चेयरमैनी न मिलने से विधायकों में उठने लगे बागी सुर

Edited By Vaneet,Updated: 11 Jan, 2019 12:14 PM

no meeting with the chairmen rebels started getting up in the legislators

कैप्टन कैबिनेट में जगह न पाने पर कई कांग्रेसी विधायक पिछले लंबे समय से निगम व बोर्ड के चेयरमैनी की आस लगाए बैठे थे। मुख्यमंत्री कैप्टन अम...

जालंधर(रविंदर): कैप्टन कैबिनेट में जगह न पाने पर कई कांग्रेसी विधायक पिछले लंबे समय से निगम व बोर्ड के चेयरमैनी की आस लगाए बैठे थे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी बगावत के डर से इस पक्ष में थे कि कुछ सीनियर विधायकों को चेयरमैनियों पर एडजस्ट कर उनका गुस्सा शांत कर दिया जाए। मगर राहुल गांधी के एक आदेश ने न केवल कैप्टन अमरेंद्र सिंह की रणनीति की धज्जियां उड़ा दीं, बल्कि चेयरमैनी की आस लगाए बैठे विधायकों के सपने भी काफूर हो गए। राहुल के इस आदेश के बाद अब कांग्रेसी विधायकों में बागी सुर उठने लगे हैं। उधर, कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने अब विधायकों के नाम काट कर चेयरमैनी पद के लिए नई लिस्ट तैयार की है, जिसमें मेहनती नेताओं व कर्मठ वर्करों को शामिल किया गया है। यह लिस्ट मंजूरी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पास भेज दी गई है। 

गौर हो कि पंजाब में निगम व बोर्ड कार्पोरेशन के चेयरमैनियों के लगभग 140 पद पिछले 2 साल से खाली चल रहे हैं। अभी तक कैप्टन के कुछ खासमखास ही ऐसे नेता थे, जिनमें लाल सिंह, अमरजीत सिंह समरा और राजिंद्र कौर भ_ल जिन्हें इन पदों पर एडजस्ट किया गया था। इसके अलावा अन्य पदों पर रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को ही तरजीह दी गई थी। 2 साल से चेयरमैनी की आस लगाए वर्करों का अब हौसला टूटता नजर आ रहा था क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनावों में किए अपने वायदे से पलटते हुए वर्करों को चेयरमैन लगाने की बजाय विधायकों को चेयरमैन लगाने के इच्छुक थे। 

कुछ दिन पहले कांग्रेसी वर्करों के इस सम्मान की लड़ाई को ‘पंजाब केसरी’ ने प्रमुखता से छापा था, जिसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे गंभीरता से लिया और कैप्टन अमरेंद्र सिंह को दिल्ली बुलाकर साफ कर दिया कि विधायकों को फिलहाल चेयरमैनी देने की बजाय उन नेताओं व वर्करों को इन पदों पर एडजस्ट किया जाए, जो लंबे समय से पार्टी की लड़ाई लड़ते रहे हैं। राहुल गांधी के इस आदेश के बाद हौसला खो चुके नेताओं व वर्करों की जान में जान आई है। अब जल्द उम्मीद है कि इन नेताओं को उनका खोया सम्मान वापस मिल जाएगा। 

सुप्रीम कोर्ट ऐसा पहले ही आदेश दे चुका है कि सरकारी तंत्र का हिस्सा बने यानी चुने हुए नुमाइंदों को इन लाभ के पदों पर एडजस्ट नहीं किया जा सकता। मगर पंजाब सरकार ने राज्यपाल को ऐसा बिल भेजकर पास करवा लिया था, जिससे विधायकों को इन पदों पर बिठाने का रास्ता साफ हो गया था। मगर राहुल गांधी के आदेश के बाद अब विधायकों का चेयरमैन लगने का रास्ता लंबा दिखाई देने लगा है। मगर हाईकमान के इस फैसले के बाद अब प्रदेश में विधायकों के बीच बागी सुर उठने लगे हैं। पहले ही कैप्टन ने अपनी कैबिनेट में कई सीनियर विधायकों को दरकिनार कर अपने खासमखास को कैबिनेट मंत्री बनाया था। 

विधानसभा चुनाव हारने वालों व पार्षदों को नहीं मिलेगी चेयरमैनी
पार्टी हाईकमान ने यह साफ कर दिया है कि पहले चरण में विधानसभा चुनाव हारे ऐसे किसी भी नेता को चेयरमैन के पद पर एडजस्ट नहीं किया जाएगा। साथ ही यह भी कहा गया है कि चुने गए पार्षद भी फिलहाल चेयरमैनी की आस छोड़ दें और अपना पूरा ध्यान नगर निगम और विकास के कामों पर लगाएं। हाईकमान के इस फैसले से उन नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया है, जो विधानसभा चुनाव हारने के बाद चेयरमैन बनने की लालसा पाले हुए थे।

जालंधर जिले की बात करें तो नकोदर विधानसभा हलके से बड़े मार्जन से चुनाव हारने वाले जगबीर बराड़ पहले चेयरमैनी की दौड़ में थे मगर अब शायद उनका नाम लटक जाए। इसके अलावा शहर से चुने गए पार्षद बलराज ठाकुर व डा. जसलीन सेठी भी चेयरमैनी पद की दौड़ में थे, मगर अब उनका नाम भी लटक सकता है। ऐसे में जिला प्रधान पद से हटाए गए दलजीत सिंह आहलुवालिया, डा. नवजोत सिंह दहिया, तजिंद्र बिट्टू, राणा रंधावा व मनोज अरोड़ा ही ऐसे नेता दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें पहले फेज में चेयरमैनी पद मिल सकता है। 
 

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