रसूख और सैटिंग के दम पर मोटी राशि वसूलकर ऐसी रजिस्ट्रियां करवाने के काम को अंजाम दे रहे हैं। इसमें सरकार को रैवेन्यू का नुक्सान तो हो ही रहा है साथ ही गलत ढंग से प्रापर्टियों की खरीद-फरोख्त की जा रही है। अगर प्रशासन इस मामले की गहन जांच करवाता है और पिछले 2-3 साल में हुई लाल लकीर की रजिस्ट्रियों का डाटा चैक किया जाता है तो बड़ा खुलासा हो सकता है।

क्या है लाल लकीर की जमीन?
लाल लकीर की जमीन वह होती है जिसकी कोई पैमाइश संभव नहीं थी और जब मुरब्बाबंदी हुई तब जिस जगह पर रकबे की मिनती नहीं हो सकती थी उसे एक गोल दायरे में रखकर एक आबादी का नंबर दे दिया गया। उक्त नंबर वाली सारी जमीन लाल लकीर के अंदर आती है। उस समय एक रजिस्टर सिकनी बनाया गया था जिसमें काबिज मालिकों का पूरा रिकार्ड रखा गया था। उक्त रजिस्टर के गुम होने की वजह से मालिकों की पहचान स्थापित करना मुश्किल होता है। इसका रैवेन्यू रिकार्ड में कोई इंदराज दर्ज नहीं होता। इस जगह की रजिस्ट्री तो हो सकती है मगर उसका इंतकाल दर्ज नहीं हो सकता और न ही ऐसी जमीन की कोई फर्द जारी की जाती है। 

क्या है लाल लकीर की रजिस्ट्री करने का नियम?
नियमानुसार अगर कोई मकान या प्लाट लाल लकीर के अंदर आता है और उसकी रजिस्ट्री करवानी है तो हलका पटवारी की रिपोर्ट लेना अनिवार्य होता है क्योंकि कुछ वसीका नवीस और वकील राजस्व रिकार्ड को अनदेखा करते हुए वसीके में दर्ज रकबा लाल लकीर के अंदर लिख देते हैं और वसीका रजिस्टर्ड करने के लिए भेज देते हैं। इससे संबंधित पार्टियां परेशान होती हैं क्योंकि ऐसे मामलों में बिना फर्द के जमीन के मालिकाना हक को साबित करना मुश्किल हो जाता है।

बहुत कम पटवारी करते हैं रिपोर्ट
मौजूदा समय में बहुत कम गिनती में पटवारी ऐसे हैं जो लाल लकीर के रकबे की रिपोर्ट जारी करते हैं क्योंकि अधिकतर पटवारी किसी प्रकार की संभावित कानूनी अड़चनों में नहीं पडऩा चाहते। पूर्व में कई पटवारी गलत रिपोर्ट देने के इल्कााम में अदालतों के चक्कर काट चुके हैं इसीलिए प्रदेश स्तर पर पटवार यूनियन ने एक प्रस्ताव तक पारित किए हुआ है जिसमें लाल लकीर के रकबे की रिपोर्ट न देने संबंधी कहा गया है। इसलिए जमीन मालिक मजबूरीवश, सैटिंग के दम पर या फिर पैसे खर्च कर रजिस्ट्री करवा रहे हैं। 

एहतियात बरतने के आदेश होंगे जारी : डी.सी.
डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि किसी भी प्रकार की जालसाजी या फर्जीवाड़े की संभावना को खत्म करने के उद्देश्य से समूह अधिकारियों को निर्देश जारी किए जाएंगे कि लाल लकीर की रजिस्ट्रियां करते समय अतिरिक्त सावधानी बरती जाए।  

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