Edited By Vatika,Updated: 20 Nov, 2019 05:44 PM
आज के युग में इंसान इस कद्र स्वार्थी हो चुका है कि न तो उसे रिश्तें की कद है और न ही रिश्तों को निभाने की कोई चाहत। आलम यह है कि 7 जन्मों तक साथ देने की कसमें खाने वाला जीवनसाथी भी दर्द हो तो मुंह फेर लेता है।
रोपड़ः आज के युग में इंसान इस कदर स्वार्थी हो चुका है कि न तो उसे रिश्तें की कदर है और न ही रिश्तों को निभाने की कोई चाहत। आलम यह है कि 7 जन्मों तक साथ देने की कसमें खाने वाला जीवनसाथी भी दर्द हो तो मुंह फेर लेता है। इसकी ताज़ा उदाहरण रोपड़ में देखने को मिली, जहां बिस्तर पर पड़े एक शख्स को कठिन समय पर साथ देने की बजाए उसकी पत्नी बच्चों सहित उसका साथ छोड़ कर चली गई।
58 वर्षीय गुरमीत सिंह 2005 में एक हादसे का शिकार हो गया था। इसके बाद वह बिस्तर पर पड़ गया। गुरमीत सिंह ने बताया कि उसका साथ देने की बजाय पत्नी 2008 में दोनों बेटों को साथ ले किसी और व्यक्ति के साथ चली गई और पीछे लौट कर नहीं देखा। यदि इस कठिन समय पर किसी ने उसका साथ दिया तो सिर्फ़ वह उसकी मां थी। 80 वर्षीय मां उसकी देखभाल कर रही है।
गुरमीत सिंह ने बताया कि कुछ रिश्तेदार पहले उनकी कुछ मदद कर देते थे लेकिन अब कोई नहीं आता। सरकार की तरफ से दी गई व्हीलचेयर भी टूट गई है। 80 साल की उम्र में बेटे को बच्चों की तरह संभाल रही मां अमरजीत सिंह ने बताया कि वह बेटे को पेशाब तक खुद करवाती है। आर्थिक हालत बताते हुए मां ने कहा कि दोनों को कुल मिला कर 1500 रुपए पैंशन मिलती है जबकि दवाई ही हज़ारों रुपए की आतीं हैं। बुज़ुर्ग मां ने समाज सेवी संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई है तांकि उनका गुज़ारा चल सके।