Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Mar, 2018 04:57 PM
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की फरवरी में भारत यात्रा विवादों में रही, जिसके बाद खालिस्तान उल्लेखों और पूर्व खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल को डिनर पर आमंत्रित करने से उठे विवाद पर सिख उग्रवाद और खालिस्तानी उग्रवाद की जैसी भावनाओं को कनाडा...
नर्इ दिल्ली: प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत दौरे के बाद कनाडा में खालिस्तान का मुद्दा काफी गर्माया हुआ है। ट्रूडो के दौरे दौरान खालिस्तान मुद्दों और पूर्व खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल को डिनर पर आमंत्रित करने से उठे विवाद को लेकर सिख और खालिस्तानी उग्रवाद की जैसी भावनाओं को कनाडा की मीडिया और राजनीतिक गलियारे में तूल दिया जा रहा है जिसे लेकर वहां पेश किए जाने वाले प्रस्ताव पर रोक लगा दी गई है ।
कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी ने संसद में खालिस्तानी उग्रवाद जैसी निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की घोषणा की थी जिससे कनाडा निवासियों के बीच इस समुदाय के बारे में उसके पड़ने वाले आशंकाओं की भावनाओं को तेज किया है। सूत्रों के अनुसार कंजर्वेटिव पार्टी ने कनाडा सिख नेताओं द्वारा कंजर्वेटिव सांसदों और पार्टी के अन्य सिख नेताओं के साथ मुलाकात करने के बाद यह प्रस्ताव रोक दिया है। क्योंकि सिखों ने कहा है कि अगर इस प्रस्ताव को वे आगे ले जाते हैं तो हम सिख समुदाय का समर्थन खो देंगे।
कनाडा के सिखों का यह भय पूरी तरह से निराधार नहीं। कनाडा स्थित गुरजीवन सिंह ने कनाडा में सिख उग्रवाद से संबंधित कर्इ लेख संपादकीय , वीडियो अलग-अलग चर्चाओं को एकत्रित किया , जिनकी संख्या 135 है। इस प्रत्येक कड़ी को फरवरी में प्रकाशित किया गया उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट किया कि इसकी संख्या उस समय और अधिक हो सकती है, आप स्थानीय मीडिया और अमरीकन न्यूज नैटवर्क देखना शुरू करेंगे जिससे स्पष्ट होगा कि यह अल्पसंख्यक ग्रुप ही चुनौती देने के लिए पर्याप्त हैं यह उस समय और मजबूत हो जाएंगे जब आपके सहायक वर्कर और पड़ोसी इन 100 लेखों को पढ़ेंगे और सिखों के बारे में अपनी राय देंगे। जिनका तथ्य और सबूत में कोर्इ अाधार नहीं।