Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 11:35 PM
दिल्ली में आर.एस.एस. के नेतृत्व में कार्यशील राष्ट्रीय सिख संगत की ओर से दशम पातशाह श्री गुरु गोङ्क्षबद सिंह जी के 350 साला प्रकाशोत्सव को समर्पित 25 अक्तूबर को दिल्ली में होने वाले समागम में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने...
अमृतसर(ममता): दिल्ली में आर.एस.एस. के नेतृत्व में कार्यशील राष्ट्रीय सिख संगत की ओर से दशम पातशाह श्री गुरु गोङ्क्षबद सिंह जी के 350 साला प्रकाशोत्सव को समर्पित 25 अक्तूबर को दिल्ली में होने वाले समागम में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने शामिल होने से इंकार करके इस संबंधी उठ रही चर्चाओं पर विराम लगा दिया है।
इस संबंध में श्री अकाल तख्त साहिब से जारी बयान में सिंह साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह कहा कि सिख गुरु साहिबान सभी के सांझे हैं और गुरुओं ने सभी को भाईचारे का उपदेश दिया गया है। हमारे इतिहास को किसी और धर्म में मिलाने की अनुमति किसी को भी कदाचित नहीं दी जा सकती और न ही इसे किसी में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि सिख एक अलग कौम है, हमारी अलग पहचान है, हमारा अपना विलक्षण इतिहास है। सिख धर्म किसी भी दूसरे धर्म के धार्मिक विश्वासों, मर्यादाओं और इतिहास में कभी भी हस्तक्षेप नहीं करता है और न ही सिख धर्म में हस्तक्षेप को सहन करता है।
उन्होंने मीडिया में राष्ट्रीय सिख संगत प्रति हुए संदेश संबंधी जो बयान प्रकाशित किया गया था उसका खंडन करते हुए सिंह साहिब ने कहा कि 2004 में जो संदेश पांच सिंह साहिबान की ओर से जारी किया गया था, उसमें इस्तेमाल की गई शब्दावली से स्पष्ट होता है कि श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से संदिग्ध भूमिकाओं वाले संगठनों और व्यक्तियों को किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं दिया जा सकता। 2004 में जारी हुआ संदेश बिल्कुल वैसे का वैसा है। इससे संबंधित बयान दागने वाले संगत को भ्रम में डालने से पहले श्री अकाल तख्त साहिब से जारी हुए आदेश/संदेश संबंधी अच्छी तरह जानकारी श्री अकाल तख्त साहिब से प्राप्त कर लिया करें।
उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सिख संंगत के सम्मेलन में संगत को गुमराह करने वाला प्रचार किया जा रहा है, इस पर वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि वह ऐसे किसी सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे और न ही उनका इससे कोई संबंध है। उन्होंने संगत से पंथ विरोधी झूठे प्रचार से सचेत रहने का आग्रह किया।