ड्रग्स मामलों में गवाही देने नहीं आने वाले पुलिस वालों को हिरासत में लिया जाए: हाईकोर्ट

Edited By swetha,Updated: 24 Sep, 2019 09:45 AM

policemen who do not come to testify in drugs cases should be detained

एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत दर्ज मामले में गवाही देने नहीं आने वाले पुलिस वालों को तब तक हिरासत में रहना होगा, जब तक उनकी गवाही नहीं हो जाती।

चंडीगढ़(हांडा): एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत दर्ज मामले में गवाही देने नहीं आने वाले पुलिस वालों को तब तक हिरासत में रहना होगा, जब तक उनकी गवाही नहीं हो जाती। हाईकोर्ट की ओर से गवाही देने नहीं आने वाले पुलिस वालों का वेतन काटने के आदेश दिए गए थे, जिनका असर नहीं दिखा तो कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए उक्त आदेश जारी किए हैं। 

याचिकाकर्ता काका सिंह ने ट्रायल कोर्ट द्वारा उसकी अग्रिम जमानत रद्द किए जाने के आदेशों को चुनौती देते हुए कोर्ट को बताया था कि पुलिस वालों की गवाही नहीं होने के कारण उन्हें बेल नहीं मिल रही, जिसके बाद उक्त आदेश जारी किए गए हैं। काका सिंह को अगली पेशी में ट्रायल कोर्ट में हाजिर रहने के आदेश देते हुए जस्टिस राजबीर सेहरावत ने अपने आदेशों में कहा कि याचिकाकर्ता को अदालत में पेश होने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया जाए।

मामले में पुलिस अधिकारियों द्वारा लगातार ट्रायल कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज किए जाने पर कड़ा रुख अपनाते हुए जस्टिस राजबीर सेहरावत ने अपने आदेशों में कहा कि 16 सुनवाइयों पर अदालत में गवाही देने से दूर रह कर पुलिस अधिकारियों ने याचिकाकत्र्ता के स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार को एक मजाक बना दिया। हाईकोर्ट ने आदेशों में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों की गवाही को सुनिश्चित बनाने के लिए उनके वेतन को रोके जाने के भी आदेश दिए, परंतु पंजाब पुलिस ने इन आदेशों की अनुपालना नहीं की। इसके बाद इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जारी किए गए वारंट को भी इन तक पहुंचाया नहीं गया। 

मामले में गवाही देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ 3 दिन में गैर-जमानती वारंट जारी किए जाने के आदेश देते हुए जस्टिस सेहरावत ने मोगा के एस.एस.पी. को आदेश दिए हैं कि वह इस बात को सुनिश्चित बनाएं कि गवाही देने वाले पुलिस अधिकारियों को अगले 7 दिन में हिरासत में ले लिया जाए। उन्हें मोगा जिला जेल या सब-जेल में रखकर गवाही की प्रक्रिया पूरी होने तक हिरासत में रखा जाए। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर कोट ईसे खां के एस.एच.ओ. को भी अदालत में मौजूद रहने के आदेश देते हुए उन पुलिस कर्मियों का विवरण मांग लिया है जिन्हें ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी किए गए वारंट पुलिस अधिकारियों को सौंपने की जिम्मेदारी दी गई थी।

गौरतलब है कि काका सिंह के खिलाफ 2 अप्रैल, 2016 को मोगा के कोट ईसे खां थाने में एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। ट्रायल कोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने के बाद काका सिंह 17 सुनवाइयों पर अदालत में मौजूद रहा। सिर्फ  एक बार तारीख की गलतफहमी के चलते वह सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट नहीं पहुंच पाया, जिसकी वजह से ट्रायल कोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत को खारिज करते हुए उसकी गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिए थे।

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