Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 11:39 AM
पंजाब इंस्टीच्यूट आफ मैडीकल साइंसिस, गढ़ा रोड, जालंधर में गरीब व जरूरतमंद जनता को फायदा पहुंचाने की जगह उन्हें धोखा देने का काम हो
जालंधर (अमित): पंजाब इंस्टीच्यूट आफ मैडीकल साइंसिस, गढ़ा रोड, जालंधर में गरीब व जरूरतमंद जनता को फायदा पहुंचाने की जगह उन्हें धोखा देने का काम हो रहा है। पिछले 2 सालों से यहां फिजियोथैरेपी विभाग में आने वाले लोगों से पी.जी.आई. चंडीगढ़ में ली जा रही फीस से लगभग 5 गुणा अधिक दाम वसूलने का काम बदस्तूर जारी है। 2010 में खोले गए पिम्स का मूल उद्देश्य दोआबा क्षेत्र और इसके आसपास के इलाके की जनता को पी.जी.आई. के दामों की तर्ज पर मैडीकल सुविधाएं प्रदान करना था। मगर 2014 में जबसे उसे फोर्टिस के हाथों में सौंपा गया है, तब से यह न केवल अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है बल्कि इसका तरह-तरह के विवादों के साथ चोली-दामन का साथ बन गया है।आम जनता को मैडीकल सुविधाओं के लिए काफी अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं।
मामला ध्यान में, सरकार के पास भेजी है रिपोर्ट : डा. विमल सीकरी
पिम्स के सरकारी डायरैक्टर डा. विमल सीकरी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि फीजियोथैरेपी के अधिक दाम वसूले जाने का मामला उनके ध्यान में है और इसको लेकर वह पहले ही सरकार के पास अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट भेज चुके हैं। उन्होंने कहा कि उक्त परेशानी आऊटसोर्सिंग की वजह से आ रही है, क्योंकि अगर किसी कंपनी को कोई भी काम आऊटसोर्स किया जाता है, तो यह उसकी मर्जी है कि वह कितना दाम वसूलता है। पिम्स में कैंटीन, फिजियोथैरेपी, डायलिसिस, पार्किंग, सिक्योरिटी, हाऊसकीपिंग और फार्मेसी को आऊटसोर्स किया गया है, जिसकी वजह से थोड़ी परेशानियां आ रही हैं, मगर इसको एकदम से ठीक करना संभव नहीं है। इसमें थोड़ा समय लगेगा और जहां तक फिजियोथैरेपी के अधिक दाम वसूलने का मामला है आने वाले दो हफ्तों के अंदर-अंदर हर हाल में सारे दाम तर्कसंगत हो जाएंगे।
PGI के बराबर ही हैं दाम, हम 5 विजिट का 150 ले रहे हैं : दिनेश मिश्रा
पिम्स प्रबंधन की तरफ से प्रिंसीपल आफिसर कम फाइनैंस कंट्रोलर दिनेश मिश्रा से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि पिम्स में फिजियोथैरेपी के दाम पी.जी.आई. के बराबर ही हैं और जनता की परेशानी को कम करने के लिए 5 विजिट के पैसे यानि कि 150 रुपए एक साथ चार्ज किए जाते हैं। देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि पैसे अधिक वसूले जा रहे हैं, मगर असलीयत में ऐसा नहीं है। इसलिए अधिक पैसे वसूलने की बात बिल्कुल गलत है।
पिम्स के साथ क्या अनुबंध हुआ कोई जानकारी नहीं : डा. मिलीकांत
निजी कंपनी, जिसके पास फिजियोथैरेपी विभाग का आऊटसोर्स ठेका है, उसके डा. मिलीकांत से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि पिम्स के साथ उनकी कंपनी का क्या अनुबंध हुआ है, इसको लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उनकी कंपनी द्वारा पिम्स को प्रति मरीज कोई कमीशन दी जाती है या फिर एकमुश्त राशि दी जाती है या फिर केवल जगह का किराया लिया जा रहा है, इसको लेकर भी उन्हें कुछ पता नहीं है, इसलिए इसको लेकर कुछ भी कहना संभव नहीं है।
क्या है मामला, कैसे वसूले जा रहे हैं अधिक दाम?
पिम्स में ग्राऊंड फ्लोर पर एक नंबर ओ.पी.डी. के अंदर बने हुए फिजियोथैरेपी विभाग में मरीजों की फीजियोथैरेपी करने का काम किया जाता है। विभाग की तरफ से कुछ समय पहले पी.जी.आई. के बराबर 30 रुपए प्रति विजिट वसूले जाते थे, मगर पिम्स प्रबंधन द्वारा अपने निजी स्वार्थ को देखते हुए सिनैपस फिजियो प्राइवेट लिमिटिड नामक एक कंपनी जिसका पूरे देश में फोर्टिस ग्रुप के साथ टाइअप है, को मार्च, 2015 में फिजियोथैपिरिपी का सारा काम दे दिया गया। इसके पश्चात यहां आने वाले मरीजों से पहले प्रति विजिट 75 रुपए और बाद में 150 रुपए वसूले जाने लगे जोकि सीधा 5 गुणा अधिक हैं। मौजूदा समय के विभाग के अंदर पिम्स की तरफ से दो कर्मचारी तैनात किए गए हैं, जिन्हें लगभग 13,000 रुपए प्रति महीना वेतन दिया जा रहा है, जबकि निजी कंपनी की तरफ से 3 कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं, जिन्हें लगभग 18 से 20 हजार रुपए प्रति महीना वेतन दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि निजी कंपनी और पिम्स के बीच आपस में प्रोफिट-शेयरिंग एग्रीमैंट किया गया है, जिसके तहत निजी कंपनी अपने मुनाफे में से कुछ हिस्सा पिम्स को दे रहा है। मगर इस पूरे मामले में जो बात उभरकर सामने आती है, वह यह है कि पिम्स को तो बिना कोई प्रयास किए कमाई होने लगी है, मगर आम जनता को बिना किसी कसूर के अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं।