पंजाब में लड़कों के मुकाबले लड़कियां पैदा करने में पटियाला पहले स्थान पर पहुंचा

Edited By swetha,Updated: 30 Dec, 2019 01:16 PM

patiala ranks first in punjab in producing girls in comparison to boys

लगातार लड़कों के मुकाबले लड़कियों की कम हो रही संख्या जहां पिछले 3 दशकों से एक बड़ा चिंता का विषय बना हुआ है

पटियाला(बलजिन्द्र, राणा): लगातार लड़कों के मुकाबले लड़कियों की कम हो रही संख्या जहां पिछले 3 दशकों से एक बड़ा चिंता का विषय बना हुआ है, वहीं मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के अपने जिले ने इसमें कमाल करते हुए पंजाब में लड़कों के मुकाबले लड़कियों पैदा करने में पहले स्थान पर पहुंच गया है। इस साल नवम्बर के आए ताजा आंकड़ों में न केवल पटियाला नंबर एक पर पहुंच गया बल्कि एक हजार लड़कों के मुकाबले पटियाला जिले में 1018 लड़कियों का जन्म हुआ जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पिछले एक दशक पहले वह समय भी किसी को नहीं भूला जब लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 750 के लगभग रह गई थी। तब लगातार बुद्धिजीवियों और समाज सेवकों की तरफ से लोगों को लाहनतें डाली गईं।

 सरकार भी उस मामले में सक्रिय हुई और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी मुहिमें चलाई गईं। आज इसको जागरूकता मुहिमों का प्रभाव कहें या फिर लोगों के लड़कियां प्रति बदला नजरिया परन्तु यह हकीकत है कि नवम्बर में पटियाला में 1000 लड़कों के मुकाबले 1018 लड़कियों ने जन्म लिया। इसी तरह अक्तूबर में 1000 लड़कों के मुकाबले पटियाला जिले में 1005 लड़कियों ने जन्म लिया जो कि एक बढिय़ा संकेत कहा जा सकता है। हालांकि दिसम्बर की औसत आनी अभी बाकी है परन्तु लगातार आंकड़ों में हो रहे सुधार काफी राहत की बात कही जा सकती है। कभी लड़कों को सब कुछ बताने वाले हमारे समाज के नजरिए के कारण पिछले 2 दशकों दौरान लड़कियों को बड़ी संख्या में कोख में ही मार दिया गया, जिस कारण हालात ये पैदा हो गए कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या काफी घट गई और जब यह बात सरकारी रिकॉर्ड पर आई तो सरकारें भी सक्रिय हुईं और इस मुहिम को लेकर चाहे अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार थी या फिर कांग्रेस दोनों सरकारों की तरफ से अहम योगदान पाया गया।

लगातार इस मामले में हुई जागरूकता और पिछले दो दशक में लड़कियों की तरफ से हर फील्ड में किए गए शानदार प्रदर्शन कारण लोगों का नजरिया बदला और अब यह दावों के साथ कहा जा सकता है कि पहले के मुकाबले काफी हद तक अब लोग लड़के और लड़की में फर्क नहीं समझ रहे।  पिछले साल अक्तूबर महीनों में 1000 लड़कों पीछे 930 लड़कियां थीं, जबकि इस साल 1000 लड़कों पीछे 1005 लड़कियां पैदा हुई हैं। इसी तरह नवम्बर में पिछले साल 1000 लड़कों के पीछे 902 लड़कियां पैदा हुई थीं, जबकि इस साल नवम्बर में 1000 लड़कों पीछे 1018 लड़कियां पैदा हुई हैं। यह ङ्क्षलग अनुपात का एक बढिया उदाहरण कहा जा सकता है कि पटियाला जिले में ङ्क्षलग अनुपात में बड़ा सुधार हुआ है।

सेहत विभाग की तरफ से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा: सिविल सर्जन
इस मामले में जब सिविल सर्जन डा. हरीश मल्होत्रा के साथ बात की गई तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि नवम्बर में पटियाला में 1000 लड़कों पीछे 1018 लड़कियां पैदा हुईं जो कि ङ्क्षलग अनुपात का एक बेहतर अंक कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से बार-बार चलाईं जा रही जागरूकता मुहिमों के अलावा सेहत विभाग की तरफ से भी लोगों को बड़े स्तर पर जागरूक किया जा रहा है और अब लोगों का नजरिया बदल गया है, जिसमें मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह, सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, सांसद महारानी परनीत कौर और सेहत विभाग के अधिकारियों की तरफ से काफी बड़ी भूमिका निभाई गई है। 

माह 2018 2019
जनवरी  915  926
फरवरी   1107  949
मार्च 920 916
अप्रैल     915 965
मई   939   952
जून  945     942
जुलाई   902 972
अगस्त  911  971
सितम्बर 919 992
अक्तूबर  930   1005
नवम्बर   902   1018
दिसम्बर 915      

 
 

      
    
 
  
   

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