महेडू के पी.जी. बन सकते हैं विद्याॢथयों का काल!

Edited By Des raj,Updated: 22 Jul, 2018 03:38 PM

p g of mahdoo can become the death point of student

लवली प्रोफैशनल यूनिवॢसटी के पास गांव महेडू इस समय पी.जी. का गढ़ बन चुका है। पी.जी. भी ऐसे जिनमें से कई जे.डी.ए. के किसी नियम पर पूरे उतरते दिखाई नहीं देते।

जालंध (बुलंद): लवली प्रोफैशनल यूनिवॢसटी के पास गांव महेडू इस समय पी.जी. का गढ़ बन चुका है। पी.जी. भी ऐसे जिनमें से कई जे.डी.ए. के किसी नियम पर पूरे उतरते दिखाई नहीं देते। मामले बारे इलाके में कानूनी तरीके से पी.जी. बनाने वालों का कहना है कि सरकार खुद ही असल में अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रही है। जो लोग कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करके इलाके में सही ढंग से इमारत बनाना चाहते हैं, उन्हें एन.ओ.सी. से लेकर नक्शा पास करवाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, पर वहीं जो लोग अवैध ढंग से विभाग के कर्मचारियों से सैटिंग करके अपनी इमारतें बना लेते हैं, उन्हें कोई रोकने वाला नहीं।

2013 की रैगुलेशन पालिसी में अनेक गलत तरीके से बनी इमारतें हुईं पास
मामले बारे जानकार सूत्रों की मानें तो 2013 की रैगुलेशन पालिसी सरकार लेकर आई तो विभाग ने लकीर का फकीर बनकर एकदम से सारी अवैध इमारतों को रैगुलर करके पास कर दिया पर यह सोचने का किसी अधिकारी ने कष्ट नहीं किया कि एक बार जाकर चैक तो किया जाए कि महेडू व आस-पास के इलाकों में बनी इमारतों की कंडीशन क्या है? क्या इन्हें रैगुलर करने से कहीं आने वाले दिनों में कोई बड़ी परेशानी तो नहीं पैदा हो जाएगी। जानकारों की मानें तो जे.डी.ए. के नियमानुसार कोई भी पी.जी. की इमारत 3 मंजिल से अधिक नहीं बन सकती, पर हैरानी है कि महेडू में ऐसी अनेक इमारतें दिखाई देंगी जो 4-5 मंजिला बनी हुई हैं और जिनमें विद्यार्थी पूरी मौज-मस्ती के माहौल में रहते हैं। 

उन्हें पर्सनल रूम दिए गए हैं, जहां होटलों से ज्यादा आजादी और मौज-मस्ती का सारा सामान मुहैया है, पर इन इमारतों पर रैगुलाइजेशन की मोहर लग चुकी है और अब इन पर कोई आब्जैक्शन नहीं लग सकता। इलाके के जानकारों का कहना है कि बनाई गई अधिकतर इमारतें ठेकेदारों द्वारा बनाई गई हैं जिनमें मैटीरियल भी घटिया लगाया गया है और जिस प्रकार 3-4 मरले की 10-12 फुट की चौड़ाई वाली इमारतें 4-5 मंजिलों तक बना दी गई हैं, इससे किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है। भगवान न करे, अगर भूकंप का झटका लगा तो ऐसी अवैध इमारतें पी.जी. विद्याॢथयों का काल बन सकती हैं, पर इस ओर किसी का कोई ध्यान नहीं है।

पुडा और जे.डी.ए. के कर्मचारियों की भी हैं कई इमारतें!
इलाके के जानकारों ने बताया कि  बहती गंगा में जब सभी हाथ धो रहे हों तो फिर क्यों पुडा के कर्मचारी पीछे रहें। उन्होंने बताया कि इलाके की दर्जनों इमारतें तो खुद पुडा व जे.डी.ए. के अधिकारियों और कर्मचारियों की हैं। कइयों ने अपने नाम पर और कइयों ने रिश्तेदारों के नाम पर पी.जी. खोल रखे हैं और इनसे हजारों रुपए प्रतिमाह की कमाई की जा रही है।

अवैध पी.जी. के खिलाफ कार्रवाई जारी है : रंधावा
मामले बारे महेडू क्षेत्र के जे.डी.ए. के जे.ई. मोहित व जे.डी.ए. के सी.ए. दरबारा सिंह रंधावा ने कहा कि जिन लोगों ने 2013 की पालिसी के अधीन अपने पी.जी. रैगुलर करवाए हैं, पर जो काफी गलत तरीके से बने हैं, उनकी सूची बनाई जा रही है जिसे सरकार के पास कार्रवाई के लिए भेजा जा सकता है। इसके अलावा जो 2013 के बाद बने हैं और अवैध हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि विभागीय नियमों के अनुसार 3 मंजिला इमारत ही बनाई जा सकती है, पर जो 4-5 मंजिला इमारतें महेडू में बन चुकी हैं, उन पर फिलहाल कार्रवाई नहीं हो सकती, लेकिन उनकी सूची तैयार की जा रही है।

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