‘प्रधानमंत्री जन औषधि’ परियोजना को लगा ग्रहण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Apr, 2018 12:43 PM

pradhan mantri jan aushadhi

केन्द्र सरकार द्वारा गरीब मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए जन औषधि केन्द्रों की शुरूआत की गई थी। इन केन्द्रों को खोलने के लिए केन्द्र सरकार ने सबसिडी कमीशन व इंसैंटिव की पेशकश भी की थी परंतु अधिकांश जिलों में जन औषधि केन्द्र बंद होने के...

लुधियाना(सहगल): केन्द्र सरकार द्वारा गरीब मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए जन औषधि केन्द्रों की शुरूआत की गई थी। इन केन्द्रों को खोलने के लिए केन्द्र सरकार ने सबसिडी कमीशन व इंसैंटिव की पेशकश भी की थी परंतु अधिकांश जिलों में जन औषधि केन्द्र बंद होने के कगार पर हैं और वहां नाममात्र दवाइयां उपलब्ध हैं। लिहाजा लोगों को दवा निजी कैमिस्टों से लेनी पड़ रही है। वर्ष 2008 में जब उक्त योजना शुरू हुई तो पंजाब की पूर्व सेहत मंत्री ने सरकारी अस्पतालों में जन औषधि स्टोर खोलने की घोषणा करके इसकी शुरूआत भी कर दी थी। यहां अनब्रांडेड जैनरिक दवाइयां मरीजों को काफी कम कीमत पर मिलनी शुरू हो गईं परंतु दवा कंपनियों की दवाइयों के पैसे समय पर न लौटाने के कारण दवा कंपनियां इन केन्द्रों को दवा सप्लाई करने से कतराने लगीं। कहा जाता है कि इसके पीछे दवा माफिया हावी होने लगा। सरकारी योजनाओं से लेकर जन औषधि केन्द्रों तक इनके एजैंटों की पैठ बढ़ गई। मरीजों को ब्रांडेड दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर किया जाने लगा। लिहाजा इस परियोजना को ग्रहण लग गया है। सिविल अस्पतालों में खुले जन औषधि केन्द्रों की देखरेख रोगी कल्याण समितियों को सौंप दी गई और इसकी निगरानी के लिए सरकारी फार्मासिस्ट को नोडल अफसर नियुक्त कर दिया बताया जाता है। 


कहां गई जन औषधि केन्द्रों की कमाई, लाखों का गोलमाल  
जन औषधि केन्द्रों के फेल होने का एक कारण दवा कंपनियों को पैसे न देना भी है। सूत्रों के अनुसार लुधियाना, जालंधर, मोगा, अमृतसर, नवांशहर के केन्द्रों में यही कारण बताया जाता है परंतु इन केन्द्रों पर जो दवाइयां बिकीं, उनके पैसे दवा कंपनियों को न देकर किस खाते में चले गए। लुधियाना के जन औषधि केन्द्र में 15-20 तरह की दवाइयां हैं, जबकि जालंधर में &0-40 तथा अमृतसर में भी ऐसा ही आलम बताया जा रहा है, जबकि राजिन्द्रा अस्पताल पटियाला, गुरदासपुर तथा पठानकोट में स्थित जन औषधि केन्द्रों की हालत कुछ बेहतर बताई जा रही है। 


कीमतों में कितना फर्क 
जन औषधि केन्द्रों पर मिलने वाली दवाइयों की कीमत बाजार से काफी कम होती है और जिन दवा कंपनियों से यह दवा ली जाती है, वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों को पूरा करती हैं और ब्रांडेड दवाइयों की कीमत का 20 प्रतिशत या उससे कम कीमत पर जैनरिक दवाइयां उपलब्ध करवाई जाती हैं। उदाहरण के तौर पर ब्लड प्रैशर की दवा टैल्मीसारटन बाजार में 95 से 135 रुपए तक उपलब्ध है परंतु जन औषधि केन्द्र पर महज 17 रुपए में उपलब्ध करवाई जाती है। इसी तरह कैल्शियम की गोली जैसे सिपकाल का पत्ता 78 रुपए में बाजार से मिलता है परंतु जैनरिक में 12 से 14 रुपए में मिल जाता है। 
इसी तरह वोलिनी जैल की 50 ग्राम की ट्यूब 148 रुपए में बाजार से मिलती है परंतु जन औषधि स्टोर पर 18 रुपए में 30 ग्राम की यह ट्यूब उपलब्ध है। कैंसर की दवाइयां बाजार में काफी महंगी मिलती हैं परंतु इन केन्द्रों में काफी कम कीमत पर मिलती हैं। इसके बावजूद इन केन्द्रों को चलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही। 

कैसे करें आवेदन
जिसने फार्मेसी में डिप्लोमा अथवा डिग्री की हो, वह जन औषधि स्टोर के लिए आवेदन कर सकता है। आवेदक का नाम फार्मेसी कौंसिल से रजिस्टर्ड हो। यह जानकारी देते हुए पंजाब के नोडल अफसर एम.पी. सिंह ने कहा कि इसमें गैर सरकारी संगठन सीधे तौर पर भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदक को दवाइयों पर 1 लाख की सबसिडी, 18 प्रतिशत कमीशन तथा 10 प्रतिशत इंसैंटिव भी मिलता है। पंजाब के शहरों में 60-65 ऐसे केन्द्र खुल चुके हैं।

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