बच्चे की कस्टडी को लेकर भिड़े मा-बाप

Edited By Updated: 20 Apr, 2017 05:43 PM

parents are concerned about child custody

करीब साढ़े 4 वर्षीय मासूम बच्चे की कस्टडी को लेकर स्थानीय अदालत में विचाराधीन एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के अंदर व बाहर मासूम बच्चे के मां-बाप यानी पति-पत्नी के बीच विवाद हो गया। उधर अदालत ने बच्चे की  कस्टडी को लेकर विचाराधीन इस मामले पर...

अमृतसर(महेन्द्र): करीब साढ़े 4 वर्षीय मासूम बच्चे की कस्टडी को लेकर स्थानीय अदालत में विचाराधीन एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के अंदर व बाहर मासूम बच्चे के मां-बाप यानी पति-पत्नी के बीच विवाद हो गया। उधर अदालत ने बच्चे की  कस्टडी को लेकर विचाराधीन इस मामले पर अगली सुनवाई करने के लिए 21 अप्रैल की तारीख निश्चित की है।
 
उल्लेखनीय है कि स्थानीय टैगोर कालोनी, माल रोड निवासी मेघा पुत्री राजेश कुमार की शादी 8 मई, 2011 को बसंत एवेन्यू निवासी नितिन अग्रवाल पुत्र अनिल अग्रवाल के साथ हुई थी। इस शादी से उनका साढ़े 4 वर्षीय एक बेटा प्रगण्य भी है। करीब अढ़ाई वर्ष पहले पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंध विच्छेद हो जाने के कारण मेघा अपने मासूम बेटे के साथ मायके चली गई थी । उसने अपने पति व ससुराल के सदस्यों के खिलाफ डोमैस्टिक वायलैंस एक्ट के तहत क्रिमिनल केस तथा हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत खर्च हासिल करने के लिए अलग से सिविल केस भी दायर कर रखा है। इसमें अदालत ने मेघा व उसके बच्चे के लिए 3500 रुपए प्रति महीना का खर्च भी लगा रखा है। दूसरी तरफ नितिन अग्रवाल ने अपने बच्चे की कस्टडी हासिल करने के लिए अलग से स्थानीय ए.सी. जे.एम.-कम-गार्जियन जज रवि इन्द्र कौर की अदालत में केस दायर किया हुआ था। 

मुझे मरता छोड़ बच्चे सहित मायके चली गई थी पत्नी : नितिन

नितिन अग्रवाल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने वर्ष 2009 में बी.टैक. (इलैक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन की इंजीनियरिंग की डिग्री) की हुई है। वह ऐसे रोग का शिकार हो गया था, जिसे लेकर डाक्टर उसकी जान को खतरा भी बता रहे थे। अगस्त 2014 में उसे इस भयानक रोग का पता चला था। बीमारी की पता चलते ही उसकी पत्नी मेघा उसे इसी हालत में छोड़कर अपने बच्चे सहित मायके घर चली गई थी। उसने बताया कि हालांकि इलाज करवाते हुए उसे रोग से काफी राहत मिल चुकी है, लेकिन बावजूद इसके उसे अभी भी भारी मात्रा में दवा लेनी पड़ रही है। उसने लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से गलत बताते हुए कहा कि वह अपने सिर्फ मौसेरे भाई के साथ अदालत में आया था। 

नितिन ने बताया कि 23 मार्च को उसका जन्मदिन था। अदालत ने उस दिन उसे बेटे के साथ मिलने के लिए 4 घंटे का समय दे रखा था, लेकिन उसकी पत्नी ने उसके जन्मदिन पर भी उसे उसके बेटे के साथ नहीं मिलाया। अदालत बच्चे की कस्टडी के इस मामले में उसके पक्ष में एकतरफा फैसला भी सुनाने के साथ-साथ उसकी पत्नी को 5,000 रुपए का जुर्माना भी लगा चुकी है। बावजूद इसके उसकी पत्नी उसे उसके बेटे के साथ सही तरीके से मिलने नहीं दे रही है। 

पत्नी ने पति के खिलाफ लगाए डराने-धमकाने के आरोप

अदालत के बाहर मेघा ने अपने मां-बाप की उपस्थिति में बताया कि उसके पति व ससुराल वालों ने करीब अढ़ाई वर्ष पहले उसकी पिटाई करके उसे मासूम बच्चे सहित घर से निकाल दिया था। तब से वह अपने मायके घर रह रही है। उसका पति उसके बेटे को जबरदस्ती हासिल करना चाहता है और इसके लिए वह कभी उनके मोहल्ले में अपने कई साथियों के साथ आकर तो कभी अलग-अलग मामलों की सुनवाई वाले दिन जिला कचहरी में उसे व उसके परिवार के सदस्यों को कई प्रकार की धमकियां देता रहता है। उसने बताया कि अदालत के आदेशानुसार वह अपने बेटे को अदालत में लेकर आई हुई थी। अदालत के आदेशानुसार वह अपने बेटे को अपने पति के सुपुर्द कर खुद परिवार सहित अदालत के बाहर आ गई थी, लेकिन उसका पति न जाने किन-किन लोगों को अपने साथ लेकर आया हुआ था और बहाने से अदालत के अंदर व बाहर उनके सामने उसके बेटे को उनके खिलाफ तरह-तरह से उकता रहे थे, जिसके कारण यह विवाद हुआ है। 

 

 

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