दिल्ली बंद के चलते घाटे में पंजाब रोडवेज, पंजाब समेत कई राज्यों में बसें बंद करने की तैयारी

Edited By Tania pathak,Updated: 18 Dec, 2020 11:40 AM

preparations to shut down buses in many states including punjab

विभाग को पंजाब समेत दूसरे राज्यों में चलाईं जा रही बसों के कारण नुकसान झेलना पड़ रहा है, जोकि विभाग के उच्च अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

जालंधर (पुनीत): किसान आंदोलन के कारण दिल्ली बंद हुए 24 दिन बीत चुके हैं परन्तु सरकार की तरफ से किसानों की कोई बात नहीं मानी जा रही। इस कारण दिल्ली की सड़कें खुलने के अभी कोई आसार नजर नहीं आ रहे। विभाग को पंजाब समेत दूसरे राज्यों में चलाईं जा रही बसों के कारण नुकसान झेलना पड़ रहा है, जोकि विभाग के उच्च अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। पंजाब रोडवेज को रोजमर्रा के पड़ रहे 25 लाख के घाटे के कारण विभाग के अधिकारी सख़्त कदम उठाने को मजबूर हैं।

बताया जा रहा है कि विभाग की तरफ से पंजाब कई राज्यों में अस्थाई रूप के साथ बड़े स्तर पर बसें बंद करने की तैयारी की जा रही है ताकि विभाग को पड़ रहे घाटे को कम किया जा सके। अधिकारी बताते हैं कि तापमान में कमी कारण हिमाचल के लिए यात्री बहुत कम हैं और दिल्ली की सड़कें बंद होने के कारण उत्तराखंड और यू. पी. के लिए भी यात्रियों की संख्या कम हो चुकी है। इन रूटों पर जाने वाली बसें खाली ही रहती हैं, जिस कारण विभाग को कोई लाभ नहीं हो रहा।

प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों की तरफ से भी ज्यादा यात्रियों वाले रूटों को पहल दी जा रही है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि पहले ही कर्फ़्यू दौरान उनका काफी नुक्सान हुआ है, जिस कारण अब वह और नुक्सान बर्दाश्त करने की हालत में नहीं हैं। देखने में आ रहा है कि बसों की संख्या कम होने से यात्रियों को बसों का इंतजार करना पड़ रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ कुछ यात्रियों के लिए बसें चलाना घाटे को न्योता देने बराबर है परन्तु अभी भी वह यात्रियों की सुविधा को देखते बसें रवाना कर रहे हैं। इस संबंधी  अगला फ़ैसला उच्च अधिकारियों की तरफ से लिया जाएगा, जिस पर वह अमल करेंगे।

दूसरे राज्यों की तरफ से भी पंजाब भेजी जा रही कम बसें
पंजाब की तरफ से बसों की संख्या कम करने की तरफ तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं, जबकि दूसरे राज्यों की तरफ से पहले ही पंजाब में बसें भेजनीं कम की जा चुकीं हैं। हिमाचल की पंजाब में सर्विस 50 प्रतिशत से भी कम रह गई है। सिर्फ उन रूटों पर बसें भेजी जा रही हैं, जहां अधिक यात्री मिल रहे हैं। उत्तराखंड की तरफ से भी पंजाब को खास महत्त्व नहीं दिया जा रहा। राजस्थान की बसें भी अबोहर और बठिंडा तक आती हैं और वहां से ही लौट जाती हैं।

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