Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Oct, 2017 02:18 PM
करीब डेढ़ साल से बंद पड़े जगराओं पुल के अनसेफ हिस्से को दोबारा बनवाने के लिए नगर निगम व जिला प्रशासन को अब दिल्ली दरबार की दौड़ लगानी पड़ेगी जिसका खुलासा डी.सी. की अगुवाई में हुई मीटिंग दौरान हुआ, जब रेलवे के लोकल अफसरों ने इस प्रोजैक्ट से पूरी तरह...
लुधियाना(हितेश): करीब डेढ़ साल से बंद पड़े जगराओं पुल के अनसेफ हिस्से को दोबारा बनवाने के लिए नगर निगम व जिला प्रशासन को अब दिल्ली दरबार की दौड़ लगानी पड़ेगी जिसका खुलासा डी.सी. की अगुवाई में हुई मीटिंग दौरान हुआ, जब रेलवे के लोकल अफसरों ने इस प्रोजैक्ट से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया।
जगराओं पुल के भारत नगर चौक की तरफ जाने वाले हिस्से को पिछले साल जुलाई में अनसेफ कहकर बंद कर दिया गया था जिसके बाद से भले ही एक साइड पर दोनों तरफ का टै्रफिक चलाया जा रहा है लेकिन बंद पड़े हिस्से को प्रयोग करने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और उन लोगों द्वारा अपनाए जा रहे वैकल्पिक रास्तों पर टै्रफिक का दबाव काफी बढ़ गया है।
इन हालात के लिए रेलवे व नगर निगम प्रशासन दोनों ही जिम्मेदार हैं क्योंकि पुल बंद करने के बाद काफी देर तक रेलवे यही फैसला नहीं ले पाया कि उसकी रिपेयर करनी है या इसे दोबारा बनवाना है। जब नए सिरे से पुल बनाने की सहमति बनी तो लागत का बोझ उठाने पर पेंच फंस गया जिसको लेकर नगर निगम द्वारा सहमति देने में काफी समय लगा दिया गया और उससे भी बढ़कर रेलवे ने डिजाइन व एस्टीमेट बनाने में 8 महीने लगा दिए।
एन.जी.ओ. ने पुल बंद करने की बरसी मनाकर किरकिरी की तो सरकार ने आनन-फानन में 24.30 करोड़ रिलीज कर दिया, जिसे रेलवे को भेजे कई महीने हो गए हैं लेकिन नवजोत सिद्धू द्वारा अगस्त में नींव-पत्थर रखने के बावजूद काम अब तक शुरू नहीं हो पाया। डी.सी. प्रदीप अग्रवाल ने निगम अफसरों के साथ रेलवे की मीटिंग बुलाई तो पता चला कि पैसा मिलने के बाद प्रोजैक्ट का डिजाइन व एस्टीमेट दोबारा बनाया गया, क्योंकि उसमें मौजूदा पुल की चौड़ाई बढ़ाने का पहलू भी शामिल है।