Edited By Tania pathak,Updated: 27 Sep, 2021 11:11 AM
केंद्र में कांग्रेस की उलझन की झलक अब पंजाब की कांग्रेस सरकार में भी नजर आने लगी है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस हाईकमान को उनका उत्तराधिकारी....
चंडीगढ़ (हरिश्चंद्र): केंद्र में कांग्रेस की उलझन की झलक अब पंजाब की कांग्रेस सरकार में भी नजर आने लगी है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस हाईकमान को उनका उत्तराधिकारी ढूंढने में ठीक 25 घंटे लगे थे। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने 18 सितम्बर को सायं 4.30 बजे इस्तीफा दिया था, जबकि चरणजीत सिंह चन्नी को 19 सितम्बर को सायं 5.30 बजे मुख्यमंत्री चुना गया।
इन 25 घंटों के दौरान सबसे पहले कैप्टन के इस्तीफे के तुरंत बाद सुनील जाखड़ को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया गया, लेकिन 19 की सुबह अंबिका सोनी अचानक पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य पर उभरीं और मुख्यमंत्री पद को नकारते हुए साथ ही अलोप हो गईं। दोपहर को नाम चला सुखजिंदर सिंह रंधावा का और सायं घोषणा हुई चरणजीत सिंह चन्नी की।
अब हाईकमान के नक्श-ए-कदम से नवनियुक्त चन्नी भी कैसे पीछे हटते। उनके डिप्टी के तौर पर सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ ब्रह्म मोङ्क्षहद्रा का नाम तय किया गया। ब्रह्म के बधाई वाले पोस्टरों से पटियाला की सड़कें भर गईं तो दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री व हाईकमान के खासमखास पवन बंसल ने भी उन्हें बधाई देने वाला ट्वीट कर दिया, लेकिन जब शपथ की बारी आई तो ब्रह्म मंहिन्द्रा कहीं नजर नहीं आए, बल्कि उनकी जगह पर ओ.पी. सोनी डिप्टी सी.एम. बन बैठे।
चर्चा किसी की और मुहर किसी अन्य नाम पर
चन्नी सरकार में कशमकश यहीं नहीं थमी। मुख्य सचिव पद के लिए सीनियर आई.ए.एस. अधिकारी रवनीत कौर और वी.के. जंजुआ के नाम चल रहे थे, लेकिन चन्नी ने मुहर लगाई अनिरुद्ध तिवारी के नाम पर। नए डी.जी.पी. की नियुक्ति में भी सरकार को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। कभी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का नाम चला तो कभी वी.के. भवरा, लेकिन बाजी मार गए इकबाल प्रीत सिंह सहोता। कमोबेश यही स्थिति एडवोकेट जनरल के नाम पर चल रही है, जो खुद व अपने स्टाफ के साथ पंजाब सरकार के केसों की अदालत में पैरवी करते हैं। बीते एक हफ्ते से पंजाब सरकार के हाईकोर्ट में चल रहे विभिन्न केसों में ज्यादातर पैरवी के नाम पर अगली तारीख ही मांगी जा रही है क्योंकि कैप्टन अमरेंद्र के इस्तीफे के तुरंत बाद अतुल नंदा एडवोकेट जनरल के पद से त्यागपत्र दे चुके हैं।
ए.जी. पद को लेकर भी कई नाम चर्चा में
अब एडवोकेट जनरल पद के लिए सबसे पहले डी.एस. पटवालिया का नाम चला, लेकिन उनके नाम को मंजूरी से पहले ही अनमोल रतन सिंह सिद्धू का नाम आगे आ गया। इस पर भी मुहर लगती, तभी ए.पी.एस. दयोल को ए.जी. लगाने की चर्चा छिड़ गई। सूत्रों की मानें तो इस बीच सीनियर एडवोकेट आर.एस. चीमा और अनुपम गुप्ता से भी बात की गई थी, मगर दोनों ने यह पद लेने से इंकार कर दिया। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री चन्नी अपनी सरकार में मंत्री से लेकर अफसर नियुक्त करने को लेकर पूरी तरह से असमंजस में घिरे नजर आए हैं। दूसरी ओर जब कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो तुरंत करण अवतार सिंह को मुख्य सचिव नियुक्त करने के साथ अतुल नंदा को एडवोकेट जनरल का पद दे दिया था। यही नहीं उन्होंने डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा को भी आगे साथ काम करने के आदेश दे दिए थे।
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