Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Mar, 2018 09:38 AM
कुछ सप्ताह पहले हुए नीरव मोदी के पी.एन.बी. स्कैम का असर जहां देश भर की बैंकिंग व्यवस्था पर पड़ा है, वहीं जालंधर नगर निगम जैसा सरकारी संस्थान भी इस स्कैम के सेंक से बच नहीं पाया। पी.एन.बी. स्कैम का सीधा असर नगर निगम के एल.ई.डी. प्रोजैक्ट पर पड़ा है...
जालंधर (खुराना): कुछ सप्ताह पहले हुए नीरव मोदी के पी.एन.बी. स्कैम का असर जहां देश भर की बैंकिंग व्यवस्था पर पड़ा है, वहीं जालंधर नगर निगम जैसा सरकारी संस्थान भी इस स्कैम के सेंक से बच नहीं पाया। पी.एन.बी. स्कैम का सीधा असर नगर निगम के एल.ई.डी. प्रोजैक्ट पर पड़ा है जो कई सप्ताह लेट हो गया है। गौरतलब है कि अकाली-भाजपा सरकार के समय शहर की सभी 65 हजार स्ट्रीट लाइटों को एल.ई.डी. में बदलने वाला प्रोजैक्ट शुरू हुआ था।
कम्पनी ने शहर में प्रमुख सड़कों पर 5 हजार से ज्यादा एल.ई.डी. लाइटें लगा दी हैं। अनुबंध के अनुसार निगम ने कम्पनी को बैंक गारंटी के रूप में लैटर आफ अंडरटेकिंग देना है। जिस दिन निगम ने अपने बैंक पंजाब नैशनल बैंक से लैटर आफ अंडरटेकिंग लेना था उसी दिन नीरव मोदी स्कैंडल सामने आ गया और पी.एन.बी. के स्थानीय अधिकारियों ने निगम को लैटर आफ अंडरटेकिंग देने में आनाकानी करनी शुरू कर दी। कुछ दिन बाद बैंक अधिकारियों ने आधा दर्जन से ज्यादा और शर्तें जोड़कर निगम से उसकी वित्तीय स्थिति, क्रैडिट रेटिंग इत्यादि कई दस्तावेज मांग लिए। पता चला है कि बैंक की इस आनाकानी को लेकर निगम कमिश्नर बैंक अधिकारियों से नाराज भी हुए और उन्होंने खाता तक बंद करने की धमकी दे डाली। सूत्रों के मुताबिक अब निगम को जल्द ही बैंक से लैटर आफ अंडरटेकिंग मिलने की सम्भावना है जिसके बाद कम्पनी द्वारा एल.ई.डी. लाइटें लगाने का काम जोर-शोर से शुरू कर दिया जाएगा।
निगम का बजट बनना शुरू
अरबों रुपए के बड़े प्रोजैक्ट भी होंगे शामिल, हाऊस की बैठक भी जल्द होने की सम्भावना निगमाधिकारियों ने वर्ष 2018-19 हेतु निगम का बजट बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं और सभी विभागों से डाटा जुटाकर बजट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। पता चला है कि इस बार के बजट में एक हजार करोड़ रुपए के सर्फेस वाटर प्रोजैक्ट के अलावा स्मार्ट सिटी तथा सालिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट व अमरूत योजनाओं से जुड़े प्रोजैक्ट शामिल किए जाएंगे जिस कारण बजट हजारों करोड़ रुपए में पहुंचने की सम्भावना है। सूत्रों के अनुसार अगले साल जालंधर निगम में जी.आई.एस. सर्वे को लागू किए जाने की पूरी सम्भावना है जिस कारण निगम की वसूली में अप्रत्याशित वसूली हो सकती है। निगम कमिश्नर डा. बसंत गर्ग ने माना कि जी.आई.एस. सर्वे होने के बाद निगम के वसूली संबंधी लक्ष्य को भी बढ़ाया जाएगा।
पानी के बिल वसूलने वाले स्टाफ की बहानेबाजियां पकड़ में आईं
निगम ने पिछले कई सालों से शहरियों से पानी के बिलों के रूप में करोड़ों रुपए लेने हैं परंतु हालात यह हैं कि निगम का वाटर बिल विभाग शहरियों के बिल ही नहीं पहुंचा पा रहा और तरह-तरह की बहानेबाजियां कर रहा है जो अब पकड़ में आनी शुरू हो गई हैं। वाटर टैक्स विभाग के वसूली से जुड़े अधिकारियों ने पहले बहाना लगाया था कि 90 हजार वाटर बिल बनाने में काफी समय खर्च होता है जिसके बाद निगम ने सारा डाटा आई क्लाऊड पर डालकर सारे बिलों को कुछ घंटों में पिं्रट करवाने का प्रोजैक्ट पूरा कर दिया। उसके बाद स्टाफ ने बहाना लगाया कि बिल वसूलने, रसीदें काटने और खातों में एंट्री करने में काफी समय लगता है। इस बहानेबाजी से निपटने हेतु निगम प्रशासन ने हाल ही में बैंक से 10 मशीनें प्राप्त कीं जिनकी सहायता से मिंटों में रसीद कटती है और आटोमैटिक एंट्री भी हो जाती है। अब निगम कमिश्नर ने वाटर टैक्स विभाग के सभी कर्मचारियों से जवाब-तलबी करने का आदेश दिया है। उन्होंने बताया कि बैंक से 12 और मशीनें लेकर वसूली प्रक्रिया में लगे स्टाफ को दी जाएंगी ताकि प्रक्रिया और आसान हो।
पौंग डैम तक जाएगी सर्फेस वाटर प्रोजैक्ट वाली टीम
इन दिनों जालंधर निगम में सर्फेस वाटर प्रोजैक्ट वाली कंसल्टैंट कम्पनी जोर-शोर से कार्य कर रही है जो ब्यास से जालंधर तक पानी लाकर उसे पेयजल के रूप में प्रयुक्त करने वाले प्रोजैक्ट की सम्भावनाओं को तलाश रही है। जल्द ही यह टीम पौंग डैम जाकर ब्यास दरिया बारे और डाटा जुटाएगी। फिलहाल माना जा रहा है कि टांडा के निकट गांव मियाणी से जालंधर तक पाइप लाइन के जरिए ब्यास का पानी लाया जाएगा।