Edited By swetha,Updated: 17 Mar, 2019 10:41 AM
पटियाला रियासत में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पुरखों का सदियों से राज रहने के बावजूद शाही परिवार के दबदबे के चलते पटियाला का बेखौफ वोटर लोकसभा चुनावों में कै. अमरेन्द्र सिंह और महारानी परनीत कौर दोनों को जीत के साथ-साथ हार का स्वाद भी चखा चुका है।
पटियाला(जोसन): पटियाला रियासत में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पुरखों का सदियों से राज रहने के बावजूद शाही परिवार के दबदबे के चलते पटियाला का बेखौफ वोटर लोकसभा चुनावों में कै. अमरेन्द्र सिंह और महारानी परनीत कौर दोनों को जीत के साथ-साथ हार का स्वाद भी चखा चुका है। हालांकि 1952 से 2014 तक यहां 16 बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 10 बार कब्जा कर चुकी है। इसमें एक बार कै. अमरेन्द्र सिंह और 3 बार महारानी परनीत कौर लगातार विजेता रही हैं। इस बार 2019 में शाही परिवार की परनीत कौर मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं, जिन्होंने पिछले समय से राजनीतिक जंग की तैयारी खींची हुई है। दूसरी ओर अकाली दल के पूर्व सीनियर कैबिनेट मंत्री, दरवेश और ईमानदार शख्सियत के तौर पर जाने जाते सुरजीत सिंह रखड़ा को चुनाव मैदान में उतार दिया है, जिसके साथ मुकाबला सीधा होने के आसार बन गए हैं।
1977 में जत्थेदार टोहड़ा ने तोड़ा था कांग्रेस का किला
देश की आजादी के बाद पटियाला सीट पर 1952 से लगातार 5 बार विजेता चली आ रही कांग्रेस के किले को शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार पंथ रत्न जत्थेदार गुरचरन सिंह टोहड़ा ने 1977 में तोड़ दिया। सिख पंथ की महान और ईमानदार शख्सियत जत्थेदार गुरचरन सिंह टोहड़ा के मुकाबले कांग्रेस ने शाही परिवार के वारिस कै. अमरेन्द्र सिंह को पहली बार मैदान में उतारा था। टोहड़ा ने इस चुनाव में कै. अमरेन्द्र सिंह को 90,317 वोटों के साथ हरा कर कांग्रेस के चले आ रहे कब्जे को भी तोड़ दिया। जत्थेदार टोहड़ा को इस चुनाव में 2,65,111 वोटें मिलीं, जबकि कै. अमरेन्द्र सिंह को 1,74,794 वोटें मिली थीं।
बाबा आला सिंह ने रखी थी पटियाला की नींव
पटियाला भारतीय पंजाब राज्य के दक्षिण पूर्व में स्थित एक शहर, जिला और पूर्व रियासत है। यह शहर बाबा आला सिंह ने 1763 में बसाया था, जहां से इसका नाम आला की पट्टी और बाद में पटीयाला तथा फिर पटियाला पड़ गया। देश का पहला डिग्री कालेज महिन्द्रा कालेज की स्थापना 1870 में पटियाला में हुई थी। 1948 तक यह पटियाला रियासत की राजधानी रहा और उसके बाद 1956 तक यह पैप्सू सरकार की राजधानी बना रहा।
रखड़ा और परनीत कौर 1999 में भी हुए थे आमने-सामने
1999 में शिरोमणि अकाली दल दोफाड़ हो चुका था। अकाली दल बादल द्वारा सुरजीत सिंह रखड़ा और अकाली दल टोहड़ा द्वारा प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा को चुनाव मैदान में उतारा था। इस मौके कांग्रेस द्वारा उम्मीदवार महारानी परनीत कौर थीं, जिनको अकाली दल के दोफाड़ होने का सीधा फायदा मिला था।
2009 और 2014 में कितने प्रतिशत रहा किसका दबदबा
वर्ष 2009 में बड़ी जीत प्राप्त करने वाली कांग्रेस का वर्ष 2014 में हुए चुनाव में ‘आप’ ने गणित खराब कर दिया था। इस चुनाव में कांग्रेस को 2009 के मुकाबले 19.91 प्रतिशत वोट कम मिले थे। अकाली दल को 9.92 प्रतिशत का नुक्सान हुआ था और ‘आप’ विजेता रही थी लेकिन इस बार अभी तक ‘आप’ पटियाला से किसी मुकाबले में भी नहीं दिखाई दे रही।
मां-पुत्र और पुत्रवधू को जिताया है पटियालवियों ने
शाही शहर के वोटरों ने शाही खानदान के वारिस रहे कै. अमरेन्द्र सिंह की माता महारानी महिन्द्र कौर को 1967 में जीत दिलाई थी। इस तरह फिर महारानी महिन्द्र कौर के सुपुत्र 1980 में कै. अमरेन्द्र सिंह को जीत दिलाई और 1999 में कै. अमरेन्द्र सिंह की पत्नी महारानी परनीत कौर को जीत दिलाई। इस तरह इन वोटरों ने मां-पुत्र और पुत्रवधू को जीत दिलाई थी।
आजादी के बाद अब तक ये रहे पटियाला के सांसद
साल |
पार्टी |
सांसद |
1952 |
कांग्रेस |
राम प्रताप गर्ग |
1957 |
कांग्रेस |
लाला अचिंत राम |
1962 |
कांग्रेस |
सरदार हुक्म सिंह |
1967 |
कांग्रेस |
महारानी महिन्द्र कौर |
1971 |
कांग्रेस |
सतपाल कपूर |
1977 |
शिअद |
जत्थे. गुरचरन सिंह टोहड़ा |
1980 |
कांग्रेस |
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह |
1984 |
शिअद |
चरनजीत सिंह वालिया |
1989 |
कांग्रेस |
अतिन्द्र पाल सिंह |
1991 |
कांग्रेस |
संत राम सिंगला |
1996 |
शिअद |
प्रेम सिंह चंदूमाजरा |
1998 |
शिअद |
प्रेम सिंह चंदूमाजरा |
1999 |
कांग्रेस |
महारानी परनीत कौर |
2004 |
कांग्रेस |
महारानी परनीत कौर |
2009 |
कांग्रेस |
महारानी परनीत कौर |
2014 |
‘आप’ |
डा. धर्मवीर गांधी |
अमरेन्द्र हैं बाबा आला सिंह की 10वीं पीढ़ी के वारिस
राजा आला सिंह |
(1743-1765) |
राजा अमर सिंह |
(1765-1781) |
राजा साहिब सिंह |
(1781-1813) |
महाराजा कर्म सिंह |
(1813-1845) |
महाराजा नरिन्द्र सिंह |
(1845-1862) |
महाराजा महिन्द्र सिंह |
(1862-1876) |
महाराजा राजिन्द्र सिंह |
(1876-1900) |
महाराजा भूपिन्द्र सिंह |
(1900-1938) |
महाराजा यादविन्द्र सिंह |
(1938-1974) |
कै. अमरेन्द्र सिंह |
(जन्म 1942) पंजाब के मुख्यमंत्री हैं। |
2009 में पार्टियों की स्थिति
कांग्रेस |
50.66% |
शिअद |
40.26% |
बसपा |
6.18% |
2014 में पार्टियों की स्थिति
‘आप’ |
32.62% |
कांग्रेस |
30.75% |
शिअद |
30.34% |
बसपा |
1.16% |