गैर कानूनी तरीके से PLPA1900 लागू कर रहा है वन विभाग: भाजपा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jan, 2018 05:45 PM

plpa is implementing the 1900 forest department

कैप्टन अमरेंद्र की पूर्ण कर्जा माफी पर वायदा खिलाफी के कारण पहले ही किसान आत्महत्या कर रहे हैं और अब सरकारी अफसर भी कंडी इलाके के गरीब बेबस किसानों पर पी.एल...

चंडीगढ़: कैप्टन अमरेंद्र की पूर्ण कर्जा माफी पर वायदा खिलाफी के कारण पहले ही किसान आत्महत्या कर रहे हैं और अब सरकारी अफसर भी कंडी इलाके के गरीब बेबस किसानों पर पी.एल.पी.ए.1900 हटाने के कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर मारने पर तुले हैं। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल व प्रदेश सचिव विनीत जोशी का, जो कि आज पी.एल.पी.ए.1900 पर हाईकोर्ट के आदेशों की सरकारी अफसरों द्वारा की जा रही अवहेलना पर अपनी टिप्पणी दे रहे थे।

भाजपा नेताओं ने विस्तृत जानकारी देेते हुए बताया कि मोहाली जिले के अधीन आते 13 गांव पर फरवरी 2003 में पंजाब सरकार के वन विभाग ने बिना अनिवार्य कानूनी प्रक्रिया की पालना कर, अस्पष्ट तथा गैर वर्णनात्मक तरीके से पी.एल.पी.ए. पंजाब भूमि संभाल एक्ट1900 की धारा 4 तथा 5 में पुन: बंद कर दिया। प्रभावितगांववासियों की बात जब सरकार ने नहीं सुनी तो वह कोर्ट चले गए। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2017 में अपने निर्णय में इसको स्पष्ट तौर पर मान लिया।

हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पंजाब सरकार को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि जब फरवरी 2018 में इन 14 गांवों सिसवां, छोटी-बड़ी नगगल, माजरा, पल्लनपुर, ढुलवां, माजरियां, संयूक, तारापुर, मिर्जापुर, गौचर, बुरवाणा, नाडा व पड़छ पर लगी पांबदियों की मियाद खत्म होगी तो इसे पुन: लगाने से पहले सरकार वैज्ञानिक व कानूनी तरीके से अध्यन्न करवा निर्णय पर पहुंचे। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि अगर ऐसा हो रहा है, तो सरकार पूरी जांच-पड़ताल कर स्पष्ट निर्णय पर पहुंचे कि पीएलपीएकी धारा 4 व 5 के नियमों तहत पाबंदियों, प्रतिबंध आदि लगाने से यह रूक सकता है।

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि अगर धारा-4 व 5 के अधीन पाबंदियां लगानी है तो पीएलपीए 1900 की धारा 7 के तहत निर्धारित प्रक्रिया की पूरी पालना की जाए। निर्धारित प्रक्रिया मुताबिक आफिशयल गेजैट में प्रकाशन करना, उस उपरांत जिनकी जमीनें ली जानी है, उन्हें सूचना देने हेतु, उनको लिखती नोटिस देना, साथ-साथ गांवों मेंं मुनादी करवाना, गांवों में नोटिस चिपकाना, प्रमुख अखबारों में स्थानीय भाषा में विज्ञापन छपवाना जो कि यहां पंजाबी है। फिर उनके एतराज लेने के लिए तथा मुआवजा देने के लिए कम से कम तीन महीने का समय देना। उस उपरांत पी.एल.पी.ए. की धारा 14 के तहत तारीख तय कर धारा-7 के तहत डाले गए एतराजों को तथा मुआवजे के दावों को लिखती रूप में रिकार्ड करना, दावों की जांच करना और उसके बाद निर्णय लेना। हाईकोर्ट ने अपने फैसले को लागू करने की पूरी जिम्मेदारी डिप्टी कमिश्रर मोहाली पर डाल दी।

आजादी के बाद से अब तक वन विभाग गलत तरीके से पंजाब भर के कंडी क्षेत्र के गांवों पर पी.एल.पी.ए.-1900 लगाता आ रहा है और इसकी पुष्टि हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में भी कर दी है। ग्रेवाल व जोशी ने आगे कहा कि हैरानी की बात यह है कि जिस फैसले को लागू करने के लिए हाईकोर्ट ने डिप्टी कमिश्रर मोहाली को आदेश दिए हैं, उसकी अवहेलना करते हुए मोहाली का वन मंडल अफसर स्वयं करने लग पड़ा है और हम नहीं कह रहे, बल्कि 25.1.2018 को उसके द्वारा डी.सी. को लिखा गया पत्र कह रहा है।

ग्रेवाल व जोशी ने अंत में मांग की कि यह मोहाली वन मंडल अफसर तथा डिप्टी कमिश्रर मोहाली द्वारा स्पष्ट तौर पर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है तथा सरकार बिना देरी जिला वन मंडल अफसर पर सख्त कानूनी कार्रवाई कर निलंबित करे तथा उसके द्वारा इन गांवों में अब तक की गई कार्रवाई जो कि कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है, को तुरंत निरस्त करें।

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