Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Jul, 2017 08:02 AM
फगवाड़ा में आवारा कुत्तों का आतंक आम व खास लोगों पर दिन-प्रतिदिन भारी पड़ता चला जा रहा है। आलम यह हो गया है कि फगवाड़ा के शहरी व ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर आवारा कुत्तों का दबदबा इतना भयानक है कि यहां पर रोजाना औसतन.............
फगवाड़ा (जलोटा): फगवाड़ा में आवारा कुत्तों का आतंक आम व खास लोगों पर दिन-प्रतिदिन भारी पड़ता चला जा रहा है। आलम यह हो गया है कि फगवाड़ा के शहरी व ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर आवारा कुत्तों का दबदबा इतना भयानक है कि यहां पर रोजाना औसतन आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को आवारा कुत्ते रोजाना काट रहे हैं।
इनमें महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग व जवान सभी शामिल हैं। हालत ये हैं कि लोग अपने घरों आदि से अब गलियों/मोहल्लों में आवारा कुत्तों के डर से चलने से डरने लगे हैं, लेकिन त्रासदी और विडम्बना यह बना है कि फगवाड़ा में इतने खौफनाक हालात होने के बावजूद भी न तो नगर निगम फगवाड़ा आवारा कुत्तों की समस्या का कोई समाधान कर रहा है और न ही जिला कूपरथला के सरकारी अमले के पास इतनी फुर्सत है कि वह जनता के दर्द को समझ सके।
महज 6 माह में 1400 से ज्यादा लोग हुए शिकार
पंजाब केसरी द्वारा की गई जांच में जो खुलासे हुए वे फगवाड़ा में आवारा कुत्तों के खौफ की दास्तां की आधिकारिक स्तर पर जहां पुष्टि कर रहे हैं। वहीं बड़ा सवाल यह भी बना है कि आखिर इतने भयानक हालात से अब कैसे निपटा जाएगा? बात सुनने अथवा पढऩे में भले ही चौंकाने वाली लगे, लेकिन यह हकीकत है कि फगवाड़ा में वर्ष 2017 में जनवरी से जून तक अर्थात मात्र 6 माह में करीब 1400 से ज्यादा लोग आवारा कुत्तों के काटने के शिकार हुए हैं और हैरानीजनक सच्चाई यह है कि यह आंकड़ा निरंतर बढ़ता ही चला जा रहा है।
सिविल अस्पताल में मुफ्त लगते हैं टीके
एस.एम.ओ. ने कहा कि सरकारी तौर पर आवारा कुत्ते के काटने के बाद सिविल अस्पताल में ए.आर.वी. के टीके मुफ्त लगाए जाते हैं। बता दें कि निजी स्तर पर बाजार में ए.आर.वी. का एक टीका 300 रुपए के भाव से बिक्री होता है। आवारा कुत्ते के काटने के बाद पीड़ित को 5 इंजैक्शन लगाए जाते हैं। ये टीके पीड़ित को आवारा कुत्ते के काटने के पहले दिन, फिर तीसरे, फिर 7वें, फिर 14वें और अंत में 28वें दिन लगाए जाते हैं। एस.एम.ओ. डा. सिंह ने दावा किया कि वर्तमान में सिविल अस्पताल में कुत्ते के काटने के बाद लगाए जाते टीके (ए.आर.वी.) का भरपूर स्टॉक मौजूद है।
फगवाड़ा में आवारा कुत्तों की भरमार, निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा
फगवाड़ा में आवारा कुत्तों के काटने से बने हुए आतंक के मध्य नगर निगम फगवाड़ा जो सदैव मीडिया में जनता के हितों की सुरक्षा करने के दावे करता है। हकीकत यह है कि इस संदर्भ में निगम सारी सच्चाई से परिचित होने के बाद भी सिर्फ हाथ पर हाथ धरे हुए बैठा है।
जनता रोज आवारा कुत्तों का शिकार बन रही है, लेकिन निगम के सरकारी अमले द्वारा ग्राऊंड स्तर पर न तो आवारा कुत्तों की नसबंदी कर इनकी संख्या को बढऩे से कुछ किया गया है और न ही आवारा कुत्तों को काबू कर इनको किसी सुरक्षित जगह पर रखने हेतु कोई भी बंदोबस्त किया गया है। महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जो भारी-भरकम फंड्स निगम को आवारा कुत्तों को काबू करने अथवा इनकी नसबंदी करने व इनको सुरक्षित ढंग से रखने हेतु आते हैं वे सब हवा-हवाई दावों में ही खर्च हो गए हैं?
100 सवालों का 1 सवाल
100 सवालों का 1 सवाल यह है कि यदि भारत व पंजाब सरकार द्वारा निगम को आवारा कुत्तों हेतु सरकारी तौर पर फंड्स आए हैं तो कहां पर और कैसे खर्च किए गए हैं? वहीं जानकारों की राय में सरकार द्वारा आधिकारिक स्तर पर निगमों व कौंसिलों को आवारा कुत्तों संबंधी विशेष ग्रांट्स आती रहती हैं। ये ग्रांट्स यदि फगवाड़ा नगर निगम को पहुंची है तो ये पैसे कहां पर व्यय हो गए हैं? यह सवाल खुद जानकार हैरानी भरे लहजे में पूछ रहे हैं, जिसका जवाब निगम के सरकारी अमले को देना होगा। जानकारों के अनुसार फगवाड़ा में वर्तमान में हजारों की संख्या में आवारा कुत्ते हैं, लेकिन सबसे रोचक पहलू यह है कि यदि इसे लेकर निगम से आधिकारिक तौर पर पूछा जाए तो निगम के पास आवारा कुत्तों की संख्या को लेकर कोई सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।