पंजाब में अब बनेंगी प्लास्टिक मिश्रित सड़कें

Edited By Vatika,Updated: 27 Aug, 2019 10:19 AM

plastic mixed roads will now be made in punjab

भारत के 11 प्रदेशों में बन चुकी हैं 1 लाख किलोमीटर सड़कें

अमृतसर (इंद्रजीत): प्लास्टिक के वेस्ट से जूझ रहे पंजाब के लोगों को जल्द इस बड़ी समस्या से निजात मिल सकती है। ‘रोड ऑफ प्लास्टिक’ के अंतर्गत अब इस वेस्ट प्लास्टिक को सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। कई प्रदेशों में इसका प्रयोग पहले से ही सड़क के निर्माण में किया जा रहा है, जल्द ही इसे पंजाब में भी शुरू किया जाना है। इससे प्लास्टिक की वेस्ट पॉलीपैक का पर्यावरण पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे बनने वाली सड़कें पांच गुना ज्यादा मजबूत भी होंगी। पिछले लंबे समय से वेस्ट कैरीबैग को खत्म करने के लिए सरकार कानून बना चुकी है, जिसमें प्लास्टिक के लिफाफे के प्रयोग को बैन भी कर दिया गया है, लेकिन इसका कोई विकल्प न होने के कारण लोग इन लिफाफों को इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि कागज से बने लिफाफे इतने कच्चे हैं कि उनमें सामान भरकर लाना मुश्किल होता है। इसके अलावा पानी की मार सहने में भी ये कागज के लिफाफे कारगर नहीं होते हैं। यानी ‘रोड ऑफ प्लास्टिक’ पंजाब की सड़कों की तस्वीर बदल देगा। वहीं भारत के 11 प्रदेशों में 1 लाख किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं।

ऐसे प्रयोग होता है सड़कों में प्लास्टिक 
सड़क के ऊपरी हिस्से में बिछाए कार्पेट के साथ-साथ क्रशर मिक्स करके उसे सड़कों पर बिछाया जाता है। इसके बाद रोड रोलर से सड़क को समतल किया जाता है। इसमें तारकोल की बिछाई तह के बीच प्लास्टिक के लिफाफे को 170 डिग्री सैल्सियस की हीट देकर मैल्ट करके तारकोल के साथ मिक्स कर लिया जाता है और यह वेस्ट प्लास्टिक के लिफाफे का अस्तित्व समाप्त कर देता है। इसमें तारकोल के साथ वेस्ट प्लास्टिक जिसे छोटे-छोटे टुकड़े करके मिक्स किया जाता है, की मात्रा 10 प्रतिशत होती है। यदि 1 किलोमीटर सड़क बने तो 100 मीटर वेस्ट लिफाफा सड़क में प्रयोग हो जाएगा। दक्षिण भारतीय क्षेत्र के वैज्ञानिक डा. राज गोपालन, जिन्होंने इस फार्मूले को इजाद किया है, का दावा है कि यदि तारकोल में प्लास्टिक का वेस्ट लिफाफा प्रयोग किया जाए तो इससे बनी सड़क को 10 वर्ष तक मुरम्मत की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। इससे बनी सड़क मुलायम व मजबूत होगी और इसमें गड्ढे पडऩे की संभावना भी न के बराबर रहेगी।  

केंद्र सरकार दे चुकी है अनुमति 
इन सड़कों की कामयाबी को लेकर केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2015 से यह अनुमति दे दी है कि प्रदेशों की सरकारें प्लास्टिक के लिफाफे को समाप्त करने के लिए उनका उपयोग सड़क निर्माण के लिए करना शुरू कर दें। इसके उपरांत हिमाचल प्रदेश में भी इसका सिलसिला तेज हो चुका है। यदि सभी राज्य इस विधि को अपनाते हैं तो बंद हो रहे प्लास्टिक के कारखानों को भी नई उम्मीद मिल सकती है जिससे कई श्रमिकों का रोजगार भी छिनने से बच सकेगा। 

रोड एक्सीडैंट का होगा ग्राफ कम
वैसे तो सड़क दुर्घटना के कई छोटे-बड़े कारण होते हैं लेकिन 10 से 15 प्रतिशत वाहनों के एक्सीडैंट का कारण सड़कों में पड़े गड्ढे बनते हैं क्योंकि सड़कें जब पानी में डूबी रहती हैं तो तारकोल व बजरी की पकड़ छूटने लगती है लेकिन यदि इसके खोजकत्र्ता वैज्ञानिक की मानें तो प्लास्टिक का मैटीरियल मिक्स होने के कारण सड़क को पानी की मार नहीं झेलनी पड़ेगी और सड़कों पर गड्ढे पडऩे के चांस कम हो जाएंगे जिसके कारण रोड एक्सीडैंट्स में कमी आना निश्चित है। इस संबंध में पंजाब के आई.जी. रैंक के अधिकारी सुरेन्द्रपाल सिंह परमार का कहना है कि सड़कें खराब होने के कारण स्पीड से चलते हुए वाहन कई बार उलट जाते हैं या संतुलन बिगडऩे के कारण दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। 

11 प्रदेशों में प्रयोग हो चुका है यह फार्मूला
इस फार्मूले के तहत बनी सड़कें अपनाने में भारत के 11 प्रदेश आगे आए हैं जहां इन सड़कों का 1 लाख किलोमीटर का निर्माण हो चुका है। इसमें तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, मेघालय, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश शामिल हैं जबकि हरियाणा के गुरुग्राम में भी इस फार्मूले से सड़कें बन चुकी हैं और औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यहां भारी वाहनों का प्रयोग बहुत अधिक है। 


क्यों है प्लास्टिक खतरनाक
वर्ष 2012 में देश की सुप्रीम कोर्ट ने भी प्लास्टिक के लिफाफे को खतरनाक करार देते हुए कहा है कि इसने इंसान को पूरी तरह से घेर रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि मानव जाति के लिए यह प्लास्टिक खतरनाक है। इनके प्रयोग से हमारी नदियां व तालाब बर्बाद हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिकों ने भी इसे अत्यंत दूषित तत्व मानते हुए कहा है कि इसमें ये बुराइयां शामिल हैं:
*इंसानी जीवन को नुक्सान पहुंचाता है। 
*जमीन पर पानी, हवा और मिट्टी तीनों को दूषित करता है।
*भूमि के भीतर प्लास्टिक बैग मिल जाने की वजह से जमीन की उर्वरा खराब होती है। 
*प्लास्टिक बैग से जमीन के ऊपर प्रयोग होने वाला पानी दूषित व कैमीकल युक्त हो जाता है।
*भूगर्भ में फैला हुआ जल भंडार दूषित होता है।
*प्लास्टिक की वजह से समुद्री जीवों की कई प्रजातियां समाप्त हो चुकी हैं जिनमें डॉल्फिन, कछुए, पैंग्विन व व्हेल शामिल हैं। 
*पशु जीवन के लिए भी प्लास्टिक खतरनाक है। इसको खाने से हर साल हजारों पशुओं की मौत हो जाती है।

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